
बच्चे के बार-बार बिस्तर गीला करना बच्चे की गलती नहीं है। दरअसल बच्चा आर्जीनीन वैसोप्रेसिन हार्मोन के कारण बिस्तर में पेशाब करता है। इसके अलावा बच्चा आनुवांशिक कारणों से भी बिस्तर गीला करता है। अभिभावकों ने अगर अपने बचपन में बिस्तर गीली की थी तो उनरके बच्चे के भी ऐसा करने की संभावना 50-75 फीसदी ज्यादा होती है। कई चाइल्ड स्पेशलिस्ट चिकित्सकों ने कहा है कि माता-पिता में से अगर किसी एक ने बचपन में ऐसा किया हो, तो बच्चे के भी बिस्तर गीला करने के आसार लगभग 50 फीसदी हो जाते हैं।
अगर मां और पिता दोनों की बचपन में बिस्तर में पेशाब करने की आदत थी तो बच्चे की बिस्तर गीला करने की संभावना 75 फीसदी होती है। वहीं अगर मां-पिता दोनों में से किसी ने भी बचपन में बिस्तर गीला नहीं किया था तो बच्चों में इसकी संभावना घटकर 15 फीसदी हो जाती है।
आर्जीनीन वैसोप्रेसिन हार्मोन है कारण
दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में बाल नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी रोग विशेषज्ञ) कानव आनंद ने कहा, “माता-पिता को समझना होगा कि बिस्तर गीला करने के पीछे कई अन्य वजहों के अलावा ज्यादातर आनुवांशिक होना है।” उन्होंने कहा, “बिस्तर पर पेशाब करने वाले बच्चों में आर्जीनीन वैसोप्रेसिन हार्मोन का स्तर नींद में नीचे चला जाता है, जो किडनी के द्वारा मूत्र निर्माण की प्रक्रिया को धीमा करता है. चूंकि नींद में इस हार्मोन का स्तर नीचे चला जाता है, इसलिए मूत्र निर्माण की प्रक्रिया तेज हो जाती है और मूत्राशय तेजी से भर जाता है।”
सीख जाते हैं नियंत्रित करना
85 फीसदी बच्चे पांच साल की उम्र होने तकपेशाब पर नियंत्रण करना सीख जाते हैं। लड़कियों की तुलना में लड़कों में बिस्तर गीला करने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है और इस कारण लड़के 12 साल की उम्र तक बिस्तर गीला करते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि बच्चों के बिस्तर पर पेशाब करने का संबंध कब्ज या अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिस्ऑर्डर (एडीएचडी) से भी हो सकता है, इसलिए माता-माता के लिए जरूरी है कि वे ऐसी स्थिति में बच्चे को बाल-चिकित्सक के पास ले जाएं।
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