कुसुम के तेल का इस्तेमाल सदियों से खाना पकाने के साथ-साथ कई बीमारियों का इलाज करने के लिए होता है। कुसुम के तेल में कई औषधीय गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत फायदेमंद माने जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार अगर कुसुम के तेल का इस्तेमाल रोजाना खाना पकाने के लिए किया जाए तो यह सेहत को दुरुस्त रखने में मदद करता है। कुसुम का तेल इसके पौधे के बीजों से निकाला जाता है। कुसुम की पैदावर गर्म और शुष्क देशों में अधिक होती है। पुराने दौर में भारत, चीन और ईरान जैसे कई देशों में कुसुम की खेती की जाती थी, लेकिन अब आर्टिफिशल मिट्टी की वजह से पानी वाली जगहों पर भी कुसुम की पैदावार संभव है। कुसुम किन बीमारियों में काम आता है इसकी जानकारी तो कई लोगों को है, लेकिन यह तेल कितना नुकसानदायक साबित हो सकता है इसके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है। इसलिए आज हम आपको इस लेख में कुसुम के तेल के नुकसान (Safflower Oil Side effects) के बारे में बताने जा रहे हैं।
कुसुम के तेल के नकुसान | Side effect of safflower oil in hindi
क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार कुसुम का तेल में ओलिक, लिनोलिक एसिड, पामिटिक एसिड और स्टीयरिक एसिड जैसे कई तत्व पाए जाते हैं। यह तत्व हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं होते हैं। कई बार इन तत्वों की वजह से कुसुम का तेल नुकसानदायक साबित हो सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
डायबिटीज होने का खतरा
कुसुम के तेल के पोषक तत्व शरीर का ब्लड शुगर लेवल बढ़ा सकते हैं, जिसकी वजह से टाइप-1 डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। भाग्य आयुर्वेदा की न्यूट्रिशनिस्ट और डाइटिशियन पूजा सिंह का कहना है कि अधिक मात्रा में कुसुम के तेल का सेवन करने से डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। जिन लोगों को पहले से ही डायबिटीज है या कोई व्यक्ति अगर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए दवाओं का सेवन कर रहा है तो उसे कुसुम के तेल का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
स्किन रैशेज का कारण
कुसुम के तेल में हाई एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जिसकी वजह से यह हर स्किन टाइप के लोगों को सूट नहीं करता है। जिन लोगों की स्किन सेंसेटिव है अगर वह डायरेक्ट कुसुम का तेल चेहरे पर लगाते हैं तो इससे त्वचा पर खुजली, जलन और रैशेज की समस्या हो सकती है।
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ब्लीडिंग का रिस्क बढ़ाता है
जिन लोगों को ब्लड क्लोट, आंत या पाचन संबंधी समस्याएं हैं उन्हें कुसुम के तेल का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। कुसुम के तेल का इस्तेमाल करने से यह ब्लड क्लोट को धीमा कर सकता है। यह रक्तस्राव विकारों वाले लोगों में रक्तस्राव का खतरा (Bleeding Risks) बढ़ा सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि प्रेग्नेंसी के दौरान भी कुसुम के तेल का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। प्रेग्नेंसी में अगर कुसुम के तेल का इस्तेमाल किया जाए तो ब्लीडिंग हो सकती है और गर्भपात का खतरा रहता है।
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पेट दर्द का बन सकता है कारण
ज्यादा मात्रा में अगर कुसुम के तेल का इस्तेमाल किया जाए तो यह पेट में दर्द, कब्ज और कब्ज की समस्या का कारण बन सकता है। जिन लोगों को थोड़ा सा भी हैवी खाने के बाद पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं उन्हें कुसुम के तेल का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
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