भारत में कोरोनावायरस का प्रकोप लगातार जारी है। स्वास्थ मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में कोरोना मरीजों की संख्या पहुंचकर 11,18,043 हो चुकी है, जिसमें कुल एक्टिव केसेज 3,90,459 हैं। अब तक 27,497 लोगों की मौत और 7,00,087 लोगों का उपचार हो चुका है। पर इसी बीच एक बड़ी राहत की खबर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से आई है, जहां कोरोना वैक्सीन के परीक्षण के बेहद उत्साहपूर्ण नतीजे सामने आए हैं। एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से विकसित किए जा रहे वैक्सीन 'चडॉक्स एनसीओवी-19' के पहले चरण के ट्रायलों के परिणामों में पता चला है कि वैक्सीन ने वॉलिन्टियर्स के शरीर में न सिर्फ वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित किए हैं, बल्कि इम्यून सिस्टम के सबसे जरूरी कोशिका टी-सेल्स (T-cells) के स्तर को भी बढ़ा दिया है।
लांसेट पत्रिका ने दी इसकी जानकारी
कोरोनावायरस के खिलाफ इन सकारात्मक ट्रायल की जानकारी प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिका दी लांसेट ने दी है। रिपोर्ट में लांसेट ने बताया है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वॉलिन्टियर्स को दिए गए वैक्सीन की डोज में इन प्रतिबागियों के शरीर में वायरस को रोकने के लिए एंटीबॉडी पैदा हुए हैं। इसके बाद इन्हीं प्रतिभागियों में टी-सेल की भी बढ़ोतरी दिखी।
Oxford’s Covid-19 vaccine produces a good immune response, reveals new study.
— University of Oxford (@UniofOxford) July 20, 2020
Teams at @VaccineTrials and @OxfordVacGroup have found there were no safety concerns, and the vaccine stimulated strong immune responses: https://t.co/krqRzXMh7B pic.twitter.com/Svd3MhCXWZ
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लांसेट की मानें, तो ट्रायल के दौरान इन प्रतिभागियों को पहला डोज 28 दिन के दौरान दिया गया, जिसमें उनके शरीर ने एंटीबॉडी विकसित किए, जो 56 दिन तक शरीर में ऐसे ही रहा। फिर कुछ लोगों को दूसरा डोज दिया गया, जिससे इम्यूनिटी बिल्ड करने पर नजर रखी गई। लांसेट के मुताबिक, ट्रायल में शामिल हाई डोज वाले 253 वॉलिन्टियर्स में से 183 में वैक्सीन के पॉजिटिव परिणाम देखने को मिले।
रिसर्च पेपर में बताया गया कि वैक्सीन में जो वायरल वेक्टर इस्तेमाल किया गया है, उसमें SARS-CoV-2 का स्पाइक प्रोटीन है। दूसरे फेज 1/2 में 5 जगहों पर 18-55 साल की उम्र के लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया। कुल 56 दिन तक चले ट्रायल में 23 अप्रैल से 21 मई के बीच जिन लोगों को वैक्सीन दी गई थी उनमें सिरदर्द, बुखार, बदन दर्द जैसी शिकायतें पैरासिटमॉल से ठीक हो गईं। ज्यादा गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं हुए।
Results of phase 1/2 Oxford Covid-19 Vaccine trial published. Editor in Chief of UK based medical Journal ‘The Lancet’ says it is “safe, well-tolerated and immunogenic.” pic.twitter.com/8SyI97Dqgb
— ANI (@ANI) July 20, 2020
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अगले चरण के लिए सुरक्षित
इसके साथ ही इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ChAdOx1 nCoV-19 के नतीजे सुरक्षा मानकों के अनुसार हैं और ऐंटीबॉडी रिस्पॉन्स भी पैदा कर रहे हैं। ये नतीजे ह्यूमरल और सेल्युलर रिस्पॉन्स के साथ मिलकर इस वैक्सीन को बड़े स्तर पर तीसरे फेज के ट्रायल के लिए कैंडिडेट होने का सपॉर्ट करते हैं। ऑक्सफर्ड की टीम इस वैक्सीन पर ब्रिटेन की फार्मासूटिकल कंपनी AstraZeneca के साथ मिलकर काम कर रही है। Astrazeneca वैक्सीन के लिए एक इंटरनैशनल सप्लाई चेन तैयार कर रही है।
बता दें कि hAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन काफी तेज़ी से विकसित किया गया है। इस वैक्सीन को जेनेटिकली इंजीनियर्ड वायरस की मदद से तैयार किया गया है। इस वायरस को काफी मोडिफाइड किया गया है ताकि इससे लोगों में संक्रमण नहीं हो और यह काफी हद तक कोरोना वायरस जैसा लगने लगे। वैक्सीन शरीर में कोरोना वायरस जैसा लगने की वजह से इम्यून सिस्टम इस पर हमला करना सीख सकता है और खुद को कोरोनावायरस से लड़ने के लिए तैयार कर सकता है। तो उम्मीद करते हैं कि ये वैक्सीन ऐसी ही आगे भी कामयाब हो और जल्द से जल्द दुनिया को इस महामारी से निजात मिल सके।
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