
हर युवती की चाहत होती है बेहद खूबसूरत दिखाई देना। लेकिन अब खूबसूरती पाने के लिए लोग प्राकृतिक उपायों की बजाय लेजर तकनीक का भी सहारा ले रहे हैं।
उम्र बढ़ने, प्रदूषण के असर, त्वचा रोग से ग्रसित होने और हार्मोनल बदलाव का असर सुन्दरता पर पड़ता है। ऐसे में लेजर तकनीक खोई हुई सुन्दरता को वापस लौटा सकती है और आप पा सकती है बेदाग व खूबसूरत त्वचा। लेजर तकनीक के जरिए चेहरे के दाग-धब्बों से छुटकारा पाने का चलन न केवल उम्रदराज महिलाओं और पुरुषों में बढ़ा है, बल्कि युवा भी इसे खूब आजमा रहे हैं। इस लेख के जरिए हम आपको लेजर तकनीक के बारे में विस्तार से बताते हैं।
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त्वचा संबंधी समस्या के कारण
आधुनिक जीवनशैली में बदलता खान-पान, हार्मोंस का प्रभावित होना और सूर्य की किरणों के संपर्क में ज्यादा देर तक रहना कई ऐसे कारण हैं जिनसे आपको स्किन संबंधी परेशानी हो सकती है। महिलाओं व युवतियों में झुर्रियों, चेहरे पर तिल और बाल उगने की भी समस्या देखी जा रही है। ऐसे में आप हीन भावना की शिकार हो जाती हैं और चेहरा भी देखने में भद्दा लगने लगता है। इस तरह की समस्याओं से छुटकारा दिलाने में लेजर तकनीक अहम रोल अदा कर रही है।
क्या है लेजर तकनीक
लेजर स्किन रीसर्फेसिंग को लेजर पील और लेजर वेपोराइजेशन भी कहते हैं। इसके जरिए चेहरे की झुर्रियों, दाग और धब्बों को से छुटकारा पाकर साफ व सुंदर चेहरा पाया जा सकता है। इसके अलावा लेजर तकनीक से आंखों के नीचे बनने वाले काले घेरों, मुंहासों व चिकनपॉक्स के निशान, क्षतिग्रस्त त्वचा और मस्से आदि से भी छुटकारा पाया जा सकता है।
चेहरे पर उगने वाले अनचाहे बालों को कम करने के लिए भी महिलाएं लेजर थेरेपी का सहारा ले रही हैं। इसके जरिए 80 से 90 प्रतिशत तक इलाज संभव होता है। इसके अलावा चेहरे पर बचे पांच से दस फीसदी बालों का रंग स्किन कलर जैसे हो जाता है, जो कि आसानी से नजर नहीं आते।
कैसे काम करती है लेजर तकनीक
यह तकनीक पूरी तरह से किरण पुजों पर आधारित होती है। इसमें त्वचा पर विशेष प्रकार की लेजर किरणों को डाला जाता है, जिसकी गर्मी बाल उगाने वाले हेयर सेल्स को खत्म कर देती है। इस तकनीक का मकसद बालों की जड़ों में मौजूद मेल्निन को खत्म करना होता है। यह त्वचा के बालों में मौजूद मेल्निन को लेजर किरणें सोख लेती हैं। जिससे बाल उगाने वाले हेयर सेल्स खत्म हो जाते हैं और बाल नहीं उगते हैं या कम मात्रा में उगते हैं।
लेजर तकनीक के जरिए चेहरे की प्रभावित त्वचा को भी हटा दिया जाता है। उसके जगह नयी त्वचा निकल आती है। इससे उपचार के बाद त्वचा कुछ समय तक गुलाबी रहती है। धीरे-धीरे यह सामान्य रंग पा लेती है। सर्जन आपकी त्वचा की जांच करने के बाद ही यह तय करता है कि आपको लेजर ट्रीटमेंट की कितनी सिटिंग लेनी होंगी।
लेजर तकनीक में सावधानी
लेजर तकनीक से उपचार कराने पर आपकी त्वचा कमजोर हो सकती है। उपचार के बाद कुछ दिनों के लिए स्किन को बैंडेड से ढका जाता है। लेजर ट्रीटमेंट कराने के लिए हमेशा एक्सपर्ट का ही चयन करना चाहिए। लेजर की एक से दूसरी सिटिंग के बीच करीब चार से छह हफ्ते का अंतराल होना चाहिए। डॉक्टर के परामर्श के मुताबिक कुछ दिनों तक आपको सूर्य की किरणों से भी त्वचा का बचाव करना चाहिए।
लेजर तकनीक का खतरा
यदि आप अपना उपचार अनुभवी डॉक्टर से कराते हैं तो इससे होने वाले खतरों से बचने की संभावना ज्यादा रहती है। गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों को टैनिंग की समस्या हो सकती है। साथ ही कई बार लापरवाही से जख्म होने, सूजन आने और स्किन के लालिमा युक्त होने की भी आशंका रहती है। ऐसी किसी भी परेशानी से बचने के लिए डॉक्टर द्वारा दी जाने वाली सलाह को मानें।
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