
किसी हालात को देखकर या सोचकर डर जाना। उससे बचने की हर संभव कोशिश करना। उन हालात में आते ही हाथ-पैर फूल जाना। फोबिया एक ऐसी समस्या है, जो सिकी भी व्यक्ति को हो सकती है। लेकिन, ज्यादातर लोग इसे पहचान नहीं पाते। वे इससे बचने का हर संभव प्रयास करते हैं। आइये जानें क्या है फोबिया और कैसे शरीर के दर्द निवारक ही इससे बचने का उपाय हो सकते हैं।
क्या है फोबिया
फोबिया एक प्रकार का मानसिक रोग है। इसमें व्यक्ति को किसी खास चीज, काम अथवा हालात के प्रति डर उत्पन्न हो जाता है। व्यक्ति उन चीजों से बचने की कोशिश करता है। फोबिया में अपने डर के बारे में सोचते ही इनसान की मानसिक व शारीरिक क्षमताओं पर बुरा प्रभाव पड़ने लगता है। जरूरी नहीं कि यह डर वास्तविक हो। कई बार काल्पनिक डर भी काफी भयातीत कर देता है। आमतौर पर किसी भी तरह के फोबिया से ग्रस्त रोगी अपने डर पर पर्दा डाले रहते हैं। अपने डर व उस परिस्थिति से सामना करने की बजाय बचने की हर संभव कोशिश करते हैं।
फोबिया के लक्षण
फोबिया पीडि़त आम लोगों की ही तरह ही नजर आते हैं। रोग का पता तभी चल पाता है जब व्यक्ति का या तो अपने डर से सामना होता है या फिर वह कोई उसके बारे में बात करता है। फोबिया पीडि़त व्यक्ति अपने डर से बचने का ही प्रयास करते रहते हैं। वे उन हालातों से दूर रहने की कोशिश करते हैं, जिन से उन्हें डर लगता है। लेकिन, अनजाने में अपना डर सामने आने पर फोबिया का दौरा पड़ने की आशंका बढ़ जाती है।
फोबिया का दौरा पड़ने पर तनाव, बेचैनी, बहुत ज्यादा पसीना आना, हालात से दूर भागने की कोशश करना, सिर में दर्द व भारीपन, अजीब-अजीब सी आवाजें सुनाई देना। फोबिया पीडि़त व्यक्ति की दिल की धड़कन काफी तेज भागने लगती है। उनकी सांसों की रफ्तार तेज हो जाती है और उन्हें चक्कर आने की शिकायत भी हो सकती है। डायरिया, पेट खराब और शरीर में दर्द जैसी परेशानियां भी नजर आ सकती हैं।
इन हालात में रोगी बहुत ज्यादा पेनिक हो जाता है। ऐसी स्थिति में रोगी के साथ किसी भी तरह की जबरदस्ती उसके लिए खतरनाक हो सकती है। जबरदस्ती करने से रोगी और भी ज्यादा पेनिक हो जाता है और उसका डर कोई भी भयंकर रूप ले सकता है।
दर्द निवारकों में छुपा इलाज
मानव शरीर की दर्द निवारक प्रणाली में ही फोबिया (किसी चीज का भय) से लड़ने की क्षमता होती है। एक नए शोध से इस बात का पता चला है। इसकी मदद से जल्द ही शरीर में उत्तेजना और तनाव के लिए जिम्मेदार तंत्रिका प्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की जाएगी।
हैम्बर्ग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने यह अध्ययन किया। इन लोगों ने पाया कि लोगों में भय को बढ़ाने वाले कारक की स्थिति शरीर की दर्द निवारक प्रणाली के चलते ही एक सीमा के बाद कम हो जाती है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में 30 पुरुषों को शामिल किया। इन लोगों को एक एमआरआई स्कैनर की स्क्रीन पर हरे रंग की त्रिकोणीय और नीले रंग की पंचकोणीय आकृतियां दिखाई गईं। इन लोगों में एक आकृति को देखने के आधे समय के भीतर ही दर्द का लक्षण उभरा, जबकि दूसरी आकृति को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।
ब्रेन स्कैन से पता चला कि इस दौरान जिन लोगों की ओपायड (उन्माद पैदा करने वाली तंत्रिकाएं) प्रणाली सक्रिय थी, उनके एमाइग्डेला (मस्तिष्क का एक खास हिस्सा) में भय के लक्षण दिखाई दिए। ऐसे लोगों ने जब भी दर्द के संकेत देखे, उनके एमाइग्डेला में तेज प्रतिक्रिया देखी गई। जबकि, दूसरे ग्रुप के लोगों में ऐसा नहीं हुआ।
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