अस्थमा फेफड़ों में होने वाला गंभीर रोग है, जो श्वसन मार्ग में बाधा पहुंचाता है। यानी यह बीमारी फेफड़ों से हवा के मार्ग को अवरूद्घ करती है। जिससे श्वसन नली में सूजन आ जाती है और यह श्वसन नली के मार्ग संकरा कर देता है। इससे हवा संकुचित मार्ग से ठीक से पास नहीं हो पाती और सांस लेने में कठिनाई होने लगती है।
अस्थमा की समस्या होने पर सांस लेने के दौरान घरघराहट, थकान, गले में खराश, सामान्य सर्दी, सीने में जकड़न होना, खांसी के दौरान तकलीफ आदि समस्याएं होती हैं। लेकिन अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि एक नए शोध के अनुसार, अगर आप अपने आहार में फिश ऑयल को शामिल करते हैं तो अस्थमा से होने वाले समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यानी फिश ऑयल से अस्थमा का उपचार संभव है।
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अस्थमा के लिए फिश ऑयल
फिश ऑयल में मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड्स अस्थमा जैसी बीमारी से ग्रस्त मरीजों के लिए बहुत लाभदायक होता है। न्यूयार्क की रोचेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोधों के परिणामों के अनुसार फिश ऑयल और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर दूसरे उत्पाद एंटीबाडिज की उत्पत्ति को रोक सकते हैं। यह एंटीबॉडी एलर्जी और अस्थमा की वजह होते हैं। शोधकर्ता पी फिलिप्स ने कहा कि ओमेगा-3 फैटी एसिड से स्वास्थ्य को दूसरे कई फायदे भी हैं। यह प्रतिरक्षा प्रणाली पर कोई बुरा प्रभाव डाले सूजन पर अंकुश लगा सकता है।
हालांकि अस्थमा से गंभीर रूप से ग्रस्त जो मरीज स्टेरॉइड का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं उनमें ओमेगा 3 फैटी एसिड अधिक प्रभावी नहीं होता क्योंकि कोर्टिकोस्टेरॉइड इसके लाभदायी प्रभावों को कम कर देता है। इसके अलावा पहले अध्ययनों से यह भी पता चला है कि फिश ऑयल में कुछ निश्चित फैटी एसिड्स पाए जाते हैं जो 'बी कोशिकाओं' के कार्य को नियमित करते हैं।
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अध्ययन के अनुसार
जेसीआई इनसाइट पत्रिका में प्रकाशित नए अध्ययन में टीम ने 17 मरीजों के ब्लड के नमूने लिए और प्रयोगशाला में उनके बी इम्यून कोशिकाओं को अलग करके देखा गया कि आईजीई और अन्य कण जो इस बीमारी के लिए जिम्मेदार होते हैं, उन पर शुद्ध ओमेगा 3 फैटी एसिड्स का क्या प्रभाव पड़ता है? रोचेस्टर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और प्रमुख लेखक रिचर्ड पी. फिप्पस ने बताया कि परिणामों से पता चलता है कि सभी ने कुछ सीमा तक ओमेगा 3 के प्रति प्रतिक्रिया दिखाई जिसके परिणामस्वरूप आईजीई के स्तर में कमी आई।
लेकिन जो मरीज स्टेरॉइड का सेवन करते थे वह इस ओमेगा-3 उपचार के प्रति कम संवेदनशील थे। शोधकर्ताओं की चेतावनी के अनुसार ग्राहकों को फिश ऑयल खरीदते समय सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि सभी फिश ऑयल समान नहीं होते।
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