वैज्ञानिकों का मानना है कि मनुष्यों में सूअरों के दिल को प्रत्यारोपित करना संभवतः वास्तविकता के करीब हो सकता है। क्योंकि बबून (बंदर की एक प्रजाति वाला जीव) पर एक हालिया परीक्षण किया गया था जिसके परिणाम काफी संतोषजनक थे, जिसके आधार पर शोधकर्ताओं इस नए अध्ययन खास बताया है। दरअसल, 2016 के आंकड़ों की बात करें तो ह्रदय रोगों से पुरुषों की सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर डिमेंशिया और अल्जाइमर रोग मौत का कारण है। ऐसे में ये शोध स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी मायने रखता है।
ह्रदय रोगों के सबसे आम रूपों में कोरोनरी हृदय रोग होता है जिसमें रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं। दिल का दौरा तब होता है जब अंग में रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है या कट जाता है। प्रत्यारोपण दिल की विफलता वाले मरीजों के लिए एकमात्र दीर्घकालिक चिकित्सा समाधान माना जाता है। लेकिन हृदय प्रत्यारोपण के लिए अंगों की कमी एक बड़ी चुनौती है। हजारों लोग ह्रदय प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में हैं, और वर्तमान आपूर्ति केवल कुल मांग के एक छोटे प्रतिशत संख्या को मिलती है।
इस मांग को पूरा करने के लिए वैज्ञानिक सूअरों की ओर देख रहे हैं, उनके रिसर्च में ये साबित हुआ है कि सुअर के ह्रदय मानव में प्रत्यारोपण कर सकते हैं। इसके लिए वैज्ञानिक काफी आशांवित हैं। और जर्मनी के वैज्ञानिकों की एक टीम का मानना है कि हम आनुवांशिक रूप से मॉडिफाई कर सुअर के ह्रदय को बाबूनों में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट करना एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
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हाल ही में प्रकाशित पत्रिका नेचर ने कहा कि, इसमें आगे परीक्षण की आवश्यकता है, ऑपरेशन "मानव रोगियों में सुअर दाता दिल के क्लिीनिकली उपयोग की दिशा में एक प्रमुख कदम" का प्रतिनिधित्व करता है।
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पिछले परीक्षणों में जितनी life-supporting transplant surgery हुई है उनका जीवनकाल 57 दिन का था जबकि जिन बबून में सुअरों का ह्रदय ट्रांसप्लांट किया गया था तो बबून 945 दिन जीवित रहे। लेकिन ब्रूनो रीचर्ट की अगुवाई में लुडविग मैक्सिमिलियन यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख की एक टीम ने लाइफ-सपोर्टिंग पिग-टू-बाबून दिल प्रत्यारोपण के दृष्टिकोण को काफी सुधार दिया है।
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