शोधकर्ताओं ने हाल ही में टाइप-1 और टाइप-2 टायबीटिज से पीड़ित लोगों में कैंसर के किसी प्रकार का खतरा बढ़ने के कारण की पहचान कर ली है। इस अध्ययन को 'अमेरिकन केमिकल सोसायटी फॉल 2019 नेशनल मीटिंग' में प्रस्तुत किया जाएगा। इस अध्ययन में पाया गया है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों में डीएनए अधिक नुकसान का कारण बनता है और अक्सर जब ब्लड शुगर सामान्य या फिर स्वस्थ स्तर पर होता है तो उसके मुकाबले अधिक होने पर लोगों को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इस कारण ब्लड शुगर डायबिटीज से पीड़ित किसी भी व्यक्ति में कैंसर के खतरा को बढ़ा देता है।
मुख्य शोधकर्ता जॉन टेरमिनी का कहना है , ''बरसों से ऐसा माना जाता है कि वे लोग, जो डायबिटीज से जूझ रहे हैं उनमें कुछ विशेष प्रकार के कैंसर का जोखिम 2.5 गुणा तक बढ़ जाता है। इन कैंसर में ओवेरियन, स्तन, किडनी और अन्य प्रकार के कैंसर शामिल हैं।'
वैज्ञानिकों को अंदेशा है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों में कैंसर के बढ़ते खतरे के पीछे का कारण हार्मोनस का अनियंत्रण है। टेरमिनी ने बताया, '' टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में उनका इंसुलिन गलूकोज को कोशिकाओं में प्रभावी रूप से नहीं ले जा पाता है। जिस कारण अधिक और अधिक इंसुलिन बनने लगता है, जिसे चिकित्सा की भाषा में हाइपरइंसुलिनेमिया कहते हैं।''
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ब्लड ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने के अलावा, हार्मोन इंसुलिन कोशिकाओं की वृद्धि को बढ़ा सकता है और संभावित रूप से कैंसर का कारण बन सकता है। इसके अलावा, टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित अधिकांश लोगों का जरूरत से ज्यादा वजन होता हैं, और उनके अतिरिक्त फैट टिश्यू अधिक मात्रा में एडिपोकाइन पैदा करते हैं, जिसके कारण वजन बढ़ने लगता है।
टेरमिनी और उनके सहयोगियों ने रासायनिक रूप से संशोधित डीएनए आधार के रूप एक विशिष्ट प्रकार के नुकसान की पहचान, जिसे एडक्ट के रूप में जाना जाता है। एडक्ट ऊतक संस्कृति और डायबिटीज के रोडन्ट मॉडल में पाया जाना वाला शब्द है।
अध्ययन के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने दरअसल एन 2 (1-कार्बोक्जिथिल) -2'- डीऑक्सीगैनोसिन, या सीईडीजी नाम का एक डीएनए एडक्ट ढूंढ निकाला, जो सामान्य कोशिकाओं या चूहों की तुलना में डायबिटीज से पीड़ित लोगों में अधिक बार होता था।
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अध्ययन में कहा गया, "हाई ग्लूकोज के स्तर के संपर्क में आने से डीएनए एडक्ट और उनके रिपेयर की संभावना दोनों कम हो जाती है। इन दोनों के संयोजन से जीनोम अस्थिरता और कैंसर की उत्पत्ति हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाने की कोशिश कि क्यों एडक्ट को कोशिकाओं द्वारा ठीक से फिक्स नहीं किया जा रहा था। उन्होंने ऐसे दो प्रोटीन HIF1a या mTORC1 की पहचान की, जो इसमें शामिल होते दिखाई दिए और दोनों ही डायबिटीज में कम गतिविधियां करते हैं।
टर्मिनी के मुताबिक, कई दवाएं HIF1a या mTORC1 को उत्तेजित करती हैं, जो पहले से ही उनमें मौजूद होता है। शोधकर्ताओं ने इस बात का भी पता लगाने की योजना बनाई है कि क्या ये दवाएं डायबिटीज से पीड़ित पशुओं में कैंसर को कम कर सकती हैं और अगर ऐसा होता है तो वे इसका प्रयोग मनुष्यों पर भी करेंगे।
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