Polio Infection in Hindi: वैक्सीन की मदद से बीमारी और इंफेक्शन से बचने में मदद मिलती है। लेकिन हाल ही में एक मामला सामने आया है जिसमें वैक्सीन खुद ही इंफेक्शन का कारण बन गई। यह मामला है मेघालय का जहां दो साल के बच्चे को पोलियो की वैक्सीन से इंफेक्शन हो गया। देश के उत्तर पूर्वी राज्य मेघालय में एक बच्चे को पोलियो इंफेक्शन होने के बाद, वैक्सीन दी गई और बच्चे को उस वैक्सीन से इंफेक्शन हो गया। यह मामला, चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि भारत पोलियो मुक्त है। लेकिन इस मामले ने लोगों के मन में यह डर पैदा कर दिया है कि कहीं कोविड की तरह, पोलिया भी लौटकर न आ जाए। इस लेख में डॉक्टर से जानेंगे कि पोलियो वैक्सीन से इंफेक्शन होने के क्या कारण हैं और पोलियो की बीमारी से भारत में कितनी सावधानी बरतने की जरूरत है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हॉस्पिटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ राजेश हर्षवर्धन से बात की।
वैक्सीन डिराइव्ड पोलिया के कारण हुआ इंफेक्शन- Vaccine Derived Polio
पोलियो टीकाकारण के बावजूद, दो साल के बच्चे को पोलिया हो जाने से चिंता बढ़ गई है। यह एक असामान्य घटना है। आमतौर पर पोलिया वैक्सीन को सेहत के लिए सुरक्षित माना जाता है। जानकारी के मुताबिक, मेघालय में इस 2 साल के बच्चे को पोलियो वायरस के मॉडिफाइड स्ट्रेन से इंफेक्शन हुआ है। यह एक दुर्लभ घटना है। इस घटना को वैक्सीन डिराइव्ड पोलिया (Vaccine Derived Polio) के नाम से जाना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2014 में भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया था।
क्या है वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो?- What is Vaccine Derived Polio
वैक्सीन में वायरस के कमजोर स्ट्रेन की वजह से इन्फेक्शन हो जाता है। इसे वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो कहा जाता है। यह स्थिति बेहद दुर्लभ है और यह इंफेक्शन, कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चों को होता है। ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब ओरल वैक्सीन का वायरस शरीर के अंदर म्यूटेट होकर इंफेक्शन फैलाने लगता है। वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो के मामले इससे पहले भी भारत में सामने आ चुके हैं। अगर यह इंफेक्शन बच्चे में बढ़ने लगे, तो ये मल या खाने-पीने के जरिए दूसरों में भी फैल सकता है। पोलियो कुछ मामलों में जानलेवा भी साबित हो सकता है।
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क्यों होता है वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो?- Cause of Vaccine Derived Polio
वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो (Vaccine Derived Polio Virus or VDPV) तब होता है जब वैक्सीन में इस्तेमाल किए जाने वाले कमजोर वायरस म्यूटेट हो जाते हैं और फैलने की क्षमता विकसित कर लेते हैं। पोलियो वैक्सीन में इस्तेमाल किए गए पोलियो वायरस को जीवित लेकिन कमजोर किया जाता है। कुछ दुर्लभ मामलों में, यह कमजोर वायरस शरीर के अंदर म्यूटेट हो सकता है और इंफेक्शन फैलाने लगता है। जब किसी क्षेत्र में टीकाकरण की कवरेज कम होती है, तो यह कमजोर वायरस म्यूटेट होकर अन्य व्यक्तियों में फैल सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पोलियो का प्रसार रुक गया है। जिन व्यक्तियों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, उनके शरीर में वायरस लंबे समय तक रह सकता है और इस दौरान वायरस के म्यूटेट होने की संभावना बढ़ जाती है। वैक्सीन-डिराइव्ड पोलियो के अन्य कारणों में- पोषण की कमी, स्वच्छता की कमी और पानी की खराब गुणवत्ता आदि कारण वायरस के संचार को बढ़ा सकते हैं।
वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो का इलाज कैसे किया जाता है?- Vaccine Derived Polio Treatment
बच्चों में वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो एक दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है। अगर बच्चे में पोलिया के लक्षण (Polio Symptoms) जैसे कि मांसपेशियों में कमजोरी, चलने में परेशानी, किसी अंग में लकवा आदि लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर स्टूल और थ्रोट स्वाब के जरिए जांच करते हैं। पोलियो से प्रभावित मांसपेशियों की कमजोरी को कम करने के लिए फिजिकल थेरेपी की मदद ली जाती है। मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन को कम करने के लिए दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। कुछ मामलों में, इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी की मदद ली जाती है। इससे इम्यूनिटी को मजबूत करने में मदद मिलती है। अगर किसी बच्चे में इस इंफेक्शन की पुष्टि होती है, तो उसे तुरंत मेडिकल एक्सपर्ट के पास ले जाना चाहिए क्योंकि समय पर और उचित इलाज के जरिए बच्चे के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।
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क्या भारत में फिर से फैल रहा है पोलियो?- Polio Virus in India
डॉ राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि ऐसा नहीं है कि भारत में पोलियो लौट आया है। पोलियो से बचाव के लिए हर वर्ष स्वास्थ्य विभाग, पोलिया की खुराक देती है ताकि बच्चों को पोलिया वायरस के खिलाफ सुरक्षा दी जा सके। यह डब्ल्यूएचओ का ग्लोबल कैंपेन है जिसे भारत भी फॉलो करता है। मेघालय का पोलिया मामला दुर्लभ है। हालांकि ऐसा नहीं है कि पोलिया वैक्सीन सेफ नहीं है। वैक्सीन सुरक्षित है। कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चों में यह वायरस ब्लड स्ट्रीम में पहुंच जाता है। जानकारी के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग ने मेघालय इलाके में हाई अलर्ट जारी किया है। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने मामले जानकारी देते हुए प्रेस को बताया कि असम के गोअलपारा अस्पताल में जांच होने पर पता चला कि बच्चे को एक्यूट फ्लेसिड पैरालिसिस है। बच्चे के सैंपल्स लेकर उसे जांच के लिए इंडियन कॉउन्सिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुंबई और कोलकाता के सेंटर्स में भेजा गया है। मेघालय के मामले को देखते हुए WHO ने भारत को अलर्ट जारी कर सतर्कता बरतने को कहा है।
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