रोजाना की इन गलतियों की वजह से कपल्स में बढ़ती है गलतफहमी

संबंधों का मामला बहुत नाजुक होता है। बहुत मामूली सी बात भी किसी को ठेस पहुंचा सकती है। 
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रोजाना की इन गलतियों की वजह से कपल्स में बढ़ती है गलतफहमी

संबंधों का मामला बहुत नाजुक होता है। बहुत मामूली सी बात भी किसी को ठेस पहुंचा सकती है। भले उसमें कुछ गलत न हो, पर संबंध टूटने का कारण बन सकती है। लेकिन, रिश्ते केवल टूटते ही नहीं, टूटे हुए रिश्ते जुड़ते भी हैं। इसके लिए चाहिए सिर्फ ईमानदार कोशिश और धैर्य। रिश्तों का जुड़ना जितना मुश्किल होता है, उन्हें सहेजना उससे भी ज्य़ादा कठिन होता है। इसके विपरीत तोडे के लिए एक झटका ही काफी है। यह झटका कुछ भी हो सकता है- कोई कड़वी बात, किसी मसले पर उपेक्षा, कोई मामूली गलती, गलतफहमियां या कुछ और।

मुश्किल यह है कि ऐसा जब भी होता है तो इसका पहले से कोई एहसास नहीं होता। पता ही तब चलता है, जब घटना घट चुकी होती है। अगर समय से पता चल जाए कि जो हम कहने या करने जा रहे हैं, वह हमारे संबंधों पर क्या असर डालेगा तो अधिकतर संबंध बिगडने ही न पाएं। कई बार ऐसा भी होता भी है कि गलती के बाद तुरंत एहसास हो जाता है। ऐसी स्थिति में समझदार लोग बात को संभालने की कोशिश भी करते हैं। 

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देखें अपनी ओर

यह ज़रूरी नहीं कि संबंध टूटने के मामले में गलती हर बार आपकी ही हो, पर ऐसे मामले में देखना सबसे पहले अपनी ओर ही चाहिए। अधिकतर होता यह है कि हम स्थितियों को समझे बिना ही दूसरे पक्ष को जि़म्मेदार मान लेते हैं। यह सोचे बगैर कि उसने ऐसा कुछ किया भी है तो किन हालात में किया है। अगर यह समस्या आपके साथ बार-बार आती है तो ज़रूरी है कि अपने व्यवहार पर विचार करें। आवश्यक लगे तो खुद को सुधारने के लिए भी तैयार रहें।

स्वीकारें दूसरों को

दूसरों में ही गलती ढूंढने का एक कारण यह है कि अधिकतर लोग दूसरे के व्यक्तित्व को स्वीकार नहीं पाते। हर व्यक्ति दूसरों से अपनी अपेक्षाओं पर खरा उतरने की उम्मीद करता है। खासकर रिश्तों के मामले में हर किसी के मन में एक फ्रेम होता है। सभी चाहते हैं कि संबंधित व्यक्ति उसी फ्रेम में फिट बैठे। किसी से अपने जैसा बनने की अपेक्षा या उसे अपने अनुरूप ढालने की कोशिश खतरनाक हो सकती है। बेहतर होगा कि जो जैसा है, उसे वैसा ही स्वीकार करें।

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व्यक्ति का सम्मान

रिश्ता कोई भी हो, टूटने का कारण अधिकतर अहं का टकराव होता है। इसलिए पहले तो दूसरों पर अपनी अपेक्षाएं और अपना व्यक्तित्व थोपना बंद कर दें। धीरे-धीरे यह एहसास कराएं कि आपने खुद को बदलना शुरू किया है। आप उससे अब ऐसी कोई अपेक्षा नहीं करते, जिसे वह पूरा न कर सके। समय और मूड देख कर उससे निवेदन करें कि अगर अब भी उसे ऐसा लगता है कि आप उस पर अपनी कोई अपेक्षा या अपना व्यक्तित्व थोप रहे हैं, तो वह साफ बता दे। अपने व्यवहार से उसे यह भरोसा भी दिलाएं कि भविष्य में आप ऐसा नहीं करेंगे।

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