माता-पिता बच्चे की कई आदतों को लिए जिम्मेदार होते हैं। बचपन में माता-पिता अपने बच्चे को गर्म चीजों और सड़क में दौड़ती गाड़ियों से बचाने के लिए डरा देते हैं। यह छोटी-छोटी आदतें कुछ वर्षों के बाद बच्चों के लिए बड़ी समस्या का कारण बन जाती हैं। बड़े होने के बाद ये आदतें बच्चे के मन में डर का कारण बन सकती हैं। इस वजह से होने एंग्जाइटी बच्चों की लाइफस्टाइल को प्रभावित कर सकती है। ऐसे बच्चों में अंधेरे व भूत का डर देखने को मिलता है। इन बच्चों में चोरी और हिंसा की आदत पनप सकती है। अक्सर बच्चे के डर को माता-पिता और बड़े भाई बहन अनदेखा कर देते हैं और इसे समय के साथ अपने आप ठीक होने वाली आदत मान लेते हैं। लेकिन, हर बच्चा इस डर से समय के साथ बाहर नहीं निकल पाता है। इसलिए इस डर को बच्चे की छोटी आयु में ही दूर करने की आवश्यकता होती है। इस लेख में मदर एंड एंजेल केयर क्लीनिक के पीडियाट्रिशियन डॉ. अजित कुमार से जानते हैं कि बच्चों को एंग्जाइटी और डर के क्या कारण हो सकते हैं। साथ ही, इससे बचाव के उपायों के बारे में भी जानते हैं।
बच्चे को डर होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं?
बच्चे के मन में नकारात्मक विचार आना
बच्चे को एंग्जाइटी और डर होने पर उनके मन में नकारात्मक विचार आने लगते है। बच्चा किसी भी काम को करने से पहले डरने लगता है। साथ ही, वह नए कामों को करने से टालने लगता है। यह एंग्जाइटी के प्रभाव के कारण हो सकता है।
नींद में कठिनाई
बच्चों को सोने में कठिनाई हो सकती है। डर या एंग्जाइटी होने पर बच्चा सोते समय बार-बार उठ सकता है। साथ ही, बच्चे को थकान और कमजोरी महसूस होने लगती है। नींद की कमी की वजह से बच्चा एक एक्टिव हो जाता है।
बच्चे को सिरदर्द होना
बच्चे को एंग्जाइटी और डर लगने के कारण अक्सर सिरदर्द की समस्या देखने को मिल सकती है। इस दौरान बच्चे को पेट दर्द और मांसपेशियों में दर्द की समस्या हो सकती है। साथ ही, बच्चा बार-बार बीमार पड़ सकता है।
सामाजिक गतिविधियों से बचाव
इस दौरान बच्चा दोस्तों के साथ खेलने और सामाजिक गतिविधियों से बचना शुरु कर देता है। कुछ बच्चे एंग्जाइटी में स्कूल जाने से करताने लगते हैं। जबकि, कुछ बच्चों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिलता है, मन में किसी तरह के डर की वजह से बच्चा चुपचाप रहने लगता है, वहीं कुछ बच्चे गुस्सैल प्रवृत्ति के हो जाते है।
अकेला रहने में डरना
एंग्जाइटी या डर की वजह से बच्चा अकेला रहने से बचने लगता है। रात में भी बच्चा अकेला सोने से डरता है। इसके अलावा, वह ज्यादातर समय मां या घर के अन्य सदस्यों के साथ समय बिताने में खुद को सुरक्षित महसूस करता है।
बच्चों को एंग्जाइटी और डर से बचाव के उपाय
- बच्चों को डर की वजह से कोई बदलाव महसूस होने पर माता-पिता को उनके मन की भावनाओं को समझना चाहिए।
- अभिभावकों को बच्चे के साथ खुलकर बात करनी चाहिए।
- बच्चे को सोने से पहले बहादुरी की कहानियां सुनाएं।
- यदि, संभव हो तो अभिभावकों को बच्चे के साथ ही सोना चाहिए।
- बच्चे के मन से डर को दूर करने के लिए उसके कारणों को समझने का प्रयास करना चाहिए।
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Symptoms of anxiety and fear in children: बच्चे के व्यवहार में एंग्जाइटी और डर की वजह से होने वाले बदलावों को दूर करन के लिए अभिभावक डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। यदि, बच्चा बाहर लोगों से मिलने या दूसरे बच्चों के साथ खेलने से कतराता है तो ऐसे में आप किसी काउंसलर की मदद ले सकते हैं।