अच्छी नींद के बाद अगली सुबह आप कितना तरोताजा महसूस करते हैं। नींद से न सिर्फ आपका शरीर रिचार्ज हो जाता है बल्कि इससे आपके मस्तिष्क की याद रखने और सीखने की क्षमता में भी इजाफा होता है।
नींद के दौरान जब आपका शरीर आराम करता है आपका मस्तिष्क दिन भर की चीजों को याद रखने में व्यस्त होता है। अगर आपकी नींद पूरी नहीं हो रही है, तो आपको कई स्वास्थ्य समस्यायें हो सकती हैं। नींद की कमी से उच्च रक्तचाप, मोटापा और डायबिटीज जैसी शारीरिक बीमारियां हो सकती हैं। इसके साथ ही आपकी सीखने और याद रखने की क्षमता पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। नींद की कमी से आपका मस्तिष्क सही प्रकार फैसला नहीं ले पाता। जिन कामों को करने में आपकी महारत होती है, उनमें भी आप गलतियां करने लगते हैं।
नींद की ताकत
कई व्यवहारगत अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि नींद हमारी सीखने और याद रखने की क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि नींद दो प्रकार से याद्दाश्त और सीखने की क्षमता पर असर डालती है: नींद की कमी से व्यक्ति की एकाग्रता और सीखने के कौशल पर असर पड़ता है। याद्दाश्त को मजबूत करने के लिए नींद बहुत जरूरी होती है, ताकि आप भविष्य में चीजों को रिकॉल कर सकें।
यादें बनाना
याद्दाश्त कई प्रकार की होती हैं। राज्यों के नाम रखने जैसी बातें तथ्य आधारित होती हैं। कुछ घटना संबंधी होती हैं, जिसमें आप अपने जीवन के किसी घटनाक्रम को याद रखते हैं। फिर चाहे वह पहली डेट हो या फिर नौकरी का पहला दिन। वहीं कुछ स्मृतियां प्रक्रियात्मक या अनुदेशात्मक होती हैं, इसमें बाइक चलाना या पियानो बजाने जैसी घटनायें शामिल होती हैं।
किसी चीज के स्मृति बनने में तीन चीजें होनी जरूरी हैं-
अधिग्रहण - सीखने या कुछ नया करने का अनुभव।
समेकन या मजबूती - स्मृति मस्तिष्क में स्थिर हो जाती है।
याद - भविष्य में स्मृति का उपयोग करने की क्षमता।
अधिग्रहण और याद आपकी जागृत अवस्था में काम करती हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं का मानना है कि स्मरण शक्ति के लिए नींद बहुत जरूरी होती है। फिर चाहे वह किसी भी प्रकार की याद्दाश्त क्यों न हो। पूरी नींद के बिना आपके मस्तिष्क को नयी जानकारी संजोने और उन्हें याद करने में परेशानी होती है।
नींद केवल आपके मस्तिष्क को तेज ही नहीं करती बल्कि साथ ही शारीरिक रूप से भी आपके लिए फायदेमंद होती है। शोध में यह साबित हुआ है कि नींद का असर शारीरिक प्रतिक्रियाओं पर भी होता है। इसके साथ ही वाहन चलाने और फैसला लेने की क्षमता को भी नींद प्रभावित करती है। एक शोध में यह भी साबित हुआ है कि जिन लोंगो की नींद पूरी नहीं होती, वे खुद को तब भी सही मानते हैं, जब वे वास्तव में गलत होते हैं।
याद्दाश्त के लिए किये जाने वाले शोध में यह बात भी सामने आयी है कि एक रात की बेहतर नींद या केवल झपकी के बाद, लोगों की कार्यक्षमता बढ़ जाती है। वे ऑफिस, टेस्ट, मैदान और कॉन्सर्ट हाल में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
क्या होता है जब आप सोते हैं
वैज्ञानिकों को अब तक यह पता नहीं चला है कि आखिर नींद कैसे आपकी याद्दाश्त को बेहतर बनाती है। लेकिन, इसका संबंध मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस और नियोकोरटैक्स से होता है। मस्तिष्क के इन हिस्सों में दीर्घकालिक बातें संरक्षित होती हैं। ऐसा माना जाता है कि नींद के दौरान, हिप्पोकैम्पस नियोकोरटैक्स के लिए दिन भर की घटनाओं को दोबारा चलाता है। जहां यह यादों का आकलन और प्रोसेस करता है। इससे यादों को लंबे समय तक स्टोर रखने में मदद मिलती है।
अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए शोधकर्ताओं ने यह जानने का प्रयास किया कि आखिर नींद के किस स्तर का असर याद्दाश्त पर कितना पड़ता है। कुछ शोधों में यह बात सामने आयी है कि कुछ तरह की यादें रेपिड आई मूवमेंट यानी आरईएम नींद के दौरान स्थिर हो जाती हैं- यह वह नींद होती है जब आप सपने देख रहे होते हैं। कुछ शोध कहते हैं कि कुछ तरह की यादें स्लो वेव, गहरी नींद के दौरान सुरक्षित होती हैं। वैज्ञानिक, नींद के आपके मस्तिष्क पर पड़ने वाले असर को समझने के बेहद करीब पहुंच रहे हैं। लेकिन, अब भी कई ऐसे सवाल हैं, जिन्हें समझा जाना जरूरी है।
हालांकि यह बात तो तय है कि नींद हमारे लिए बेहद जरूरी होती है। हमारे जिंदा रहने के लिए भी नींद बहुत जरूरी होती है। लेकिन, आजकल बहुत कम लोगों की नींद पूरी हो पाती है। लेकिन, आजकल बहुत कम लोगों की नींद पूरी हो पाती है। हम इतनी नींद ले ही नहीं पाते कि अगले दिन बेहतर तरीके से काम कर सकें। विशेषज्ञों का कहना है कि वयस्कों को हर रात कम से कम सात से आठ घंटे की नींद लेनी चाहिये। हर रात पूरी नींद ले पाना कई बार संभव नहीं हो पाता, लेकिन कम से कम इतनी नींद लेना आपका लक्ष्य जरूर होना चाहिये।
बेहतर नींद के टिप्स
- रोजाना सोने और उठने का समय तय करें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें। लेकिन, रात को सोने से पहले व्यायाम न करें। जानकारों का कहना है कि व्यायाम और सोने के बीच कम से कम तीन घंटे का वक्त होना चाहिये।
- रात को सोने से पहले, कैफीन, एल्कोहल और निकोटिन यानी धूम्रपान से बचना चाहिये।
- सोने से पहले कुछ वक्त अपने लिए निकालें। गर्म पानी से नहायें, किताब पढ़ें, कैफीन फ्री चाय पियें और ऐसे काम करने से बचें जिनसे आपको चिंता होने की आशंका हो।
- रात का भोजन सोने से कम से कम दो से तीन घंटे पहले करें।
- सोने के लिए आरामदेह माहौल तैयार करें। अपने कमरे में पूरा अंधेरा रखें और तापमान को भी मौसम के अनुसार रखें।
- बेडरूम में टीवी या कंप्यूटर इस्तेमाल न करें। सोने का कमरा सिर्फ सोने के लिए ही इस्तेमाल करें।
- स्वस्थ जीवनशैली अपनायें, बेहतर नींद इसका अहम हिस्सा है। हालांकि कामकाजी जीवन के तनाव और शिफ्ट की नौकरी में ऐसा कर पाना हर बार आसान नहीं होता, लेकिन आपको इसके लिए प्रयास जरूर करने चाहिये। याद रखें, नींद आपकी दुश्मन नहीं है। यह आपकी दोस्त है। तो जब यह सीखने और याद्दाश्त बढ़ाने के लिए आए, तो सोना ही बेहतर है।
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