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ज्यादा सोना किस तरह ब्रेन पर असर डालता है? समझें डॉक्टर से

How Too Much Sleep Is Bad For Your Brain In Hindi: ज्यादा सोने से ब्रेन पर इसका नेगेटिव असर पड़ता है, जैसे ब्रेन फॉगिंग हो सकती है और सोचने-समझने की क्षमता भी प्रभावित हो जाती है।
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ज्यादा सोना किस तरह ब्रेन पर असर डालता है? समझें डॉक्टर से

How Too Much Sleep Is Bad For Your Brain In Hindi: सोना हमारी सेहत के लिए बहुत जरूरी है। आपने अक्सर नोटिस किया होगा कि अगर किसी वजह से एक दिन की भी नींद पूरी न हो, तो व्यक्ति पूरा दिन चिड़चिड़ा रहता है, बार-बार मूड स्विंग होते हैं और कामकाज में भी पूरा मन नहीं लगता है। यहां तक कि अगर कोई कम नींद लेता है, तो इसका उसकी फिजिकल हेल्थ पर भी असर पड़ने लगता है। क्या आप जानते हैं कि कम नींद लेने की ही तरह अगर कोई अधिक नींद लेता है, तो उसका भी इसक पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। जी, हां! ज्यादा नींद लेने की वजह से ब्रेन पर इसका नेगेटिव असर पड़ता है। सवाल है, ज्यादा नींद ब्रेन को किस तरह प्रभावित करती है? आइए, इस बारे में फरीदाबाद स्थित फोर्टिस अस्पताल में निदेशक-न्यूरोलॉजी डॉ. विनित बंगा से विस्तार से जानते हैं।

ज्यादा सोना किस तरह ब्रेन पर असर डालता है- How Does Too Much Sleep Affect The Brain In Hindi

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ज्यादा सोना कई तरह से ब्रेन पर असर डालता है। हैरानी इस बात की है कि ज्यादा सोने से ब्रेन पर नेगेटिव असर पड़ता है और अगर व्यक्ति अपनी नींद को सीमित न करे, तो इसके दीर्घकालिक प्रभाव भी देखने को मिलते हैं, जैसे-

1. सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होना

हमारे यहां ज्यादातर लोग लंबा सोना पसंद करते हैं। हालांकि, कामकाज के चलते ऐसा संभव नहीं होता है। लेकिन, अगर कोई व्यक्ति रोजाना दस घंटे से ज्यादा की नींद लेता है, तो उसकी कॉग्निटिव बिहेवियर में बदलाव आने लगता है। इसका मतलब है कि व्यक्ति की सोचने-समझने, चीजों को याद रखने की क्षमता कमजोर होने लगती है। ऐसा खासकर, बुजुर्गों में अधिक देखने को मिलता है। ऐसे लोगों के रोजमर्रा के कामकाज करना भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

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2. ब्रेन फॉग होना

ब्रेन फॉग एक तरह लक्षण है, जो आपके सोचने-समझने की काबिलियत के बारे में बताता है। रोज 10 घंटे से अधिक सोने के कारण लोगों में ब्रेन फॉगिंग हो सकती है। ऐसा इसलिए भी होता है, क्योंकि अधिक सोने की वजह से व्यक्ति की याद्दाश्त कमजोर होने लगती है और सोचन-समझने की क्षमता पर धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो रही है। ये सभी स्थितियां ब्रेन फॉगिंग को बढ़ावा देती हैं। अगर आप इससे बचना चाहते हैं, बेहतर है कि रोजाना सिर्फ 7 घंटे की नींद लें। सीडीसी भी इसी बात पर जोर देता है कि 7 घंटे की नींद हर व्यक्ति के लिए पर्याप्त होती है।

3. इंफ्लेमेशन होना

देर तक सोने की आदत आपको किस हद तक बीमार कर सकती है, इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है लंबे समय तक सोना प्रो-इंफ्लेमेटरी साइकोटिन से संबंधित होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जब कोई व्यक्ति 10 घंटे से ज्यादा की नींद रोजाना ले रहा है, तो इसकी वजह से प्रो-इंफ्लेमेटरी साइकोटिन का स्तर बढ़ जाता है, जिसकी वजह से ब्रेन में इंफ्लेमेशन हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शरीर की सर्कैडियन रिदम इंफ्लेमेश्न को कंट्रोल करती है, जिससे समय पर नींद टूटती है और रोजमर्रा के कामकाज के लिए तैयार होते हैं। जैसे ही सर्कैडियन रिदम प्रभावित होने लगता है, तो इसका आपके ब्रेन पर असर दिखने लगता है।

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4. मेंटल हेल्थ पर असर

जाहिर है, ज्यादा नींद लेने का आपकी मेंटल हेल्थ पर भी असर पड़ता है। ऐसा खासकर उन लोगों के साथ होता है, जो डिप्रेशन, स्ट्रेस या एंग्जाइटी का शिकार हैं। इस तरह की मेंटल हेल्थ कंडीशन से गुजरने के कारण लोग सामान्य से ज्यादा सोकर अपना समय बिताते हैं। ऐसा करके वे सोशल लाइफ को इग्नोर करते हैं। जबकि, ऐसा करना मेंटल हेल्थ को और भी खराब कर सकता है।

All Image Credit: Freepik

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