इस बात से तो सभी वाकिफ हैं कि बढ़ती उम्र के साथ याददाश्त में कमी आने लगती है। लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि बार-बार कमजोर याददाश्त के बारे में सोचने या फिर लोगों के अहसास कराए जाने से भूलने की बीमारी बढ़ जाती हैं।
साउदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है। शोधकर्ताओं के मुताबिक अगर किसी उम्रदराज व्यक्ति को उनकी याददाश्त के बारे में नकारात्मक टिप्पणी का सामना करना पड़ता है तो इससे मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ता है। इससे याददाश्त और कमी आने लगती है। इस स्थिति को 'स्टीरियोटाइप थ्रेट' नाम दिया गया है। ठोस निष्कर्ष प्राप्त करने के लिए शोधकर्ताओं ने 59 से 79 वर्ष के उम्रदराज व्यक्तिओं पर एक परीक्षण किया। उन्होंने प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा। पहले समूह को बढ़ती उम्र में गिरती याददाश्त के बारे में फर्जी लेख पढ़ने को कहा गया। वहीं दूसरे समूह के प्रतिभागियों को इस टास्क से दूर रखा गया।
इसके बाद दोनों समूह के प्रतिभागियों की याददाश्त का परीक्षण किया गया। जिन लोगों ने कम होती याददाश्त के बारे में लेख पढ़ा था, उनके मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ा। उनकी याददाश्त में 20 फीसदी की कमी दर्ज की गई। इसके विपरीत लेख नहीं पढ़ने वालों की याददाश्त पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा।
Read More Health News In Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version