
एक्सपर्ट की मानें तो गर्भावस्था में धूम्रपान से बच्चे को अस्थमा होने का खतरा हो सकता है। दूषित वातावरण के कारण यह बीमारी किशोरों, वयस्कों या अन्य लोगों को भी हो सकती है। व्यक्ति जहां रहता है यदि वहां का वातावरण धूल और गंदगी भरा हो तो दमा होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। इसके अलावा घर की कुछ वस्तुएं जिनसे रोगी को एलर्जी होती हो या एलर्जी के अन्य कारक जैसे कॉकरोच, जानवरों के बालों की रूसी तथा फफूंद भी अस्थमा होने के कारण हो सकते हैं। कुछ विशिष्ट प्रकार के वायरस के कारण भी अस्थमा हो सकता है।
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सांस की तकलीफ का जड़ से सफाया करता है ये आयुर्वेदिक उपाय!

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि आनुवांशिक या अन्य वजह जैसे घर के पालतू जानवर, बाहर का वायु प्रदूषण, सुगंधित सौन्दर्य प्रसाधन, सर्दी, फ्लू, ब्रोंकाइटिस, साइनोसाइटिस का संक्रमण, धूम्रपान, व्यक्ति विशेष को कुछ विशेष खाद्य पदार्थों से एलर्जी, महिलाओं में हार्मोनल बदलाव एवं कुछ विशेष प्रकार की दवाएं भी अस्थमा का कारण बन सकती हैं। यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। जब किसी व्यक्ति के श्वसन के रास्ते में सूजन आ जाती है तो श्वसन मार्ग संकीर्ण हो जाता है और छाती में ऑक्सीजन उचित मात्रा में नहीं पहुंच पाती है। व्यक्ति की सांसें उखड़ने लगती है। रोग के कारण मरीज छोटी-छोटी सांसें लेता है और छाती में कसाव महसूस करता है। मरीज की सांसें फूलने लगती हैं और वह बार-बार खांसने लगता है।
एक्सपर्ट की मानें तो अगर सांस से संबंधित तकलीफ, सीने में जकड़न, सांसों में घरघराहट, सांस तेज लेते हुए पसीना आना, बेचैनी महसूस होना, सिर भारी होना, जोर-जोर से सांस लेने के कारण थकावट होना, उल्टी होना और खांसी होने जैसा महसूस हो, तो ये अस्थमा के लक्षण हो सकते हैं। इस बीमारी के कारण रोगी को बहुत अधिक खांसी होती है। खांसी द्वारा मरीज अपनी छाती के कफ को बाहर लाने की कोशिश करता है। अधिकांशत: अस्थमा सुबह व्यायाम के समय एवं रात में लोगों को परेशान करता है।
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