गरीबी और जीवन से जुड़ी परेशानियां इंसान की सोचने-समझने की क्षमता को कमजोर कर देती हैं। इसका असर यह होता है कि व्यक्ति अन्य बातों के बारे में सोच भी नहीं पाता। भारत और अमेरिका में हुए एक नए अध्ययन के आंकड़ों के आधार पर दावा किया गया है कि गरीबी का सीधा असर इंसान की सोचने की क्षमता पर पड़ता है।
सोचने की क्षमता पर पड़ने वाले असर का परिणाम यह होता है कि वह जिंदगी के दूसरे पहलुओं में अपनी ऊर्जा नहीं लगा पाता। सोचने की क्षमता से जुड़े इस अध्ययन को भारत के साथ ही अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय के यजियायिंग झाओ के नेतृत्व में किया गया है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि गरीब लोगों में मानसिक तनाव के कारण बौद्धिक क्षमता का स्तर 13 आईक्यू तक पहुंच जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि इंसान गलतियां इतनी ज्यादा करने लगता है कि उसके निर्णयों के गलत होने की आशंका बढ़ जाती है।
उन्होंने पाया कि वित्तीय समस्याएं किसी भी व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालती हैं। पैसे की दिक्कतों से घिरे इंसान की मानसिक क्षमता बहुत हद तक कम हो जाती है और उसकी रातों की नींद भी चली जाती है। इसके विपरीत संपन्न व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति गरीब की तुलना में बेहतर होती है।
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