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क्या चूसनी से बच्चे की बोलने की क्षमता धीमी होती है? डॉक्टर से जानें

छोटे बच्चों के लिए चूसनी (Pacifier) आज भी एक बेहद उपयोगी चीज मानी जाती है, कई माता-पिता इसे बच्चे को शांत रखने, रुलाने से रोकने या सोने में मदद के लिए इस्तेमाल करते हैं। यहां जानिए, क्या चूसनी से बच्चे की बोलने की क्षमता धीमी होती है?
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क्या चूसनी से बच्चे की बोलने की क्षमता धीमी होती है? डॉक्टर से जानें

छोटे बच्चों में पैसिफायर यानी चूसनी का इस्तेमाल बहुत आम है, रोना शांत करना हो, बच्चे को आराम दिलाना हो या उसे सोने में मदद करनी हो, चूसनी कई पेरेंट्स के लिए एक राहत की तरह काम करता है। कई पेरेंट्स तो इसे अपनी रोजमर्रा की पैरेंटिंग का हिस्सा मानते हैं, क्योंकि बच्चे इस पर जल्दी शांत भी हो जाते हैं और खुद को सुरक्षित भी महसूस करते हैं, लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, एक सवाल हर पेरेंट के मन में बार-बार उठने लगता है कि क्या चूसनी का लगातार इस्तेमाल उसके बोलने की क्षमता यानी स्पीच डेवलपमेंट को धीमा कर सकता है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने, हैदराबाद के यशोदा अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ एवं नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. डी. श्रीकांत (Dr. D. Srikanth, Sr. Consultant Pediatrician & Neonatologist, Yashoda Hospitals, Hyderabad) से बात की-


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क्या चूसनी से बच्चे की बोलने की क्षमता धीमी होती है? - Can using pacifiers affect speech development

नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. डी. श्रीकांत बताते हैं कि पेसिफायर यानी चूसनी बच्चे को चूसने की आदत के जरिए आराम दिलाता है लेकिन जब बच्चा बढ़ने लगता है और बोलने-सीखने की उम्र आती है, तब यह चूसने की क्रिया स्पीच पर असर डाल सकती है यदि पेसिफायर का उपयोग लंबे समय तक हो। डॉ. डी. श्रीकांत बताते हैं कि पेसिफायर का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चा इसे कितनी देर और किस उम्र तक इस्तेमाल करता है। यदि माता-पिता पेसिफायर का इस्तेमाल सीमित समय के लिए करें, जैसे सोते समय या अत्यधिक रोने पर, तो यह नुकसान नहीं करता।

इसे भी पढ़ें: इन 5 कारणों से बच्चों को नहीं देना चाहिए पेसिफायर, डॉक्टर से जानें इससे होने वाले नुकसान 

1. जीभ का मूवमेंट प्रभावित

बोलने के लिए जीभ का सही मूवमेंट बेहद जरूरी होता है। यदि बच्चा लंबे समय तक चूसनी मुंह में रखता है, तो उसकी जीभ हमेशा नीचे की ओर दबती रहती है। इससे बच्चे को टंग प्लेसमेंट सही बनाने में दिक्कत आ सकती है, जो स्पीच साउंड्स को प्रभावित करती है।

2. दांतों की शेप में बदलाव

लगातार चूसने से कुछ बच्चों में 'ओपन बाइट' या दांतों का आगे की ओर निकलना देखा जाता है। दांतों की गलत पोजिशन से स, श, ज, च जैसे साउंड्स ठीक से निकलने में दिक्कत हो सकती है।

3. मुंह बंद रहने के कारण बच्चे कम बबलिंग

6-12 महीने की उम्र में बच्चे बबलिंग, गुनगुनाने और साउंड्स की कॉपी करने से बोलना सीखते हैं। यदि चूसनी लगातार मुंह में लगी हो, तो यह नेचुरल बबलिंग को कम कर सकता है।

इसे भी पढ़ें: इन तरीकों से छुड़ाएं बच्चों की पेसिफायर इस्तेमाल करने की आदत, डॉक्टर से जानें

Can using pacifiers affect speech development

बच्चों को चुसनी कब बंद कर देनी चाहिए? - What age is best to take away the pacifier

डॉ. श्रीकांत के अनुसार जन्म से 6 महीने से 1 साल तक पेसिफायर सुरक्षित है और 1 साल की उम्र के बाद पेसिफायर बंद करना बेहतर है। 2 साल के बाद पेसिफायर का जारी रहना स्पीच और दांतों दोनों पर प्रभाव डाल सकता है।

निष्कर्ष

चूसनी बच्चों को आराम और सुरक्षा देती है, लेकिन इसका उपयोग उम्र के अनुसार और सीमित समय के लिए होना चाहिए। लंबे समय तक उपयोग बच्चे की स्पीच डेवलपमेंट, दांतों की पोजीशन और जीभ की मूवमेंट को प्रभावित कर सकता है। इसलिए माता-पिता को सलाह दी जाती है कि बच्चे के 1 साल की उम्र पार करते ही पेसिफायर को धीरे-धीरे छुड़ाने की कोशिश करें और यदि स्पीच में कोई कठिनाई दिखे तो एक्सपर्ट से संपर्क करें।

All Images Credit- Freepik

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FAQ

  • बच्चा कितनी उम्र में बोलना शुरू करता है?

    ज्यादातर बच्चे 12-15 महीनों में अपने पहले शब्द बोलते हैं। 2 साल की उम्र तक वे 2-3 शब्द जोड़कर छोटी लाइनें बनाने लगते हैं।
  • क्या बच्चे को दो भाषाएं बोलना अच्छा है?

    बायलिंगुअल एन्वायरनमेंट से बच्चा दोनों भाषाएं सीख सकता है। थोड़ी देर लग सकती है, लेकिन यह नुकसानदायक नहीं है।
  • 2 साल का बच्चा बोल नहीं रहा है क्या करें?

    रोज उसके साथ बात करें, कहानियां और राइम्स सुनाएं, उसे शब्द दोहराने के लिए प्रेरित करें, स्क्रीन टाइम कम रखें औ साथ में खेलते हुए बातचीत करें।

 

 

 

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  • Current Version

  • Dec 02, 2025 11:09 IST

    Published By : Akanksha Tiwari

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