दुनिया में महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग अब हमारे बीच नहीं हैं। कैम्ब्रिज स्थित अपने घर पर ही 76 वर्षीय वैज्ञानिक ने अंतिम सांस ली। स्टीफन के परिवार वालों ने इस खबर की पुष्टि की है। हॉकिंग के परिवार के प्रवक्ता ने बुधवार को यह जानकारी दी। प्रोफेसर हॉकिंग के तीनों बच्चों लूसी, रॉबर्ट और टिम ने शोक व्यक्त करते हुए हॉकिंग के निधन की पुष्टि की।
ये रोग है मौत की वजह
स्टीफन हॉकिंस 1963 में 21 वर्ष की उम्र में मोटर न्यूरोन बीमारी से ग्रस्त हो गए थे। यह एक ऐसा रोग है जिसे सांइटिफिक भाषा में दुर्लभ रोग कहा जाता है। डॉक्टर्स भी कहते हैं कि ये
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इस बीमारी के कारण हॉकिंग पर लकवा का अटैक हुआ और वे व्हीलचेयर पर निर्भर हो गये। इसके बाद अपने एक हाथ की बस कुछ अंगुलियों को ही वे हिला सकते थे। इस कारण वे हर चीज के लिए दूसरे पर या फिर टेक्नोलॉजी पर पूरी तरह से आश्रित हो गए- नहाने, कपड़ा पहनने, खाने यहां तक कि बोलने के लिए भी वह दूसरों पर निर्भर रहते थे। बोलने के लिए हॉकिंग ने स्पीच सिंथेसाइजर का उपयोग किया जिससे कंप्यूटराइज आवाज में अमेरिकी एक्सेंट के साथ वे बोल पाते थे। उन्होंने अपनी वेबसाइट पर लिखा, जितना संभव हो सकता है मैं सामान्य जीवन जीने की कोशिश करता हूं और अपनी स्थिति के बारे में नहीं सोचता हूं।
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धीरे धीरे गहरा हुआ रोग
हॉकिंग की बीमारी एकदम अपने असली रूप में नहीं आई बल्कि धीमी गति से बढ़ी और उन्हें 50 से अधिक साल जीने का अवसर मिला। बीमारी को नकार वे पढ़ने के लिए कैंब्रिज गए और अल्बर्ट आइंस्टीन के बाद सबसे शानदार और प्रतिभाशाली भौतिकविद हुए।
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हॉकिंस का परिवार
हॉकिंग का जन्म इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में 8 जनवरी 1942 को हुआ था। उनके प्रसिद्ध कार्यों में रोगर पेनरोज कीके सहयोग से गुरुत्वाकर्षणीय विलक्षणता, ब्लैक होल्स से ब्लैक बॉडी का रेडिएशन, बेस्ट सेलिंग किताब ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम है। 20 सालों में इस पुस्तक की 10 मिलियन से ज्यादा प्रतियां बिकीं। हॉकिंग का परिवार पढ़ा-लिखा था लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर थी, वहीं हॉकिंग भी अपनी शुरुआती शिक्षा में उतने उत्कृष्ट नहीं थे। हालांकि, उन्हें गणित में रुचि थी लेकिन उनकी आगे की पढ़ाई भौतिक में हुई और फिर उन्होंने कॉस्मोलॉजी में गहराई से पढ़ना शुरू किया।
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