कई पेरेंट्स को लगता है कि बच्चे को डांटने से वे बेहतर ढंग से अनुशासन सीख सकते हैं। इसके लिए वे अपने बच्चे को नियम-कायदे सिखाने के लिए उनपर गुस्सा करते हैं और कई पेरेंट्स तो बच्चे को मारने-पीटने से भी पीछे नहीं हटते हैं। इससे उन्हें ऐसा लगता है कि वे अपने बच्चे को भविष्य के लिए तैयार कर रहे होते हैं। लेकिन, बच्चे को अधिक रोकने-टोकने या मारने-पीटने से उनमें मानसिक और शारीरिक तौर पर कई दिक्कतें हो सकती है। अगर आप भी उन पेरेंट्स में से हैं, जो अपने बच्चे को छोटी-छोटी बातों पर डांटते रहते हैं, तो आपको इन बातों को लेकर सावधान होने की जरूरत है ताकि बच्चे पर किसी भी तरह का मानिसक और शारीरिक दुष्प्रभाव न पड़े। आइए इस लेख में बच्चे को अधिक अनुशासन में रखने के नुकसान के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बच्चों को अधिक अनुशासन में रखने के नुकसान
1. खुद पर विश्वास की कमी
बच्चों पर अपने निर्णय या अपेक्षाओं का बोझ डालने से उनमें आत्मविश्वास की कमी हो सकती है। कई माता-पिता बच्चे को भविष्य में क्या करना या क्या बनना है। इस बात का निर्णय स्वयं करने की कोशिश करते हैं। ऐसे में वह अपने सपनों का बोझ अपने बच्चों पर डालने की कोशिश करते हैं और इसके लिए वह उन्हें मारना-पीटना भी सही समझते हैं। इससे उन्हें लगता है कि उनका बच्चा ज्यादा कामयाब हो सकता है। लेकिन, इसके उल्ट आपका बच्चा आगे चलकर भी अपने जीवन में सही निर्णय नहीं ले पाता है और कोई भी निर्णय लेने में बहुत डरता है या फिर अपना आत्मविश्वास खो देता है। इसलिए बच्चों के हमेशा गाइड करने की कोशिश करें लेकिन उनपर अपने फैसले थोपने की कोशिश न करें।
2. आत्म सम्मान में कमी
कई पेरेंट्स बच्चों को बात-बात पर डांटना सही समझते हैं। ऐसा करने से उन्हें लगता है कि इनका बच्चा अनुशासन में रहता है। उनकी बात सुनता है और उनसे डरता है लेकिन ऐसा करने से बच्चे के आत्मसम्मान पर असर पड़ता है। दरअसल कई माता-पिता ऐसे भी होते हैं, जो अपने बच्चे को पब्लिक प्लेस पर डांटने से भी नहीं चूकते हैं। ऐसे में बच्चे को दूसरों के सामने भी काफी छोटा महसूस होता है। फिर वे खुलकर अपनी बातों को रखने में डरते हैं या कहीं भी कुछ कहने से कतराने लगते हैं। यह बच्चों के विकास के लिए बिल्कुल सही नहीं होता है। इसलिए हमेशा बच्चों को प्यार से समझने की कोशिश करें और हो सके तो उन्हें दूसरों के सामने बिल्कुल न डांटें।
3. अकेलापन महसूस होना
जब बच्चा अपने मन की बात कह नहीं पाते हैं या हमेशा माता-पिता के निर्देशों का पालन करने वाले बच्चे अक्सर अकेले रह जाते हैं। शायद बहुत अधिक अनुशासन में रहने के कारण इनके दोस्त भी कम बन पाते हैं। ऐसे बच्चे अपनी दिल की बात भी बहुत कम लोगों से कह पाते हैं। ऐसे बच्चे अपने मन की बातें अपने तक ही रखते हैं और आसानी से दूसरों से खुलकर बात नहीं करते हैं। जिसके कारण वे डिप्रेशन और स्ट्रेस का शिकार हो सकते हैं। बुरे समय को झेलने की क्षमता इनमें कम होती है।
इन तरीकों से बच्चे को सिखाएं अनुशासन
1. बच्चे को हमेशा डांटने या मारने से उन्हें अनुशासन नहीं सिखाया जा सकता है। बल्कि इससे वे और बिगड़ सकते हैं। इसलिए बच्चों को हमेशा प्यार से समझाने की कोशिश करें ताकि वे आपकी बात को शांति से सुनें और समझें।
2. बच्चों को पढ़ाई के लिए बार-बार टोकने की बजाय पढा़ई में उनकी रूचि पैदा करने की कोशिश करें। इससे उन्हें भी पढ़ाई में मजा आता है।
3. बच्चों को खेलने के लिए मारने-पीटने या उनके साथ ऊंची आवाज में बात करने की बजाय आपको उनके साथ खुद भी खेलने की कोशिश करें। इससे आपकी सेहत अच्छी रहती है और बच्चे को भी मजा आता है।
4. बच्चों के साथ मिलकर समय बिताने की कोशिश करें ताकि आप उनकी बातों को समझ सके। कई बार पेरेंट्स अपने बच्चे के मन की बात समझ नहीं पाते हैं और फिर उनके बीच वो संबंध नहीं बन पाता है, जो होना चाहिए।
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