वजन कम करने और सेहतमंद रहने के लिए हम कितने प्रयास करते हैं। लेकिन अधिकतर प्राचीन आहार-योजनायें हमें वजन कम करने में मदद करती हैं। मारिया लोई और सारहा टोलैंड ने अपनी हालिया किताब 'द ग्रीक डायट' में इस पुरानी आहार-योजना को आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर कसकर देखा है। और बताया है कि क्यों आज भी यह आहार योजना प्रासंगिक है।
ऑलिव ऑयल: इसकी गंध भी वजन कम करने में है मददगार
ऑलिव ऑयल में किसी भी सामान्य आहार के मुकाबले अधिक मोनोसेचुरेटेड फैट होता है। शोधों में साबित हुआ है कि संतृप्त वसा के स्थान पर ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करने से आपका शरीर आराम के समय भी अधिक ऊर्जा खर्च करने लगता है। इसका अर्थ यह है कि बैठे हुये या सोते हुए भी आपको अधिक कैलोरी खर्च करते हैं। एक जर्मन शोध के मुताबिक ऑलिव ऑयल की गंध से ही आपको पेट भरा होने का अहसास होता है। और नतीजतन आप कम कैलोरी का सेवन करते हैं। जिन प्रतिभागियों के दही में ऑलिव ऑयल सी घास की सी खुशबू थी उन्होंने कम कैलोरी का उपभोग किया और साथ ही उनका रक्त शर्करा का स्तर भी, केनोला ऑयल मिले हुए दही का सेवन करने वालों की अपेक्षा सामान्य रहा।
ग्रीक योगार्ट: वसा कम करने के लिए सही बैक्टीरिया
ग्रीक योगार्ट आपकी भूख को कम करती है और साथ ही आपको पेट भरा होने का अहसास दिलाती है। इतना ही नहीं इसका सेवन करने से आपके शरीर में रक्त शर्करा का स्तर सामान्य रहता है और आप बेकार की चीजें खाने से बचते हैं। ग्रीक योगार्ट के गुणों के कारण ही आप अतिरिक्त भोजन का सेवन करने से भी बचते हैं। ग्रीक योगार्ट में किसी भी अन्य 'रेडी टू ईट' आहार की अपेक्षा प्रति औंस अधिक प्रोटीन होता है। कार्बोहाइड्रेट की अपेक्षा प्रोटीन का सेवन करने से आपके शरीर का मेटाबॉलिज्म और हाजमा बेहतर रहता है। दही में प्रोटाबॉयोटिक्स तो होते ही हैं, जो आपकी पाचन क्रिया को बेहतर काम करने में मदद करते हैं साथ ही साथ यह आपके शरीर को फैट बर्निंग जोन में रखने में भी मदद करते हैं। शोध में साबित हुआ है कि अगर आपके शरीर में सही बैक्टीरिया न हों तो भले ही आप कितना ही आहार और व्यायाम का खयाल रख लें, वजन कम करने में आपको ज्यादा कड़ी मेहनत करने की जरूरत होगी।
सब्जियों का करें सेवन
अगर आपके आहार में विटामिन, मिनरल, एंटीऑक्सीडेंट्स और फिटोकेमिकल्स की मात्रा पर्याप्त नहीं है, तो वजन कम करने में आपको काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। शोध में साबित हुआ है कि थकान के दौरान आप जंक फूड की ओर अधिक आकर्षित होते हैं। लेकिन सब्जियों में मौजूद माइक्रोन्यूट्रीएंटस आपके शरीर को पर्याप्त ऊर्जा देते हैं और साथ ही आपके मेटाबॉलिज्म के लिए भी फायदेमंद होते हैं। आमतौर पर सब्जियों में 90 फीसदी तक पानी होता है, जो शरीर में पानी की कमी होने से भी रोकने में मददगार होती हैं। शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा से हमारे मेटाबॉलिज्म की वसा जलाने की क्षमता में भी इजाफा होता है। पानी से भोजन की मात्रा में तो इजाफा होता है, लेकिन इससे आप अतिरिक्त कैलोरी का सेवन नहीं करते। यानी आपका पेट भी भर जाता है और है और वजन भी नहीं बढ़ता। पानी की पेट भरा रखने की क्षमता उस समय और बढ़ जाती है जब यह सब्जियों में मौजूद अघुलनशील फाइबर के साथ मिल जाता है। इससे पाचन क्रिया को काफी आराम मिलता है।
बीन्स
वजन कम करने के लिए आपको घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर की जरूरत होती है। और बीन्स के अलावा ऐसा कोई खा़द्य पदार्थ नहीं होता जिसमें ये दोनों पर्याप्त मात्रा में मिलते हों। घुलनशील फाइबर आपके पेट में मौजूद तरल पदार्थों में मिलकर एक चिपचिपा जैल बनाता है। यह जैल फैलकर भोजन को आपके पेट में लंबे समय तक रोके रखने का काम करता है, जिससे आप को काफी देर तक भूख नहीं लगती। वहीं अघुलनशील फाइबर पानी को सोखता है, भी आपकी पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और घुलनशील फाइबर के साथ मिलकर आपकी भूख को नियंत्रित रखने का काम करता है।
सीफूड: मेटाबॉलिज्म बेहतर बनाये और वजन घटाये
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका में करीब 90 फीसदी लोगों को पर्याप्त मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड नहीं मिलता। ओमेगा फैटी-3 मेटाबॉलिज्म, रक्त शर्करा और संवेदनशीलता के लिए बेहतर होता है। इसके साथ ही यह शरीर की वजन कम करने की क्षमता में भी इजाफा करता है। ट्यूना जैसी फैटी फिश में लीनर यानी पतली फिश के मुकाबले अधिक ओमेगा-3 होता है। लेकिन समुद्री भोजन में किसी अन्य आहार की अपेक्षा अधिक ईपीए/डीएचए ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं। युनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ओंटेरियो के शोध के मुताबिक सप्ताह में दो बार मछली का सेवन करने से आपका मेटाबॉलिज्म रोजाना 400 कैलोरी अधिक खर्च करने लगता है। इसके साथ ही इससे पेट के नीचे चर्बी भी जमा नहीं होती।
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