शोधकर्ताओं ने ढूंढा 1 ऐसा प्रोटीन जो बढ़ा देता है इंसानों में आंतों का कैंसर, जानें कारण

शोधकर्ताओं ने हाल ही एक शोध में ऐसे प्रोटीन का पता लगाया है, जो आंतों के कैंसर को बढ़ाने का काम करता है। लेख में जानिए कैसे। 
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शोधकर्ताओं ने ढूंढा 1 ऐसा प्रोटीन जो बढ़ा देता है इंसानों में आंतों का कैंसर, जानें कारण

शोधकर्ताओं ने एक ऐसे प्रमुख प्रोटीन की पहचान की है, जो कई आंतों के कैंसर की वृद्धि को बढ़ावा देता है। शोधकर्ताओं की इस नई खोज से कई घातक बीमारियों से लड़ने के लिए नई थेरेपी के विकास का रास्ता तैयार होगा। जर्नल ऑफ सेल बायोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में खुलासा हुआ है कि इमपोर्टिन-11 नाम का प्रोटीन कैंसर का कारण बनने वाले प्रोटीन बीटा-कैटेनिन को कोलोन कैंसर कोशिकाओं के केंद्र में भेजता है, जहां ये कोशिकाओं के फैलाव को बढ़ाता है।


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    अध्ययन के मुताबिक, इस प्रक्रिया को रोक कर बहुत से कोलोरेक्टल कैंसर की वृद्धि को रोका जा सकता है, जिन्हें आंतों का कैंसर भी कहते हैं। दरअसल ये कैंसर हमारे शरीर में बीटा-कैटेनिन लेवल के बढ़ने से होता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, करीब 80 फीसदी कोलोरेक्टल कैंसर एपीसी (Antigen-presenting cell) नाम के जीन में म्यूटेशेन से जुड़े हुए हैं, जिसके कारण बीटा-कैटेनिन प्रोटीन के लेवल में वृद्धि होती है।

    शोधकर्ताओं का कहना है कि कोशिकाओं के केंद्र में प्रोटीन का जमाव होने के बाद बीटा कैनेटिन के स्तर में वृद्धि कोशिकाओं के फैलाव को बढ़ाती है, जिसके कारण बहुत से जीन सक्रिय हो जाते हैं और कोलोरेक्टल ट्यूमर की वृद्धि को बढ़ाते हैं। लेकिन बीटा कैटेनिन कैसे कोशिकाओं के केंद्र में प्रवेश करता है और कैसे उसका स्तर बढ़ता है, इसकी अधिक जानकारी सामने नहीं आई है।

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    कनाडा की टोरोंटो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टीफन एंगर्स का कहना है,''चूंकि बीटा-कैटेनिन के कोशिकाओं के केंद्र में प्रवेश करने के कारण अभी अस्पष्ट हैं, इसलिए हम कोलोरेक्टल कैंसर कोशिकाओं में निरंतर हो रही बीटा-कैटेनिन की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं ताकि उन आवश्यक जीनों की पहचान की जा सके, जो एपीसी म्यूटेशेन को रोकते हैं।''

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    अध्ययन के मुताबिक, सीआरआईएसपीआर डीएनए तकनीक का प्रयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक इजात की है, जो कोलोरेक्टल कैंसर कोशिकाओं में बीटा कैटेनिन की गतिविधियों का समर्थन करने वाले जीन के लिए उन्हें मानवीय जीन की जांच करने की इजाजत देती है। ये तकनीक एपीसी में म्यूटेशेन द्वारा बढ़े हुए स्तर के बाद प्रयोग की जाती है।

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    स्टीफन और उनके साथियों ने पाया कि इमपोर्टिन-11 बीटा कैटेनिन से जुड़ा हुआ है और एपीसी में म्यूटेशेन के साथ कोलोरेक्टल कैंसर कोशिकाओं के केंद्र में प्रवेश कर जाता है। इमपोर्टिन-11 को इन कोशिकाओं से हटाकर बीटा-कैटेनिन को केंद्र में प्रवेश करने और जीन पर हमला करने से रोका जा सकता है। 

    शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया है कि इमपोर्टिन-11 का लेवल अक्सर मानवीय कोलोरेक्टल कैंसर में बढ़ा हुआ होता है। इसके अलावा इमपोर्टिन-11 को हटाकर ट्यूमर की वृद्धि को रोका जा सकता है, जो रोगियों से अलग की गई एपीसी उत्परिवर्ती कैंसर कोशिकाओं से बनते हैं।

    स्टीफन ने कहा, 'हमारा निष्कर्ष है कि इमपोर्टिन-11 कोलोरेक्टल कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि के लिए बहुत जरूरी होता है।'''

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