National Safe Motherhood Day 2024: हर साल 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस (National Safe Motherhood) के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस को मनाने का उद्देश्य महिलाओं की मातृत्व सुरक्षा को बढ़ावा देना है। महिलाओं को सुरक्षित प्रेग्नेंसी, प्रसव और प्रसव के दौरान होने वाली परेशानियों के बारे में जागरूकता फैलाना ही इस दिन का मुख्य उद्देश्य है। साल 2003 में 11 अप्रैल को भारत सरकार द्वारा इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई थी। इस दिन को मनाने की घोषणा करते हुए सरकार की ओर से कहा गया था कि गर्भावस्था और प्रसव के दौरान किसी महिला की मौत न हो, इसलिए इसके प्रति जागरूकता जरूरी है। भारत में बच्चे के जन्म के कारण महिलाओं की मौत के मामले की स्थिति बेहद नाजुक है।
भारत दुनिया में सबसे अधिक मातृत्व मृत्यु दर वाले देशों में से एक है। आंकड़ों के मुताबिक भारत में 12 प्रतिशत महिलाओं की मौत गर्भावस्था, प्रसव और पोस्ट डिलीवरी के बाद होने वाली परेशानियों की वजह से होती है। इसलिए, सुरक्षित और स्वस्थ मातृत्व सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को गर्भावस्था, प्रसव और डिलीवरी के बाद आवश्यक देखभाल के बारे में जागरूक होना आवश्यक है। आइए राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के मौके पर जानते हैं इस दिन की थीम और इतिहास के बारे में।
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का इतिहास- National Safe Motherhood Day History
इस दिन के इतिहास पर नजर डालें तो व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया (White Ribbon Alliance India) के अनुरोध पर साल 2003 में इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई थी। तब से हर 2साल देशभर में एक खास थीम पर इस दिन को मनाया जाता है। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के मौके पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं। शहर, गांव और कस्बों में मेडिकल टीमें जाकर महिलाओं को गर्भावस्था, प्रसव और डिलीवरी के बाद अधिक देखभाल की जरूरत क्यों है, इसकी जानकारी दी जाती है।
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क्यों 11 अप्रैल को ही मनाया जाता है यह दिन?
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस को 11 अप्रैल को इसलिए भी मनाया जाता है, क्योंकि 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सुरक्षित मातृत्व पहल (SMI) के लॉन्च की याद में इस तारीख को चुना गया था। एसएमआई का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित और प्रभावी मातृ और नवजात देखभाल को बढ़ावा देकर दुनिया भर में मातृ और नवजात मृत्यु दर को कम करना है।
इस दिन के खास मौके पर ओनलीमायहेल्थ की टीम अपने सभी पाठकों से अनुरोध करता है, कि वह गर्भावस्था के दौरान, प्रसव और डिलीवरी के बाद उनका विशेष ध्यान रखें। गर्भावस्था के दौरान महिला को एनीमिया की शिकायत न हो, इसके लिए आयरन युक्त आहार खिलाएं। डिलीवरी के बाद तेजी से रिकवरी हो सके, इसके लिए महिलाओं के आहार में पपीता, अजवाइन के लड्डू और पंजीरी जैसी चीजों को शामिल करें।
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