केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (E-Cigarettes) के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन पर रोक लगाने वाला विधेयक शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया। उन्होंने कहा, यह ई-सिगरेट के हानिकारक प्रभावों से लोगों को बचाने के लिए किया गया है। ये बिल 18 सितंबर को जारी किए गए अध्यादेश का स्थान लेगा।
AIR संवाददाता की रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने 20 नवंबर को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एक आदेश जारी किया, जिसमें प्रमुख सचिव और पुलिस महानिदेशकों को पत्र लिखकर इस पर रोग लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने का आदेश दिया था।
Today, I introduced "The Prohibition of Electronic Cigarettes (Production, Manufacture, Import, Export, Transport, Sale, Distribution, Storage and Advertisement) Bill, 2019" in #LokSabha . @PMOIndia @MoHFW_INDIA #ParliamentWinterSession pic.twitter.com/lkFdQQDEXU
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) November 22, 2019
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सितंबर में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के उत्पादन, आयात, वितरण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी। युवाओं पर ई-सिगरेट के प्रभाव को देखते हुए यह निर्णय लिया गया।
पहली बार इस्तेमाल करने वालों को एक साल की कैद और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रस्ताव किया गया है। ई-सिगरेट का भंडारण छह महीने तक की कैद या 50 हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों है।
ई-सिगरेट को लेकर युवाओं में भ्रम है कि इसका दुष्प्रभाव नहीं होता है, जबकि ऐसा नहीं है। स्वास्थ्य के लिए ये उतना ही हानिकारक है जितना साधारण सिगरेट या अन्य तंबाकू उत्पाद।@PMOIndia @MoHFW_INDIA pic.twitter.com/8W6DoIsZg2
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) November 22, 2019
ई-सिगरेट इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम का सबसे आम रूप है।
ये मूल रूप से ऐसे उपकरण हैं जो तंबाकू के पत्तों को जलाते या इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसके बजाय, वे बैटरी का उपयोग करके एक सॉल्यूशन को वाष्पित करते हैं। यह वाष्प उपयोगकर्ता द्वारा सांस के माध्यम से मुंह के अंदर ली जाती है, जिसका असर फेफड़ों पर पड़ता है।
हाल के अध्ययनों से पता चला है कि ई-सिगरेट तंबाकू के लिए एक सुरक्षित विकल्प नहीं है और यह श्वसन संबंधी जटिलताओं और दीर्घकालिक जटिलताओं का कारण बन सकता है।
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