शोधकर्ताओं ने एक ऐसी दवा की पहचान की है, जो ऑस्टियोअर्थराइटिस में हड्डियों और कार्टिलेज के बढ़ने को महत्वपूर्ण रूप से रोक सकती है। जर्नल एनाल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि 'एमआईवी-711' ऑस्टियोअर्थराइटिस में बीमारी के बढ़ने को रोक सकती है। 'एमआईवी-711' एक तरह का कैथेप्सिन के प्रावरोधक (cathepsin K inhibitor) है। हालांकि अध्ययन में इस बात पर भी विशेष रूप से जोर दिया गया है कि ये दवा घुटने के ऑस्टियोअर्थराइटिस से संबंधित दर्द को कम करने के लिए प्लेसिबो के मुकाबले ज्यादा प्रभावी नहीं है।
अध्ययन के मुताबिक, घुटने का ऑस्टियोअर्थराइटिस दर्दभरा होता है, जिस स्थिति से विश्वभर में लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं। इस स्थिति के कारण लोगों को ज्वांइट फेल्योर और असमिति दर्द झेलना पड़ता है।
ब्रिटेन की लीड्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने इस अनुमान को जांचने की मांग कि क्या कैथेप्सिन के प्रावरोधक हड्डी और कार्टिलेज की विकृति को कम कर ऑस्टियोअर्थराइटिस के लक्षणों को कम कर सकता है।
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कई केंद्रों पर हुए इस अध्ययन में 244 मरीज शामिल हुए, जिन्हें प्राथिमक रूप से घुटने का ऑस्टियोअर्थराइटिस था। इन लोगों को रोजाना 'एमआईवी-711' का 100 से 200 एमजी डोज दिया गया और 26 सप्ताह तक प्लेसिबो से मिलान किया गया। इस अध्ययन में 'एमआईवी-711' की दक्षता, सुरक्षा और सहनशीलता को मांपा गया।
अध्ययन के मुताबिक, अध्ययन के प्राथमिक निष्कर्षों में दर्द की तीव्रता में बदलाव पाया गया लेकिन बीमारी के बढ़ने में बदलाव को जानने के लिए एमआरआई नतीजों का प्रयोग किया।
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शोधकर्ताओं ने पाया कि प्लेसिबो के मुकाबले 'एमआईवी-711' निम्न रूप से हड्डियों को फिर से तैयार करने, कार्टिलेज घनत्व क्षति,हड्डी पुन: शोषण के निम्न स्तर और कोलेजन की कम क्षति से जुड़ा हुआ है। हालांकि इसका घुटने के ऑस्टियोअर्थराइटिस में दर्द पर कोई फायदेमंद प्रभाव देखने को नहीं मिला है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, 'एमआईवी-711' के संरचनात्मक लाभ की पुष्टि के लिए और जांच की जाने की जरूरत है। साथ ही अभी इस बात का पता लगाना जरूरी है कि ये बीमारी के लक्षणों पर किसी प्रकार का ठोस लाभ पहुंचा सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा हालांकि इसके कार्य आशाजनक हैं लेकिन उन्होंने 'एमआईवी-711' के दीर्घकालिक प्रभावों को पता लगाने के लिए और शोध की जरूरत है।
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