
जवां दिखने के लिए बोटोक्स का चलन इन दिनों काफी बढ़ गया है। चेहरे पर आती झुर्रियां उम्र के असर को दिखाती हैं और बोटोक्स उसी प्रभाव को दूर करने में मदद करता है। इसके इस्तेमाल से चेहरे और अन्य हिस्सों की त्वचा पर पड़ रही झुर्रियों को दूर किया जाता है।
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क्या बोटोक्स पूरी तरह सुरक्षित है ? आपको जवान दिखाने वाले यह इंजेक्शन कहीं आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर रहे। क्या उम्र को धता बनाने की चाहत में आप अपने स्वास्थ्य को तो खतरे में नहीं डाल रहे। सवाल अहम इसलिए भी हैं, क्योंकि इसका इस्तेमाल करने वाले अक्सर इन इंजेक्शनों के दुष्प्रभावों ने अनजान होते हैं।
कई जानकार मानते हैं कि बोटोक्स में प्रयोग वाले तत्व मस्तिष्क को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे नर्वस सिस्टम और मांसपेशियों को क्षति पहुंचती है।
बोटोक्स के खतरे
बोटोक्स के कई संभावित खतरे हो सकते हैं। इनमें इंजेक्शन वाले स्थान पर जलन, इंफेक्शन, सूजन, लालिमा, खून निकलना और नील पड़ने जैसी परेशानियां हो सकती हैं। इनमें से कुछ लक्षण एलर्जी के परिणामस्वरूप भी हो सकते हैं। इसके अलावा खुजली, घरघराहट, अस्थमा, चक्कर आना और बेहोशी जैसी समस्यायें भी आपको परेशान कर सकती हैं।
अगर आपको बेहोशी, चक्कर आने या सांस संबंधी कोई भी दिक्कत आए तो फौरन अपने डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा, मुंह में रुखापन, थकान, सिर दर्द और गर्दन दर्द जैसी तकलीफें भी हो सकती हैं।
घर पर कभी न लगाएं इंजेक्शन
कभी भी स्वयं बोटोक्स इंजेक्शन लगाने की कोशिश न करें। बेहतर होगा कि इन्हें किसी विशेषज्ञ की सहायता से ही लगवाएं जाएं। क्योंकि अगर आपको किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट हो तो उसका इलाज जल्द ही किया जा सकेगा।
स्वार्थी बना सकता है बोटोक्स
बोटोक्स मानवीय गुणों को खत्म कर देता है। एक शोध में पता चला है कि उम्र बढ़ने के साथ चेहरे पर आई झुर्रियों को दूर करने के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले बोटोक्स के इंजेक्शन लगाने से दूसरों की भावनाओं को पढ़ने की क्षमता खत्म हो जाती है। सर्दन कैलिफोर्निया और ड्यूक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया है कि बोटोक्स का इंजेक्शन लगवाने वाली महिलाएं अन्य लोगों के चेहरों पर डर, चिंता, खुशी और उदासी के भाव पहले की तुलना में कम पढ सकती हैं। वे स्वार्थी हो जाती हैं।
अकड़न व सूजन
बोटोक्स के इंजेक्शन से शरीर में बेवजह अकड़ पैदा हो सकती है। इसके साथ ही मांसपेशियों में सूजन की भारी पलकें और भोजन के प्रति रुखा रवैया जैसी शिकायतें भी हो सकती हैं।
मांसपेशियों में क्रियाशीलता का अभाव
हालांकि अकड़न का सीधा संबंध बोटोक्स से नहीं है। इस बीमारी का कारण मांसपेशियों में क्रियाशीलता का नहीं होना है। और बोटोक्स लगाने से मांसपेशियों के उस हिस्से में क्रियाशीलता बंद हो जाती है। इसी कारण ऐसी समस्या आती है।
गर्भवती महिलायें ध्यान दें
अगर आप गर्भधारण करने का विचार कर रही हैं, गर्भवती हैं अथवा स्तनपान करवा रही हैं, तो ऐसी सूरत में बोटोक्स करवाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर बात करें। बिना डॉक्टरी सलाह के बोटोक्स करवाने से आपको और होने वाले बच्चे दोनों पर विपरीत प्रभाव पड़ने का खतरा होता है।
बोटोक्स करवाने से पहले ध्यान रखें
-एस्प्रिन या खून पतला करने की दवाइयां खा रहे हों तो इन्हें सात दिन पहले बंद कर दें।
-इंजेक्शन लगने के चार से छह घंटे तक लेटना नहीं चाहिए, क्योंकि लेटने से दवा के आसपास की कोशिकाओं में जाने का खतरा होता है।
-बोटोक्स का असर 48 से 72 घंटे में दिखना शुरू हो जाता है।
-जिस स्थान पर इंजेक्शन लगाया गया है, वहां मसाज न कराएं।
-जिस मांसपेशी में इंजेक्शन लगाया गया है, उसे खूब इस्तेमाल करना चाहिए ताकि दवा उसके अंदर तक चली जाए।
-जिस स्थान पर बोटोक्स लेना है, वहां की त्वचा पर किसी प्रकार का संक्रमण न हो।
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