
देश-दुनिया में फैली महामारी कोरोना वायरस हर घंटे किसी न किसी व्यक्ति को इंफेक्टेड कर रही है। जिसके चलते भारत ही नहीं, बल्कि कई देशों में संपूर्ण लॉकडाउन है। घर में रहकर सोशल डिस्टेंसिंग करने को लेकर सरकार लगातार जनता से अपील कर रही है लेकिन रोजमर्रा की आम जरूरतों और अन्य कारणों से लोग घर से बाहर निकलने को मजबूर हैं। शायद यही वजह है कि कोरोना वायरस से ग्रस्त लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में तेलंगाना का एक व्यक्ति टेकी राम तेजा कोरोना पॉजिटिव पाया गया था, उससे देश के प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने बातचीत कर उसके हाल चाल जानें।
2 मार्च को पाया गया था टेकी राम तेजा कोरोना पॉजिटिव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तेलंगाना के पहले कोरोना मरीज टेकी राम तेजा से फोन पर बात की। टेकी राम तेजा का 2 मार्च को COVID-19 टेस्ट पॉजिटिव पाया गया था। जिसके बाद टेकी राम तेजा का गांधी हॉस्पिटल में इलाज चला और दो हफ्ते बाद वह ठीक होकर वापस घर लौट आया।
'मन की बात' में की पीएम मोदी ने टेकी राम तेजा से बात
पीएम मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम में उन्होंने फोन के जरिये तेलंगाना के कोरोना मरीज रहे टेकी राम तेजी से बात की। जिसमें पीएम मोदी ने टेकी राम से उनके कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद के अनुभव जानें।
टेकी राम ने बताया कि वह कोरोना पॉजिटिव होने के बाद बहुत डर गया था लेकिन गांधी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उसे सर्पोट किया और उसकी अच्छी देखभाल की। आगे टेकी राम तेजा ने बताया कि रिकवरी के बाद उसे होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई। टेकी ने कहा, सोशल डिस्टेंसिंग रखना और हाथों को बार-बार धोना कोरोना से बचाव का एक तरीका हैं।
टेकी राम ने बताया कि वह दुबई से लौटा था, जिसके बाद 3-4 दिन बाद उसे बुखार आने लगा और डॉक्टर से टेस्ट कराने पर वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया। जिसके बाद वह 14 दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद डिस्चार्ज हो गये। टेकी राम ने कहा, अच्छी बात यह थी कि मेरे परिवार के लोगों का कोराना टेस्ट नेगेटिव आया। मेरी हालत में सुधार होता, तो डॉक्टर मेरे परिवार को भी इसकी जानकारी देते रहे, जिससे कि सब कुछ ठीक चला।
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इलाज कर रहे डॉक्टर्स और नर्सों से भी की पीएम मोदी ने बात
पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में COVID-19 के मोर्चे पर डटे डॉक्टर और नर्स से भी बात की। यहां आप वीडियो के माध्यम से पीएम मोदी और कोरोना के इलाज कर रहे डॉक्टर के बीच की बात सुनें।
Several professionals like Dr. Gupta are at the forefront of battling COVID-19. India salutes them for their hardwork and tenacity.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 29, 2020
During today’s #MannKiBaat I spoke to him. This is what he said... pic.twitter.com/tIqmDVhakd
वहीं एक नर्स ने भी अपना अनुभव साझा किया जिसमें नर्स का कहना है, ईमानदारी से, जब हम सभी नर्सों को COVID-19 से लड़ने के लिए अस्पताल में सेवा के लिए बुलाया गया, तो मैं डर गई। मेरी 2 बेटियां और एक पति है, जिनके स्वास्थ्य की मुझे चिंता थी। उस समय, मेरा 4 वां ग्रेडर सिर्फ खुश था कि उनकी परीक्षा रद्द हो गई थी। मेरी बेटी ने मुझसे रिपोर्ट न करने की भीख माँगी। मैं उसे आश्वस्त कर रहा थी कि मैं ठीक हूं, क्योंकि जब ड्यूटी के लिए फोन किया जाता है, तो आप दिखाते हैं कि कोई योजना नहीं है। इसलिए मेरे पति ने घर संभाल लिया और मैं काम पर निकल गई।
अस्पताल जाना कठिन था, क्योंकि टैक्सियों या बस में जोखिम अधिक था। इसलिए मेरे पति ने मुझे छोड़ दिया, लेकिन उसके बाद अन्य नर्सों और मैंने कारपूल करने का फैसला किया, लेकिन हमने महसूस किया कि अस्पताल में रहना हमारे लिए सबसे अच्छा था।
पहला दिन था काफी मुश्किल भरा
मुझे अभी भी पहला दिन याद है - रोगियों को भर्ती करना, बिस्तर बांटने और रोगियों को शांत करने के बीच ... यह युद्ध क्षेत्र जैसा था। हमें आराम करने के लिए एक मिनट भी नहीं मिला। लेकिन हमें सबसे मुश्किल काम परिवारों को अलग रखना था। मैं पुणे के एक दंपति को संभाल रही थी, जो मुझे अपने बच्चों के पास घर जाने के लिए छोड़ने के लिए विनती कर रही थी। लेकिन मैं नहीं कर सकता थी। यह दिल दहला देने वाला था।
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मैंने अपने बच्चों के बारे में सोचा और मैंने उन्हें याद किया। मुझे घर गये हुए 5 दिन हो गए थे। वे यह सुनिश्चित करने के लिए फोन करते रहे कि मेरे पास मेरा मास्क है, मैं खाना खा रही हुं, लेकिन उनकी कॉल केवल कुछ सेकंड तक होती थी।
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