आईवीएफ का विकल्प कई कारणों से चुना जाता है। जैसे, इनफर्टिलिटी या कपल्स में से किसी एक पार्टनर की तबियत खराब होना। कुछ लोग कंसीव करने के लिए कई अन्य विकल्पों को पहले चुनते हैं। मगर, वहां फेल होने के बाद वे आईवीएफ की मदद लेते हैं। कई बार, बढ़ती उम्र तक मां न बन पाने के कारण, महिलाएं आईवीएफ विकल्प को चुनती हैं। इसका मतलब यह है कि मां बनने के लिए आईवीएफ कई तरह के लोग आईवीएफ के ऑप्शन को चुनते हैं और अपने घर में खुशियों की दस्तक देते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि महिलाएं विशेषकर किस तरह की परेशानी होने पर आईवीएफ चुनना पसंद करती हैं। इस बारे में हमने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।
ब्लॉक फेलोपियन ट्यूब - Blocked Fallopian Tubes
अगर किसी महिला की फेलोपियन ट्यूब ब्लॉक है, तो महिलाएं मां बनने के लिए आईवीएफ के विकल्प को चुनती हैं। इस प्रोसेस के दौरान कंसीव करने के लिए फैलोपियन ट्यूब को बायपास करता है। यही कारण है कि इंफर्टिलिटी से गुजर रही महिलाओं के लिए मां बनने के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट पहला ऑप्शन होता है।
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पुरुष में इनफर्टिलिटी - Male Factor Infertility
अगर सीमन एनालिसिस के माध्यम से यह पता चलता है कि पुरुष का वीर्य कमजोर है या उसमें स्वस्थ शुक्राणु नहीं हैं, तो इसे पुरुष में इनफर्टिलिटी की प्रॉब्लम कह सकते हैं। ऐसा होने पर व्यक्ति आईवीएफ ट्रीटमेंट की मदद ले सकता है। आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान फर्टिलाइजेशन की एड्वांस मेथड अपनाई जाती है। इसे इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) के नाम से जाना जाता है। इसकी मदद से महिला को कंसीव करने में मदद मिलती है।
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एंडोमेट्रियोसिस - Endometriosis
एंडोमेट्रियोसिस गर्भाशय में होने वाली एक समस्या है। इसके तहत एंडोमेट्रियल टिशूओं में असामान्य रूप से बढ़ोतरी होने लगती है, जिस कारण यह गर्भाशय से बाहर की ओर फैलने लगते हैं। यही नहीं, कई बार एंडोमेट्रियम की लेयर गर्भाशय के अलावा अंडाशय ओवरी, आंतो और रिप्रोडक्टिव अंगों तक फैल जाती है। जिन महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस होता है, उनके एंडोमेट्रियल टिश्यू अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब से जुड़ सकते हैं। गर्भाशय इस टिश्यू पर उसी तरह प्रतिक्रिया करता है, जैसे वह पीरियड्स के दौरान वह हार्मोन पर प्रतिक्रिया करता है।
बार-बार गर्भपात - Recurrent Miscarriage
कुछ महिलाओं के अंडे कमजोर होते हैं या फिर कोई अन्य शारीरिक समस्या होती है। इस कारण, उन्हें बार-बार गर्भपात होने लगते हैं। जब किसी महिला के साथ ऐसा बार-बार होता है, तो कंजीक्यूटिव क्लिनिक प्रेग्नेंसी लॉसेस के नाम से जाना जाता है। इसका मतलब है कि गर्भावस्था हानि। ऐसी स्थिति में महिला को आईवीएफ की मदद लेनी पड़ती है ताकि वे सही तरह से कंसीव कर सके और स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके।
हालांकि, यह कहना गलत नहीं होगा कि अन्य विकल्पों की मदद से कपल्स पेरेंट नहीं बन पाते। लेकिन, कई बार यह देखने में आया हैकि हार्मोन थेरेपी या आईयूआई जैसी विकल्पों के बार-बार फेल होने के कारण, ये लोग आईवीएफ तकनीक को अपनाते हैं। आईवीएफ उपचार में कपल्स को पेरेंट्स बनने की संभावना में काफी ज्यादा बढ़ोतरी हो जाती हैं।
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