कोरोनावायरस महामारी का कहर पूरी दुनिया में जारी है। भारत में कोरोना मामलों की संख्या 52 हजार के पार हो गई है, वहीं पूरी दुनिया में ये आंकड़े अब 4 लाख होने के करीब आ गए हैं। चिंता की बात ये है कि वक्त बढ़ने के साथ ये बीमारी बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है और संक्रमण का अब तक कोई निश्चित इलाज नहीं ढूंढा जा सका है। हालांकि दुनियाभर के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इस बीमारी का निश्चित और पुख्ता इलाज ढूंढने की कोशिश में दिन-रात लगे हुए हैं और कई देशों का दावा है कि उन्होंने इसका इलाज ढूंढ भी लिया है। इलाज की बात आते ही हमारे दिमाग में आमतौर पर दो ही शब्द आते हैं, पहला दवाई और दूसरा वैक्सीन। पर क्या आप जानते हैं ये दोनों अलग-अलग चीजें हैं।
वैक्सीन और दवाई के बीच क्या है फर्क?
वैक्सीन और दवा में फर्क को बेहद आसान शब्दों में समझें तो, यह है कि पहला प्रिवेंशन यानी कि बीमारी से बचाव के लिए इस्तेमाल होता है और दूसरा बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होता है।
वैक्सीन (Vaccine)
वैक्सीन किसी भी बीमारी से बचाव का एक ऐसा तरीका है, जिसकी मदद से व्यक्ति में शुरुआत से ही बीमारी के प्रति इम्यूनिटी विकसित की जाती है। वैक्सीन की मदद से सुनिश्चित किया जा सकता है कि भविष्य में संबंधित बीमारी दोबारा न हो। इसके लिए लोगों को वैक्सीन दिया जाता है, जो शरीर में इसके प्रति इम्यूनिटी विकसित कर देता है। यानी कि वैक्सीन एक लंबे समय तक बचाव का तरीका है। वैक्सीन आमतौर पर इंजेक्शन के जरिए शरीर में डायरेक्ट इंजेक्ट करके दी जाती है।
दवा (Medicine)
दवाई इलाज का एक तरीका है। दवाई तब दी जाती जब व्यक्ति को वो संबंधित बीमारी हो जाती है। दवाईयां कई तरह से होती है। खाने वाली, पीने वाली, सुई से इंजेक्ट की जाने वाली और नाक के अंदर से डालने वाली। वहीं दवाई खाकर ठीक होने के बाद इस बात का भरोसा नहीं दिलाया जा सकता कि व्यक्ति को ये बीमारी दोबारा नहीं होगी। यानी दवाई एक दम से शरीर पर काम तो कर जाती है, पर वक्त बीतने के साथ शरीर पर इसका असर घटने लगता है।
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कोरोनावायरस के इलाज में कौन है ज्यादा कारगार?
कोरोना के इलाज में फिलहाल हम न तो दवा खोज पाए हैं, न वैक्सीन। पर अब बात ये आती है कि कोरोना की वैक्सीन ज्यादा कारगार तरीका है बीमारी से बचने का या कोराना की दवाई ज्यादा जरूरी है? तो ऐसे में आ वैक्सीन और दवाईयों के काम के तरीके को ध्यान में रख कर इसका सही उत्तर समझा जा सकता है। आइए हम आपको इसे विस्तार से समझाते हैं।
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वैक्सीन पूरी दुनिया को कोरोना से बचाने के लिए जरूरी है
दुनियाभर में अब तक 38 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। ढाई लाख से ज्यादा की मौत हो चुकी है। वायरस का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसलिए कोरोना की वैक्सीन खोजना बहुत जरूरी इसलिए है कि ये बीमारी आगे और न बढ़े। यानी कि जो संक्रमण से बचे हुए लोग हैं, उन्हें वैक्सीन देकर इससे बचा लिया जाए। वहीं जो पहले से बीमार हैं, उनके लिए वैक्सीन नहीं है। वैक्सीन उनके लिए हैं, जो संक्रमित नहीं हुए हैं ताकि उन्हें इससे इम्यूनिटी विकसित हो जाए और वे भविष्य में संक्रमित न हों।
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दवाई कोरोना पीड़ितों को ठीक करने के लिए जरूरी है
दवा का इस्तेमाल तब होता है जब कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है। उसे ठीक करने के लिए ये दी जाती हैं। यानी कि कोरोना पीड़ितों को ठीक करने के लिए दवाई की जरूरत है। हम अगर हम दवा नहीं बना पाएंगे तो पीड़ितों को ठीक करना मुश्किल है। वहीं इन्हीं पीड़ितों से बीमारी बाकी स्वस्थ लोगों तक पहुंच जाएगी और स्वस्थ लोगों को बचाने के लिए वैक्सीन की जरूरत है। कुल मिल कर समझें तो ये दोनों को खोजना ही कोरोना पर जीत पाने का एक सफल रास्ता है।
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