आज की जीवनशैली ऐसी है कि हमारा शरीर हर वक्त किसी न किसी स्वास्थ्य समस्या के जोखिम में रहता है। जरा सी लापरवाही हुई नहीं कि कोई न कोई समस्या हमें जकड़ लेती है। सेहत से जुड़ी समस्याओं के लिए हम अमूमन डॉक्टर के चक्कर लगाना शुरू कर देते हैं। लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिनसे हम अपने आप कुछ समस्याओं पर काबू पा सकते हैं। ऐसी ही एक समस्या है जोड़ों और गठिया में होने वाला दर्द।
जोड़ों का दर्द और गठिया
जोड़ का दर्द पैरों के घुटनों, गुहनियों, गदर्न, बाजुओं और कूल्हों में हो सकता है। पहले ये कहा जाता था कि ये समस्या उम्र बढ़ने से होती है लेकिन इन दिनों युवाओं में भी जोड़ों के दर्द की समस्या पाई जाती है। वहीं गठिया की समस्या भी आम होती जा रही है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बॉडी में यूरिक एसिड की अधिकता होना होता है। जब यूरिक एसिड बॉडी में ज्यादा हो जाता है तो वह शरीर के जोड़ो में छोटे-छोटे क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगता है इसी कारण जोड़ो में दर्द और ऐंठन होती है। गठिया को कई स्थानों पर आमवत भी कहा जाता है।
यूरिक एसिड कई तरह के आहारों को खाने से बनता है। रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को गठिया कहते हैं। यह कई तरह का होती है, जैसे-एक्यूट, आस्टियो, रूमेटाइट, गाउट आदि।
गठिया के लक्षण
गठिया के किसी भी रूप में जोड़ों में सूजन दिखाई देने लगती है। इस सूजन के चलते जोड़ों में दर्द, जकड़न और फुलाव होने लगता है। रोग के बढ़ जाने पर तो चलने-फिरने या हिलने-डुलने में भी परेशानी होने लगती है। इसका प्रभाव प्राय घुटनों, नितंबों, उंगलियों तथा मेरू की हड्डियों में होता है उसके बाद यह कलाइयों, कोहनियों, कंधों तथा टखनों के जोड़ भी दिखाई पड़ता है।
मेरूदंडासन से इन समस्याओं का समाधान
मेरुदंडासन एक ऐसा आसन है जो कि मेरुदंड को लचीला बनाता है। इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास करने से भुजाओं और कलाइयों को मजबूती मिलती है। गठिया रोग में बहुत आराम मिलता है। इसके अलावा, जिन लोगों का शारीरिक संतुलन ठीक नहीं होता, चलने फिरने में परेशानी महसूस होती है, उन्हें इस आसन के अभ्यास से काफी लाभ पहुंच सकता है। अगर आप मेरुदंडासन के ये सारे लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो नियमित रूप से इसका अभ्यास करें।
मेरूदंडासन की विधि
इसे करने के लिए पहले जमीन पर चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जायें, फिर दोनों हाथों को फैला लीजिए। दोनों हाथ एक सीध में हों, उसके बाद दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ लीजिए। पैरों के पंजे मिले हुए होने चाहिए। उसके बाद घुटनों को दायीं तरफ घुमायें और सिर को बायीं तरफ घुमायें। सांस सामान्य रखें, हाथ अपनी जगह से हिलें नहीं। 3 से 5 सांस तक रुकने के बाद विपरीत दिशा में रुकिये। इस क्रिया को दोहरायें, इसे दोनों तरफ कम से कम 5-5 बार कीजिए।
इस आसन को नियमित रूप से करने पर आपको ऊपर बताई गई समस्याओं में लाभ होने लगेगा। अगर समस्या बहुत अधिक है तो योग के साथ-साथ किसी अच्छे डॉक्टर को भी दिखाएं।
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