
नये कपड़े पहनने का जोश बचपन में सबसे अधिक होता है लेकिन समय के साथ यह कम नहीं होता है। लेकिन हाल ही में हुए एक शोध की मानें तो नये ड्रेस को बनाने के दौरान केमिकल का उपयोग किया जाता है जिसकी वजह से कपड़ों में हानिकारक विषैले तत्व रहने की संभावना होती है। उन कपड़ों में ये तत्व अधिक रहते हैं जो लंबे समय तक स्टोर में रहते हैं।

स्टोकहोम युनिवर्सिटी द्वारा किये गये इस शोध में यह खुलासा हुआ है। इसके शोधकर्ताओं की मानें तो, हमारे पहनने के लिए बने इन ड्रेस में ऐसे विषैले तत्व पाये जाते हैं जो कि धोने के बाद भी रहते हैं। कपड़े में हेल्थ से जुड़े खतरे को लेकर कई चीजें पायी गई हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि जैविक कॉटन से बने कपड़े में भी नॉन-टॉक्सिक होने की गारंटी नहीं हो सकती।
स्वीडिश और अंतरराष्ट्रीय क्लॉथिंग चैन से लिए गए 60 कपड़ों के सैंपल पर जांच के बाद ये निष्कर्ष निकाला गया। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि कपड़ों में हजारों केमिकल्स मौजूद हैं। शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि, इन केमिकल्स से एलर्जी संबंधी और चर्म रोग संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके आलावा अन्य बीमारियों के साथ-साथ ये केमिकल हमारे आसपास के वातावरण को भी प्रभावित करती हैं।
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