Premenstrual Dysphoric Disorder: पीरियड्स से पहले महिलाओं में होती है ये परेशानी, जानें कारण, लक्षण और उपाय

प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर के कारण कुछ महिलाएं पीरियड्स के आस पास ओवररिएक्ट करती हैं और बेकार में उदास हो जाती हैं। जानते हैं इसकी वजह।
  • SHARE
  • FOLLOW
Premenstrual Dysphoric Disorder: पीरियड्स से पहले महिलाओं में होती है ये परेशानी, जानें कारण, लक्षण और उपाय

महिलाओं में कई बार हम अचानक से गुस्सा, उदासी, रोना, चिड़चिड़ापन और बहुत ज्यादा मूड स्विंग्स देखते हैं। दरअसल, ये लक्षण आम नहीं है बल्कि शरीर में हो रहे बदलावों का रिएक्शन है। जी हां, अक्सर से लक्षण पीरियड्स के पहले या फिर आस-पास नजर आते हैं। इनसे महिलाएं और उनके साथ रहने वाले लोग तक परेशान हो जाते हैं। लेकिन ये यूंही नहीं होता बल्कि इसका कारण है प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसॉर्डर।  प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (Premenstrual Dysphoric Disorder) पीरियड्स के पहले महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों का परिणाम है। हालांकि, बहुत से लोगों को ये प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) जैसा ही लगता है पर इन दोनों में फर्क है। ऐसा इसलिए कि प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर के लक्षण पीएमएस के लक्षणों से ज्यादा तेज और खराब होते हैं। साथ ही ये महिलाओं को मानसिक रोगी जैसा बना देता है और हर पल उनका व्यवहार बदल सकता है। तो, आइए जानते हैं ये डिसऑर्डर क्यों होता है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचाव के उपाय क्या हैं?

Insideperiods

प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर का कारण- Premenstrual Dysphoric Disorder Causes

प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (Premenstrual Dysphoric Disorder) पीरियड्स से पहले शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलावों के कारण होता है। इसमें  एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन और सेरोटोनिन जैसे हार्मोन्स की मुख्य भूमिका होती है। होता ये है कि जब शरीर पीरियड्स की तैयारी कर रहा होता है तो हार्मोनल उतार-चढ़ाव के प्रति हमारी कोशिकाएं ज्यादा सेंसिटिव हो जाती हैं और हर छोटी से छोटी चीजों पर रिएक्ट करती हैं। ओव्यूलेशन के बाद और पीरियड्स से पहले एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के घटते स्तर लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं। सेरोटोनिन, एक मस्तिष्क रसायन जो मूड, भूख और नींद को नियंत्रित करता है और एक जरूरी भूमिका निभाता है। हार्मोन के स्तर की तरह सेरोटोनिन का स्तर आपके मासिक धर्म के दौरान बदलता रहता है। तभी आपने देखा होगा कि इस दौरान महिलाएं अजीब सी हो जाती हैं और तुरंत में गुस्सा जाती हैं व हर छोटी-बड़ी बात पर ओवररिएक्ट करती हैं। इसलिए इसका असर आपके मनोदशा, व्यवहार और शारीरिक स्थितियों से झलकता है। 

दरअसल, ये महिलाओं में हो रहे पीरियड्स के होर्मोनल पैटर्न पर चलता है और फिर प्रजनन आयु की महिलाओं में ज्यादा होता है। अच्छी बात ये है कि पीरियड्स खत्म करते करते समाप्त हो जाते हैं। पर अधिकांश महिलाओं में इसके लक्षण उनके व्यक्तिगत, सामाजिक या पेशेवर जीवन में हस्तक्षेप कर सकते हैं और उन्हें कई बार इसके कारण परेशानियों का सामना करना पड़ता है।  हालांकि, 5% से 8% महिलाओं में मध्यम से गंभीर लक्षण होते हैं जो उनकी कई परेशानियों को बढ़ाते हैं। 

इसे भी पढ़ें : बढ़ती उम्र का पुरुषों की फर्टिलिटी पर पड़ता है असर, जानें किस उम्र के बाद आ सकती है पिता बनने में परेशानी

प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर के लक्षण-Premenstrual Dysphoric Disorder Symptoms

प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर के लक्षण कई प्रकार के होते हैं और हम इन्हें अलग-अलग शारीरिक रिएक्शन के अनुसार बांट सकते हैं। जैसे कि महिलाएं

1. मनोवैज्ञानिक लक्षणों (Psychological Symptoms) में 

  • -एंग्जायटी
  • -चिड़चिड़ापन
  • -गुस्सा
  • -ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
  • -दुखी रहना
  • -अवसाद
  • -चिंता
  • -खोया हुआ रहना
  • -बात बात पर ओवर रिएक्ट करना
  • -पागलपन
  • -भावनात्मक संवेदनशीलता जैसे कि तुरंत रोने लगना आदि महसूस कर सकती हैं। 
Insidepain

2. शारीरिक लक्षणों (Physical Symptoms) में

  • -टखनों, हाथों और पैरों की सूजन
  • -वजन बढ़ना
  • -पेशाब कम करना
  • -स्तनों में दर्द
  • -एलर्जी
  • -इंफेक्शन होना
  • -आंखों से जुड़ी समस्याएं जैसी कि साफ ना दिखना या फिर आई इंफेक्शन होना
  • -पेट में मरोड़
  • - शरीर में सूजन रहना
  • -कब्ज
  • -मतली और उल्टी
  • -पैल्विक एरिया में भारीपन या दबाव
  • -पीठ दर्द
  • -त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे कि मुंहासे, खुजली के साथ त्वचा की सूजन। 
  • -सिरदर्द
  • -चक्कर आना
  • -बार-बार झुनझुनी होना
  • -मांसपेशियों की ऐंठन
  • -अचानक बुखार वाली गर्मी महसूस करना

इसके अलावा पीरियड्स के पैटर्न और स्वास्थ्य की बाकी स्थितियों के अनुसार भी प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर के लक्षण बदलते रहते हैं। ऐसे में आपको अलग आपको अगर बार पीरियड्स पहले ये लक्षण महसूस होते हैं तो आपको एक बार इस बारे में अपनी डॉक्टर से बात करनी चाहिए। 

प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर की जांच और उपचार 

आपका डॉक्टर आपसे आपके स्वास्थ्य इतिहास के बारे में बात करेगा और एक शारीरिक जांच करेगा। ऐसे में आपको पीएमडीडी का इलाज करवाने के लिए अपने लक्षणों का एक कैलेंडर या डायरी रखनी होगी। इसमें आपको नोट करना होगा कि आपमें पीरियड्स के दौरान क्या क्या बदलाव आ रहे हैं। फिर आपका डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री और लक्षणों की मूल्यांकन करेंगे। वो आपको एक या दो पीरियड्स के दौरान एक जैसे या फिर अलग-अलग होने वाले लक्षणों को ट्रैक करने को कहेंगे। पीएमडीडी का इलाज करने के लिए, आपका डॉक्टर मूड से संबंधित लक्षण सहित पांच या अधिक पीएमडीडी लक्षणों की तलाश करेंगे। फिर वो चिंता, अवसाद या प्रजनन संबंधी विकारों जैसी अन्य स्थितियों का पता लगाएंगे या तब इलाज की शुरुआत करेंगे।

इलाज में वे एंटीड्रिप्रेसेंट्स को चुन सकते हैं और सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (SSRIs ) दे सकते हैं जो कि सेरोटोनिन के प्रभाव को कम करता है। ये मस्तिष्क में सेरोटोनिन के स्तर को बदलते हैं। इसके अलावा वे शारीरिक लक्षणों को कम करने के लिए कुछ अन्य दवाइयां दे सकते हैं। जो कि जोड़ों में दर्द, सिरदर्द और पीठ दर्द को दूर करने में आपकी मदद कर सकती हैं। कुछ महिलाओं के लिए, लक्षणों की गंभीरता समय के साथ बढ़ जाती है और मेनोपॉज तक बनी रहती है। इस कारण से, एक महिला को लंबे समय तक इसके इलाज की जरूरत हो सकती है। साथ ही ट्रीटमेंट के दौरान दवा की खुराक बदल सकती है।

इसे भी पढ़ें : गर्भवती महिलाओं में डिप्रेशन होने पर दिखते हैं ये 5 लक्षण, जानें इसका बच्चे पर कैसे पड़ता है असर

प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर से बचाव के उपाय-Prevention Tips for Premenstrual Dysphoric Disorder

पीएमडीडी एक गंभीर, पुरानी स्थिति है जिसे उपचार की जरूरत होती है। पर अपनी लाइफस्टाइल में आप कुछ चीजों को शामिल करके इसके लक्षणों से बच सकते हैं। जैसे कि 

-फोलिक एसिड, कैल्शियम और विटामिन से भरपूर फूड्स लें। खास कर कि विटामिन बी 6 कैल्शियम और मैग्नीशियम।

- डाइट में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट बढ़ाएं पर चीनी, नमक, कैफीन और शराब को कम करने की कोशिश करें।

-गर्भनिरोधक गोलियां के ज्यादा इस्तेमाल से बचें।

-अपने मन से कई भी दवाएं लेना बंद करें। 

-नियमित व्यायाम करें।

-स्ट्रेस फ्री रहने की कोशिश करें और इसके लिए योग करें। 

प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर से बचाव के लिए आप इन टिप्स की मदद ले सकते हैं। पर अगर आपको इसके ये लक्षण नजर आते हैं या आपके आस-पास के लोग आपके इन व्यवहारों की शिकायत करते हैं, तो इसे नजरअंदाज ना करें। तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें और सही इलाज करवाने की कोशिश करें।

All images credit: freepik

Read Next

गर्भवती महिलाओं में डिप्रेशन होने पर दिखते हैं ये 5 लक्षण, जानें इसका बच्चे पर कैसे पड़ता है असर

Disclaimer