
इससे पहले कि हम आक्सीडाइस्ड कोलेस्ट्रोल के बारे में जानें यह जान लेना आवश्यक है कि कोलेस्ट्रोल क्या है? कोलेस्ट्रोल असल में वैक्स यानी मोम जैसा पदार्थ है जो प्राकृतिक रूप से हमारे शरीर में बन जाता है। कोलेस्ट्रोल हमें रोजमर्रा में लिए जाने वाले आहार से भी प्राप्त होता है।

आक्सीडाइस्ड कोलेस्ट्रोल क्या है -
यदि हमारे रक्त प्रवाह में कोलेस्ट्रोल बनने लगे तो इससे एक अन्य पदार्थ उत्पन्न होता है जिसे प्लाक कहते हैं। प्लाक धमनी की परतों में जमा होता है। इससे हमारे हृदय में रक्त प्रवाह में दिक्कतें आने लगती हैं। यदि प्लाक टूट जाए तो रक्त के थक्के जम सकते हैं। यही नहीं यदि रक्त के थक्के रक्तवाहिनी के बीच आए तो हृदयाघात भी हो सकता है। बहरहाल आक्सीडाइस्ड कोलेस्ट्रोल उसे कहते हैं जो खतरनाक तरीके से धमनियों में बनने लगते हैं। वास्तव में आक्सीकरण कोलेस्ट्रोल कोशिकाओं के लिए बहुत हानिकारक हैं। असल में आक्सीकरण सामान्य शरीर की महज एक प्रक्रिया है; लेकिन जब कोलेस्ट्रोल अधिक मात्रा में बनने लगे तो वह खतरनाक रूप इख्तियार कर सकता है।
वजहें -
आक्सीकरण कोलेस्ट्रोल बनने की मोटामोटी तीन वजहें हैं। अधिक तेलयुक्त आहार लेना मसलन फ्रेंच फ्राइज़, फ्राइड चिकन आदि। पोलीअनसेच्युरेटेड फैटी एसिड का अधिकता में सेवन करना जो कि वानस्पतिक तेल में मिलता है। तीसरी वजह है सिगरेट का सेवन करना। असल में ट्रांस फैट शरीर के लिए खतरनाक है। ट्रांस फैट हमें वेजीटेबल आयल से आसानी से मिल जाता है। प्रोसेस्ड फूड भी हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं। अतः इसे भी कम से कम ही खाना चाहिए।
खतरें -
- रक्तवाहिनी सख्त होना - असल में स्वस्थ रक्तवाहिनी के भीतरी लाइनिंग जिसे इंडोथीलियम कहा जाता है, यह स्मूद और नर्म होती हैं। लेकिन कोलेस्ट्रोल के कारण यह सख्त होने लगती हैं। इसके अलावा रक्तचाप और चोट लगने से भी रक्तवाहिनी प्रभावित होती है।
- हृदयाघात - जैसा कि पहले ही जिक्र किया गया है कोलेस्ट्रोल के बढ़ने से सबसे ज्यादा खतरा हृदयाघात का होता है। कोलेस्ट्रोल रक्त प्रवाह में अड़चनें डालता है। ऐसे में जरूरी है कि हम शरीर में कम से कम कोलेस्ट्रोल बनने दें। ऐसे आहार से बचें जो कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में जिम्मेदार होते हैं।
- स्ट्रोक - प्लाक के कारण मस्तिष्क तक आक्सीजन पहुंचने और रक्त प्रवाह में दिक्कतें आती हैं। नतीजतन स्ट्रोक होने का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। इसलिए सुनिश्चित करें कि धमनियों में रक्त के थक्के न जम सकें।
- पाचन तंत्र प्रभावित होना - कोलेस्ट्रोल पित्त में असंतुलन बना देता है जिससे कि पित्त में पथरी होने का खतरा बढ़ जाता है। नेशनल डाइजेस्टिव डीजीज इन्फोर्मेशन क्लियरिंगहाउस के मुताबिक 80 फीसदी गैलस्टोन कोलेस्ट्रोल स्टोन ही होते हैं।
- पैर संवेदनशून्य होना - यदि कोलेस्ट्रोल बढ़ जाए तो पैरों में संवेदनशून्यता आ सकती है। जिससे हमें सहज चलने फिरने में दिक्कतें महससू होने लगती हैं।
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