स्मोकिंग न सिर्फ मानव जीवन के लिए हानिकारक है बल्कि विश्व अर्थव्यवस्था को भी इससे हर साल 1,000 अरब डॉलर का नुकसान होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अमेरिकी राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की हाल ही में आई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।
वैश्विक स्तर पर तैयार की गई 'द इकोनॉमिक्स ऑफ टोबैको एंड टोबैको कंट्रोल' शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि, तंबाकू उद्योग और तंबाकू उत्पादों के सेवन के घातक प्रभाव से स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च के कारण अर्थव्यवस्था को सालाना 1,000 अरब डॉलर का नुकसान होता है और इससे उत्पादकता भी प्रभावित होती है.
रिपोर्ट के अनुसार, तंबाकू उत्पादों के सेवन से पूरी दुनिया में हर साल 60 लाख लोगों की मौत हो जाती है। गौरतलब है कि तंबाकू सेवन के कारण होने वाली अधिकांश मौतें विकासशील देशों में होती हैं। बौद्धिक कार्यप्रणाली और अप्रत्यक्ष धूम्रपान में आपसी संबंध है। कोई व्यक्ति जितना ज्यादा अप्रत्यक्ष धूम्रपान के संपर्क में रहता है, उतना ही ज्यादा खतरा बढ़ जाता है। ज्यादा समय तक ऐसे माहौल में रहने वालों को खतरा भी ज्यादा होता है।
इंग्लैंड के एग्जिटर स्थित पैनिनसुला मेडिकल स्कूल के ब्रिटिश मेडिकल जरनल में प्रकाशित स्टडी में धूम्रपान न करने वाले 50 साल से कम उम्र के 4800 लोगों के थूक के नमूने लिए गए, जिनमें कोटिनाइन की जांच की गई। यह निकोटीन में शामिल एक तत्व होता है जो धूम्रपान के 25 घंटे बाद तक थूक में मौजूद रहता है।
स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों में कोटिनाइन की मात्रा अधिकतम होती है, उनमें निम्नतम कोटिनाइन वालों की तुलना में बौद्धिक विकलांगता का खतरा 44 प्रतिशत अधिक होता है।
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