JAMA बाल चिकित्सा में प्रकाशित अध्ययन और वरमोंट विश्वविद्यालय और येल विश्वविद्यालय में किये गये अध्ययन में देखा गया कि मोटे बच्चों में सामान्य वजन वाले बच्चों की तुलना में पतले प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स थे। प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स सबसे अधिक कार्यकारी कार्यों से संबद्ध है। जिसमें कि देखा गया कि पतले प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स हाई बीएमआई वाले बच्चों में घटी हुई कार्यकारी क्रिया में एक कारक हो सकते हैं।
वरमोंट विश्वविद्यालय में नर्सिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर जेनिफर लॉरेंट ने कहा, "हमारे परिणाम हाई बीएमआई और बच्चों में विशेष रूप से प्रीफ्रंटल क्षेत्र में एक पतली सेरेब्रल कॉर्टेक्स में एक महत्वपूर्ण संबंध दिखाते हैं।"
अध्ययन उन आंकड़ों पर आधारित था, जो 10 साल की अवधि में 10,000 किशोरों की जांच करते थे। हर दो साल में उनके खून के नमूने दिए जाते हैं और मस्तिष्क के स्कैन किया जाता।
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अध्ययन ने 2017 में 21 एबीसीडी साइटों पर भर्ती किए गए 3,190, 9 से 10 साल की उम्र के बच्चों के परिणामों का विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने अपने पूर्ववर्ती के निष्कर्षों का समर्थन किया, जो हाई बीएमआई वाले प्रतिभागियों के लिए एक खराब काम करने वाली याददाश्त को दर्शाते थे।
जेनिफर लॉरेंट ने कहा, अध्ययन की परिकल्पना यह थी कि सेरेब्रल कॉर्टेक्स की मोटाई बीएमआई और कार्यकारी फ़ंक्शन के बीच संबंध को मध्यस्थ करेगी। अध्ययन के शोधकर्ताओं में से एक ने कहा: "हमें सेरेब्रल कॉर्टेक्स के व्यापक पतले होने का पता चला। यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम जानते हैं कि कार्यकारी कार्य, याददाश्त और योजना बनाने की क्षमता जैसी चीजें मस्तिष्क के उस क्षेत्र में नियंत्रित होती हैं।"
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चूहों के मॉडल और वयस्क अध्ययनों से, यह दिखाया गया है कि मोटापा निम्न-श्रेणी के इंफ्लामेटरी प्रभाव को प्रेरित कर सकता है, जो वास्तव में सेलुलर संरचना को बदल देते हैं और हृदय रोग का कारण बन सकते हैं। मोटापा वास्तव में बच्चों में लंबे समय तक उनके मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है।
लॉरेंट ने कहा, "हम छोटी उम्र में बच्चों के आहार और व्यायाम के स्तर में लगातार बदलाव को प्रोत्साहित करना चाहते हैं, इस समझ के साथ कि मोटापे से केवल हृदय ही नहीं, बल्कि मस्तिष्क भी प्रभावित हो रहा है।"
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