Ayurvedic Treatment For Brain Fog: मस्तिष्क से जुड़ी समस्याएं इन दिनों लोगों में बहुत आम हो गई हैं। कई बार लोगों के साथ समस्या देखने को मिलती है कि उन्हें चीजें याद नहीं रहती हैं, उन्हें मूड स्विंग, नींद न आना, चिड़चिड़ापन, फोकस में परेशानी, सिरदर्द और चिंता आदि जैसी समस्याएं काफी परेशान करती हैं। क्या आप जानते हैं इस तरह की समस्याएं कुछ मामलों में ब्रेन फॉग का संकेत हो सकती हैं। जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा! हमेशा ही भूलने या चीजें याद रखने में परेशानी बढ़ती उम्र के साथ जुड़ी नहीं होती है। यह आपको किसी भी उम्र में परेशान कर सकती हैं। ब्रेन फॉग भी ऐसी ही स्थित है, जो लगभग किसी भी उम्र के लोगों में देखने को मिल सकती है। ब्रेन फॉग ऐसी स्थित है, जिसमें व्यक्ति चीजें याद रखने, फोकस और याद करने में परेशानी जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। यह स्थिति हार्मोन्स में परिवर्तन और सूजन के कारण देखने को मिल सकती है। इसकी वजह से आपके मूड स्विंग, ऊर्जा और फोकस कम होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
ब्रेन फॉग के उपचार के लिए आमतौर दवाओं के साथ कई विटामिन और मिनरल के सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं। लेकिन आयुर्वेद में इसके इलाज के लिए कई अन्य चीजों पर भी ध्यान दिया जाता है। आयुर्वेद में ब्रेन फॉग का इलाज कैसे किया जाता है आयुर्वेदिक चिकित्सक और थाराइड एक्सपर्ट डॉक्टर अल्का विजयन ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में विस्तार से बताया है।
ब्रेन फॉग का आयुर्वेदिक इलाज- Ayurvedic Treatment For Brain Fog In Hindi
डॉक्टर अल्का के अनुसार, "वास्तव में, ब्रेन फॉग उन पहले लक्षणों में से एक है, जो थायराइड डिसफंक्शन वाले लोगों में देखने को मिलते हैं। इन्हें आयुर्वेद की मदद से आसानी से ठीक किया जा सकता है। हाइपोथायरायडिज्म में ब्रेन फॉग एक बहुत ही सामान्य है। इसके कारण लोगों को कुछ समस्याएं महसूस होती हैं जैसे,
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1. विचारों की स्पष्टता का अभाव
2. सतर्कता की कमी ("धुंधला" महसूस होने की स्थिति)
3. विशेष रूप से दिन के दौरान या भोजन के बाद
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यह स्थिति विटामिन डी और बी12 के सेवन के बाद भी बनी रहती हैं। लेकिन आयुर्वेद में ब्रेन फॉग के इलाज के लिए सिर्फ पोषण की कमियों को दूर करने पर ही ध्यान केंद्रित नहीं किया जाता है, बल्कि इसमें आंत के स्वास्थ्य में सुधार, गट माइक्रोबायोम के संतुलन को बनाए रखने और आंत से मस्तिष्क के बीच कनेक्शन को सुधार करके ब्रेन फॉग को ठीक किया जाता है। आयुर्वेद में पोषक तत्वों के अवशोषण की प्रक्रिया को बेहतर बनाने पर काम किया जाता है, न कि सिर्फ सप्लीमेंट्स के सेवन पर। इसमें पाचन को दुरुस्त करना और पाचन अग्नि में सुधार करना भी शामिल है। हालांकि, दवा के तौर पर कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां भी दी जाती हैं।
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