गठिया या अर्थराइटिस हड्डियों के जोडों की बीमारी है जो पुरूषों से ज्यादा महिलाओं में देखी जाती है। अर्थराइटिस की बीमारी उम्र नहीं देखती। बुजुर्गों के साथ-साथ अब यह समस्या युवाओं और बच्चों को भी परेशान करने लगी है। तेज रफ्तार जिंदगी की वजह से खान-पान, व्यायाम पर उचित ध्यान न दे पाना इस रोग का प्रमुख कारण है। वातानुकूलित कमरों में लगातार बैठकर काम करना और ज्यादा देर तक टीवी देखने से घुटनों के जोडों में जकडन होने से भी गठिया रोग हो सकता है। अर्थराइटिस ऐसी बीमारी है जिसका शरीर के जोडों और मांसपेशियों पर असर पडता है। अर्थराइटिस की वजह से चलने-फिरने में तकलीफ हो सकती है। लेकिन योगा के कुछ आसनों को अपनाकर अर्थराइटिस के दर्द से छुटकारा तो मिलता ही है साथ ही यह समस्या भी समाप्त हो जाती है।
प्राणायाम –
प्राणायाम करने से अर्थराइटिस के मरीज को बहुत राहत मिलती है। गठिया के मरीज को हर सुबह साधारण प्राणायाम करना चाहिए। इसके लिए बाएं नाक को दबाकर दाहिने नाक से सांस को अंदर करके दोनों नाकों से सांस को बाहर निकालना चाहिए।
सर्वांगासन –
इस आसन के अभ्यास से पेट के रोगों में फायदा मिलता है। पेट में कब्ज की वजह से अर्थराइटिस रोग ज्यादा होता है। हर रोज सर्वांगासन का अभ्यास करने से पेट के विकारों से मुक्ति मिलती है और अर्थराइटिस की समस्या धीरे-धीरे समाप्त होती है।
पवन मुक्तासन –
इस आसन को करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है। इसके अलावा पवन मुक्तासन भूख को बढाता है। अर्थराइटिस के मरीज के लिए पवन मुक्तासन का अभ्यास बहुत लाभदायक होता है। इसके अलावा पवन मुक्तासन पीठ को चौडी करता है और रीढ की हड्डी को मजबूत बनाता है। इसे करने से लीवर, किडनी, मूत्राशय और यौन ग्रंथिया ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं जिससे थकान, सुस्ती, और चिडचिडापन दूर होता है।
शवासन -
शवासन का अभ्यास करने से शरीर की नाडि़यां शुद्ध, निरोग और बलवान होती हैं। यह आसन पीठ और रीढ की हड्डी के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। अर्थराइटिस के मरीज को शवासन करना चाहिए। इस आसन को करना बहुत ही आसान हैं। इसे करने के लिए जमीन पर दरी बिछाकर सीधा लेट जाये। इसके बाद अपनी आंखां को बंद कर लें और अपने हाथ-पैरों को ढ़ीला छोड़ दें। आप चाहे तो इस मुद्रा में 5 से 20 मिनट तक बने रह सकते हैं। i
पद्मासन -
इस आसन को करने से पेट की समस्याओं से छुटाकारा मिलता है। कब्ज की समस्या, घुटने का दर्द, और कमर दर्द के लिए पद्मासन बहुत फायदेमंद होता है। इसे करने के लिए जमीन पर बैठकर पैरों को एक दूसरे के इस प्रकार रखें कि एडि़यां नाभि के पास आ जाए। फिर मेरुदण्ड सहित कमर से ऊपरी भाग को पूर्णतया सीधा रखें। लेकिन ध्यान रखें कि दोनों घुटने जमीन से उठने न पाएं। इसके बाद दोनों हाथों की हथेलियों को गोद में रखते हुए स्थिर रहें।
मत्स्यासन -
अर्थराइटिस के रोगी को मत्स्यासन के अभ्यास से बहुत लाभ मिलता है। इस आसन से पेट की सभी मांसपेशियों का व्यायाम हो जाता है। जिससे पेट में गैस और कब्ज की समस्या नहीं होती है। इसे करने के लिए दण्डासन में बैठकर दाएं पैर को बाएं पैर पर रखकर अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। अब हाथों का सहारा लेते हुए पीछे की ओर अपनी कुहनियां टिकाकर लेट जाएं। पीठ और छाती ऊपर की ओर उठी तथा घुटने भूमि पर टिकाकर रखें। अब अपने हाथों से पैर के अंगूठे पकड़ें। आपकी कोहनी जमीन से लगी होनी चाहिए।
सर्पासन -
इस आसन को करने से पेट के विकार समाप्त होते हैं। अर्थराइटिस के मरीज के लिए सर्पासन का अभ्यास बहुत ही फायदेमंद होता है। इसे करने के लिए पेट के बल सीधा लेट जाएं और दोनों हाथों को माथे के नीचे टिकाएं। दोनों पैरों के पंजों को साथ में रखें। अब माथे को सामने की ओर उठाएं और दोनों बाजुओं को कंधों के समानांतर रखें जिससे शरीर का भार बाजुओं पर पड़े। शरीर के अग्रभाग को बाजुओं के सहारे उठाएं। शरीर को स्ट्रेच करें और लंबी सांस लें।
अर्थराइटिस की बीमारी हमेशा के लिए नहीं होती है। अर्थराइटिस होने पर व्यायाम और घरेलू उपचार करके इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है। मोटे लोगों को अर्थराइटिस रोग होने की ज्यादा संभावना होती है।