प्रेग्नेंसी में महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलावों होते हैं। इस दौरान प्लेसेंटा (Placenta) एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग होता है, जो मां और गर्भ में पल रहे शिशु के बीच पोषण और ऑक्सीजन के आदान-प्रदान का कार्य करता है। प्लेसेंटा महिला की गर्भाशय की दीवार से चिपका होता है और दूसरी तरफ गर्भनाल (umbilical cord) के माध्यम से शिशु से जुड़ा होता है। लेकिन कुछ मामलों में प्लेसेंटा से जुड़ी जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता हैं। इस लेख में साईं पॉलिक्लीनिक सीनियर गाइनक्लॉजिस्ट डॉक्टर विभा बंसल से जानते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान प्लेसेंटा से जुड़ी कौन-कौन सी समस्याएं हो सकती हैं, उनके लक्षण, कारण और सावधानियां क्या होती हैं?
प्रेग्नेंसी में प्लेसेंटा से जुड़ी क्या समस्याएं हो सकती हैं? - Placenta Related Problems During Pregnancy In Hindi
प्लेसेंटल एब्रप्शन (Placental Abruption)
यह स्थिति तब होती है जब प्लेसेंटा डिलीवरी से पहले गर्भाशय की दीवार से आंशिक या पूर्ण रूप से अलग हो जाता है। इससे शिशु को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की पूर्ति बाधित होती है और महिला को गंभीर ब्लीडिंग हो सकती है। इस दौरान महिला को पेट में तेज दर्द, वेजाइनल ब्लीडिंग, शिशु की हलचल कम महसूस होना, गर्भाशय में अकड़न महसूस हो सकती है।
प्लेसेंटा प्रिविया (Placenta Previa)
इस स्थिति में प्लेसेंटा गर्भाशय के निचले हिस्से में स्थित होता है और गर्भाशय के मुंह (cervix) को आंशिक या पूरी तरह ढक सकता है। इससे सामान्य डिलीवरी में बाधा आ सकती है और डिलीवरी से पहले ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है। इस दौरान महिलाओं को गर्भावस्था के दूसरे या तीसरे तिमाही में बिना दर्द के ब्लीडिंग, अधिक आराम के बावजूद बार-बार ब्लीडिंग हो सकता है। प्रेग्नेंसी में महिलाओं को गर्भपात और मल्टीपल प्रेग्नेंसी का जोखिम रहता है।
प्लेसेंटा एक्रेटा (Placenta Accreta)
इस स्थिति में प्लेसेंटा बहुत गहराई से गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है, जिससे डिलीवरी के समय प्लेसेंटा को अलग करना कठिन हो जाता है और अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा रहता है।
रेटेन्ड प्लेसेंटा (Retained Placenta)
डिलीवरी के बाद प्लेसेंटा का कुछ हिस्सा गर्भाशय में रह जाता है, जिससे संक्रमण या अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है। इसमें महिलाओं को डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग का रुकना नहीं, बुखार या संक्रमण, पेट में लगातार दर्द हो सकता है।
इंसफिशिएंट प्लेसेंटा (Placental Insufficiency)
इसमें प्लेसेंटा शिशु को आवश्यक पोषण और ऑक्सीजन देने में सक्षम नहीं होता, जिससे शिशु का विकास प्रभावित होता है। इस दौरान महिलाओं को शिशु की हलचल कम महसूस होना, शिशु का वजन अपेक्षा से कम और बच्चे की ग्रोथ रुकने की समस्या हो सकती है।
इस दौरान महिलाओं को क्या सावधानियां और बचाव बरतने चाहिए - Prevention Tips Of Placenta Problems During Pregnancy In Hindi
- प्रेग्नेंसी के दौरान नियमित प्रसवपूर्व जांच कराना चाहिए।
- हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को कंट्रोल रखें।
- धूम्रपान, शराब और ड्रग्स से दूर रहें।
- पेट पर किसी भी प्रकार की चोट से बचाव करें।
- पर्याप्त आराम करें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें।
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गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा से जुड़ी समस्याएं बहुत गंभीर हो सकती हैं। लेकिन, समय पर जांच और सही देखभाल से इन जटिलताओं को कम किया जा सकता है। यदि गर्भावस्था के दौरान कोई असामान्य लक्षण महसूस हो, जैसे रक्तस्राव, पेट दर्द या शिशु की हलचल में कमी, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
FAQ
गर्भावस्था में हार्मोनल परिवर्तन के लक्षण क्या हैं?
गर्भवती होने के तुरंत बाद, हार्मोनल परिवर्तन आपके स्तनों को संवेदनशील या दर्दनाक बना सकते हैं।गर्भावस्था के दौरान पेट में दर्द क्यों होता है?
प्रेगनेंट होने पर पेट में दर्द कई कारणों से हो सकते हैं। इनमें सबसे आम कारणों में बढ़ते गर्भाशय का खिंचाव, कब्ज, गैस और ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन, आदि। यह दर्द हल्का हो सकता है, या कभी-कभी थोड़ा अधिक तीव्र महसूस हो सकता है।
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