जीवन के हर स्तर पर कभी न कभी सभी को असुरक्षा-भय सताता है। समय के साथ यह खत्म भी होता है। मगर दांपत्य खुद को असुरक्षित महसूस करने लगें तो रिश्ते में दरार पड़ते देर नहीं लगती। कई बार हीन-भावना के कारण भी ऐसा होता है। शादी की बुनियाद भरोसे पर टिकी है। पति-पत्नी में से एक भी असुरक्षा महसूस कर रहा हो तो इस पर तुरंत ध्यान दें।
प्यार न बने बेड़ी
रिश्ते की शुरुआत में ओवर-केयरिंग एटीट्यूड हर किसी को अच्छा लगता है। मगर एक दिन परीकथा के इस चैप्टर का 'द एंड' हो जाता है और यहां से वास्तविकता भरे अध्याय शुरू हो जाते हैं। लड़की को प्रेम बंधन लगने लगता है और वह घुटन महसूस करने लगती है। मंगेतर के केयरिंग नेचर के पीछे उसे अधिकार-भावना दिखने लगती है।
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प्रॉपर्टी नहीं है पार्टनर
अधिकार-भावना या पजेसिव होना रिश्ते में खतरे का लक्षण है। हालांकि रिश्ते की शुरुआत में लड़की इन बातों से आकर्षित हो सकती है, मगर केयरिंग नेचर और पजेसिव होने में फर्क है। यह अंतर खत्म होता है तो अधिकार-भावना हावी हो जाती है। यह सब असुरक्षा के लक्षण हैं। जीवन के किसी न किसी स्तर पर सभी असुरक्षा महसूस करते हैं। पढ़ाई, करियर, सेहत, आर्थिक स्तर में असुरक्षाओं से लड़ा जा सकता है और एक समय के बाद ऐसी स्थितियां खत्म भी हो जाती हैं। मगर रिश्ते में असुरक्षा से लडऩा ज्य़ादा मुश्किल है और इससे रिश्ते में दरार पैदा हो सकती है।
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आलोचना से बचे
आलोचना किसी को नहीं भाती, मगर छोटी-छोटी सकारात्मक आलोचना को भी पार्टनर दिल से लगा बैठे तो इसका अर्थ है कि वह असुरक्षित है। ऐसे लोग सहज, उदार, ईमानदार आलोचना को भी बुरे अर्थ में ग्रहण करते हैं। अब तो तुम्हें मुझमें बुराई ही दिखेगी? तुम तो मुझे चाहती ही नहीं, कुछ ऐसे ही शब्द होते हैं जो असुरक्षित लोगों की ओर इशारा करते हैं। ऐसी स्थितियों में रिश्ते को संभालने की जरूरत होती है।
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