केरल में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार ओणम में हजारों तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाये जाते हैं जिसे 'ओणसद्या' के नाम से जाना जाता है। ओणसद्या देश भर में प्रसिद्ध और लोकप्रिय है। इस दावत 'ओणसद्या' में आमतौर पर 18-26 आइटम शामिल होते हैं जो मुंह में अपना स्वाद छोड़ जाता है। केरल के लोग इस भोज को इतना पसंद करते हैं कि एक 'ओणसद्या' भोज के लिए वह कुछ भी कर सकते हैं। परंपरा के अनुसार, ओणसद्या भोज केले के पत्ते पर परोसा जाता है। भोज में 60 तरह के व्यंजन और 20 तरह के मिष्ठान शामिल हैं जो पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध है।
शरीर को डिटॉक्स करता है 'ओणसद्या' आहार
सांस्कृतिक महत्व के अलावा 'ओणसद्या' के आहार फायदे भी है। यह एक पूर्ण भोजन है, जिसमें शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने वाले सभी तरह के खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं। क्योंकि ओणम करकीदकम के बाद आता है, (हर साल मलयालम महीने करकीदकम के पहले दिन मनाया जाने वाला यह पर्व दरअसल हाथियों का महाभोज है।) यह मानसून का महीना, जब लोगों को डिटॉक्स खाद्य पदार्थों को खाने की सलाह दी जाती है, इसलिए ओणसद्या स्वाद बढ़ाने के साथ सभी अंगों को डिटॉक्स भी करता है।
ओणसद्या के पोषक महत्व
ओणसद्या के पोषण के महत्व को व्यंजन को देखकर ही समझा जा सकता है: चावल और दाल हमारे शरीर के लिए आवश्यक कार्बोहाइड्रेट प्रदान करते हैं। सांभर मौसमी सब्जियों से भरपूर होने के कारण हमारे शरीर की विटामिन आवश्यकताओं को पूरा करता है। अवियल भी मौसमी सब्जियों और नारियल से भरपूर होने के कारण आहार फाइबर से भरपूर होता है और पाचन को दुरुस्त रखता है। रसम, मेरु और जीरे का पानी भी पाचन में सुधार करता है। कालन और पचडी में दही होता है, यह एक ऐसा घटक है जो पेट को शांत करता है। पप्पडम और अचार शरीर की सोडियम की आवश्यकता को पूरा करता है। पायसम में मौजूद चीनी कार्बोहाइड्रेट की आवश्यकता को पूरा करता है।
इस तरह जो भी मूल्य और परंपराएं हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए बनाई है, उसके अंतर्निहित कारण मौजूद होते हैं, जो हमारे लिए फायदेमंद होते हैं और जिसमें हमारी भलाई शामिल होती है।
ओणसद्या सेवन का तरीका
सेवन के अनुसार आइटम को अधिक या कम के क्रम में सूचीबद्ध किया जा सकता है। हल्की भूख के लिए (चिप्स), शुरुआत के लिए (मसूर + घी के पकवान), मुख्य पकवान में (सभी हल्के मसालेदार व्यंजन के साथ चावल), ओलन/कालन जैसे नर्म पकवान), मिठाई (पाल पायसम) पाचन के लिए (रसम, मोरू) और गैस्ट्रिक को आराम पहुंचाने के लिए (दही और चावल जो आमतौर जठरांत्र अंगों को शांत करने के लिए खाया जाता है) पर खत्म होता है। आमतौर पर ओणसद्या में पानी भी दिया जाता है, जो तुलसी और जीरे के साथ उबला हुआ होने के कारण अत्यधिक पाचन और औषधीय गुणों से भरपूर होता है।
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