मोटापे से कैंसर का खतरा बढ़ता है, जिसे विभिन्न प्रक्रियाओं से स्पष्ट किया गया है। लंदन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने पाया कि एक औसत आदमी का हर बार 13 से 16 किलोग्राम वज़न बढ़ने पर छह तरह के कैंसर का ख़तरा बढ़ता जाता है।बीएमआई स्तर की जानकारी होने पर भी मोटापे से बचा जा सकता है।
मोटापे और कैंसर के बीच संबंध
मोटापा, विशेषकर पेट की चर्बी के चलते बदले मेटाबॉलिज्म और एडीपोसाइट से जुड़ी प्रक्रियाओं में परिवर्तन से यह खतरा बढ़ जाता है। मोटापे का एडीपोस टिश्यू से सीधा संबंध है। इससे शरीर में इंसुलिन के काम में रुकावट आती है, सूजन की क्रॉनिक समस्या रहती है और एडीपोकाइन्स (वसा कोशिकाओं से उत्पन्न हार्मोन) के स्रव में फर्क पड़ जाता है। बॉडी मास इंडेक्स में पांच किलो का इजाफा गर्भाशय के कैंसर का रिस्क 62 प्रतिशत बढ़ता है, किडनी (25 प्रतिशत), गॉल ब्लैडर (31 प्रतिशत), सर्विक्स (10 प्रतिशत) और ल्यूकेमिया का रिस्क 9 प्रतिशत बढ़ाता है। इतना ही नहीं, अधिक बीएमआई के कारण लिवर के कैंसर का रिस्क 19 प्रतिशत बढ़ता है, पेट का कैंसर (10 प्रतिशत), ओवरी का कैंसर (9 प्रतिशत) और ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क 5 प्रतिशत बढ़ सकता है।इतना ही नहीं, इस प्रकार के मोटे मरीज की उचित कीमोथेरेपी और उसकी खुराक के बारे में भी वर्तमान में कोई स्पष्ट सहमति नहीं है।
मोटापे को करे निंयत्रित
वजन कम करने के लिए उचित व्यायाम और सैर आदि की जरूरत तो है साथ ही यह ध्यान में रखना भी जरूरी है कि सही मात्रा में उचित प्रोटीन, काबरेहाइड्रेट से परिपूर्ण पोषक पदार्थ भी लिए जाए ताकि कमजोरी आदि आने का खतरा न रहे। मोटापा न बढ़े और वजन भी बहुत कम न हो, यह बीएमआई के अनुसार रहे इसके लिए जरूरी है भोजन में उचित पोषक तथा खाद्य पदार्थ को शामिल करके इसे नियंत्रित किया जाए। उन्होंने कहा कि वजन नियंत्रित करते समय कई बातों का ध्यान रखा जाना जरूरी हैं। यह व्यक्ति विशेष की उम्र, कार्यक्षमता, कार्यक्षेत्र आदि पर निर्भर करता है।
शोध में यह भी साबित हुआ कि मोटापे के कारण कैंसर होने की समस्या पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में है। पुरुषों में 136000 नये मामले मोटापे के कारण कैंसर होने के सामने आये, वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा 345000 का था।
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