
कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे है सफाईकर्मी और पुलिस की सेवा में जुटा रहा पुणे का एक 26 वर्षीय युवक। मुफ्त में बांटे थे मास्क, सैनिटाइजर और खाना।
क्या : लॉकडाउन में मास्क, सैनिटाइजर और भोजन वितरित किया।
क्यों : मानवता के लिए दोस्तों के संग मिलकर की निस्वार्थ सेवा
किसी ने सच ही कहा है, 'देश सेवा के लिए आपको सीमा पर युद्ध करने जाने की जरूरत नहीं है आप अपने समाज में ही रहकर भारत माता की सेवा कर सकते हैं।' सीमा पर हमारे जवान देश के दुश्मनों और आतंकियों से लड़ते हैं तो वहीं समाज में रहने वाला सिपाही देश में मौजूद भुखमरी, गरीबी और बीमारी के लिए लड़ता है। ऐसे सिपाही हमारे और आपके बीच में ही होते हैं। इसके लिए न तो उन्हें किसी वर्दी की जरूरत होती है और न ही किसी डंडे की। क्योंकि मजबूत इरादा और जज्बा ही उनका सबसे बड़ा हथियार होता है। देश सेवा का जज्बा लिए पुणे (महाराष्ट्र) का एक 26 वर्षीय युवक अपने चाचा के साथ मिलकर कोरोना वायरस के खिलाफ छिड़ी जंग में निस्वार्थ भाव से आज भी अपना योगदान दे रहा है। इस युवक ने खासकर लॉकडाउन में 25 लोगों की अपनी टीम के साथ सफाई कर्मचारियों और पुलिस कर्मियों को, पुणे की सड़कों पर मुफ्त में हैंड सैनिटाइजर, मास्क और खाना वितरित किया था। ये लोग आज भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
कोरोना वायरस खिलाफ शुरू की है लड़ाई
26 वर्षीय दर्शन घोष पेशे से शॉर्ट फिल्मों के लेखक हैं। उन्होंने OnlyMyHealth से बातचीत में कहा, "जब प्रधानमंत्री ने 21 दिनों के लॉकडाउन का एलान किया था तो देश की जनता अपने-अपने घरों में चली गई। सड़क पर कोई था तो वह हमारी पुलिस और सफाई कर्मचारी, जो हमें कोरोना वायरस से बचाने के लिए दिन रात ड्यूटी दे रहे थे। इनके अलावा डॉक्टर हैं, जो बीमारी से आज भी लड़ रहे हैं, उनका भी सबसे बड़ा रोल है। मगर हम अभी उनके लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि वह अभी एक बड़े काम को अंजाम देने में जुटे हैं। हम उनके लिए अभी सिर्फ दुआ कर सकते हैं। भविष्य में हमने डॉक्टर्स के लिए कुछ न कुछ जरूर करेंगे। हालांकि हमने पुलिस और सफाई कर्मियों को उनके पास जाकर हैंड सैनिटाइजर और मास्क वितरित किया था। हमनें कोरोनावायरस के खिलाफ ये लड़ाई शुरू की थी, हम इसे तब तक जारी रखेंगे जब तक इसे हरा नहीं देते।"
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दोस्तों के अलावा मंदिर प्रशासन ने की थी मदद
दर्शन घोष ने कहा, "ये काम मेरे अकेले का नहीं था, इसमें 25 लोगों की टीम काम कर रही थी। कुछ मेरे मित्र, पड़ोसी और रिश्तेदार थे। सभी अपनी क्षमता के अनुसार योगदान करते थे, कुछ लोग सैनिटाइजर की व्यवस्था करते थे तो वहीं कुछ लोग मास्क जुटाने का काम करते थे, इसके बाद हम एक से दो लोग अलग-अलग जगहों पर जाकर इनका वितरण करते थे। इस काम को हम 22 मार्च से शुरु किया था। पूरे लॉकडाउन में हमने किया। अब तक हमने 300 से ज्यादा लोगों को मास्क वितरित किया है, करीब 100 लोगों को सैनिटाइजर की छोटी बॉटल बांटे हैं। हम बूंद-बूंद कर भी सैनिटाइजर देकर हाथों को सैनिटाइज कराते हैं।"
दर्शन आगे कहते हैं, "मास्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था तो हम स्वयं करते थे लेकिन खाने का इंतजाम हम लोग एक खंदोबा मंदिर के माध्यम से होता था। खाना बनाने का काम मंदिर परिसर में होता था, जिसमें हम सभी श्रमदान करते थे। भोजन तैयार करना और पैक कर के वितरित करने की जिम्मेदारी हमारी होती थी।"
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चाचा से मिली प्रेरणा
दर्शन ने कहा, इस काम को करने की प्रेरणा उन्हें उनके चाचा गणेश घोष से मिली। गणेश पुणे में ही एक छोटी सी टेलीकॉम कंपनी चलाते हैं। दर्शन ने बताया कि हमारे घर में बच्चों को बचपन से ही देश सेवा का भाव जागृत किया गया है। हमारे लिए सबसे पहले देश और हमारे समाज में रहने वाले वे लोग हैं जो देश प्रेम की भावना से काम कर रहे हैं। यही प्रेरणा हमें ऐसे कार्यों को करने के लिए ताकत देती है। दर्शन ने कहा, हम उन लोगों की सेवा कर रहे हैं जो देश की सेवा में जुटे हैं।
Maharashtra: A man, Darshan Ghosh, distributes food & sanitizers to sanitation workers in Pune. Ghosh says, "We are trying to take care of people who are taking care of the country and ensuring that we stay home comfortably". #CoronavirusLockdown pic.twitter.com/jSBfCoL2gE
— ANI (@ANI) March 26, 2020
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