
औषधिक गुणों से भरपूर हिमालयन सॉल्ट अब खास थेरेपी के साथ सांस के मरीजों को राहत दिला रही है। नमक से तैयार किए गए सॉल्ट रूम नाम की इस थेरेपी से पुराने अस्थमा के मरीजों का प्रभावी रूप से इलाज किया जा रहा है।
पहाड़ी इलाकों में पाया जाने वाला नमक जिसे हिमालयन सॉल्ट कहा जाता है। गुलाबी रंग के इस नमक में भरपूर औषधिक गुण पाये जाते हैं। मिनरल्स के अशुद्धियों के कारण इस नमक का रंग गुलाबी होता है। इसके लिए थेरेपी रूम को नमक की गुफा का रूप दिया जाता है। यहां का तापमान और जलवायु को नियंत्रित कर मरीजों को एक घंटे तक रूम में रखा जाता है। यह थेरेपी पूरी तरह से ड्रग फ्री है। इस थेरेपी के दौरान मरीज की सांस से नमक के कण सांस की नली से होते हुए फेफड़े तक पहुंचते हैं। जो त्वचा को ठीक करने और सांस की नली को साफ करने में काफी मददगार होता है।
सॉल्ट थेरेपी क्या करती है?
सॉल्ट थेरेपी वास्तव में अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी सांसों से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए एक वैकल्पिक उपचार के रूप में जाना जाता है। बहुत सारे लोग यह भी मानते हैं कि यह त्वचा से संबंधित कुछ समस्याएं जैसे मुंहासे, एक्जिमा और सोरायसिस को भी ठीक कर सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि सॉल्ट थेरेपी चिंता, तनाव और डिप्रेशन जैसी मानसिक स्वस्थ्य समस्याओं से भी छुटकारा दिला सकती है।
सॉल्ट थेरेपी कैसे काम करती है?
एक विशिष्ट सॉल्ट थेरेपी का सत्र लगभग 45 मिनट तक रहता है जिसमें मरीजों को एक नमक की गुफा में आराम कराया जाता है। इसे दो अलग-अलग तरिकों से किया जाता है - सूखी और गीली थेरेपी। इस थेरेपी को हेलोथेरेपी के रूप में भी जाना जाता है।
सूखी सॉल्ट थेरेपी
इस थेरेपी के दौरान मरीजों को एक मानव निर्मित नमक गुफा में रखा जाता जाता है। इसका तापमान और जलवायु को पूरी तरह से नियंत्रित कर दिया जाता है। इस नमक के कमरे में हैलोजेनर नामक उपकरण नमक को पीसता है और नमक के सूक्ष्म कणों को हवा में फैला देता है। चूंकि नमक बैक्टेरिया नाशक होता है इसलिए सांस के द्वारा अंदर पहुंचे नमक के कणों से मरीजों को हर तरह के इंफेक्शन से राहत मिलनी शुरू हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि वातावरण में मौजूद नमक के सूक्ष्म कणों को सांस के द्वारा अंदर लेने से सूजन भी कम होता है और सांस की नली को साफ करता है। इसके अलावा, यह बलगम को पतला और शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को अवशोषित कर सकता है। नमक के ये कण त्वचा के लिए भी फायदेमंद माने जाते हैं क्योंकि यह हानिकारक बैक्टीरिया और उससे होने वाली अशुद्धियों को अवशोषित कर लेता है। क्योंकि इस थेरेपी में उपयोग किया जाने वाला नमक प्राकृतिक रूप से एंटी-बैक्टीरियल होता है।
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गीला सॉल्ट थेरेपी
यह थेरेपी नमक और पानी दोनों का उपयोग करके किया जाता है। गीले सॉल्ट थेरेपी को आप इन 2 तरीकों से कर सकते हैं।
- नमक और पानी से गलगला करना
- खारे पानी से स्नान करना
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सॉल्ट थेरेपी का सत्र कैसा होता है?
45 मिनट की इस थेरेपी के दौरान आपको आरामदायक कपड़ों में एक कम रोशनी वाले कमरे में बैठाया जाता है। आपको ऐसे कपड़े पहनने का सूझाव दिया जाता है जो त्वचा के एक्सपोज़र को बढ़ाकर नमक थेरेपी का ज्यादा से ज्यादा लाभ प्रदान कर सकें, जैसे हल्के कमीज, स्लीवलेस टी-शर्ट और शॉर्ट्स आदि। इस थेरेपी को आजमाने के लिए ऐसे लोग भी पहुंच रहे हैं, जिन्हें नींद नहीं आती या खांसी-सर्दी की तकलीफ है। एक घंटे के इस सेशन का आनंद लेने के लिए वयस्क मरीज ही नहीं, बच्चे भी पसंद कर रहे हैं। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि एक घंटे के सेशन में मरीज सिर्फ 16 एमजी नमक ही इनहेल करे। यह थेरेपी ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए भी हानिकारक नहीं है।
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जरूरी सुझाव
यदि आप सॉल्ट थेरेपी से कराने की योजना बना रहे हैं, तो आपको अपनी नियमित दवाओं का सेवन करना भी जारी रखें। ये थेरेपी केवल इन बीमारियों से राहत दिला सकता है और आपकी मौजूदा दवाओं और उपचारों का एक पूरक के रूप में माना जाता है।
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