विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day) हर साल 4 मई को मनाया जाता है। ये दिन अस्थमा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए दुनिया भर में आयोजित किया जाने वाला वार्षिक आयोजन है। यह कार्यक्रम अस्थमा के बारे में जागरुकता फैलाने वालों और विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल समूहों के सहयोग से ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (जीआईएनए) द्वारा आयोजित किया जाता है। जैसा कि आप जानते हैं अस्थमा सांस की एक गंभीर बीमारी है, जो कई बार जानलेवा साबित होती है।
पिछले कुछ समय में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण भारत के सभी शहरों में अस्थमा रोगियों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है। इसलिए आज हम आपको इस बीमारी के बारे में कुछ जरूरी बातें बताएंगे।
विश्व अस्थमा रिपोर्ट 2018 के अनुसार, अस्थमा से दुनिया भर में कुल 339 मिलियन लोग पीड़ित हैं और भारत में 6% बच्चे और 2% वयस्क इससे जूज रहे हैं। अगर हम संख्या की बात करें तो अकेले भारत में डब्ल्यूएचओ के अनुसार लगभग 15-20 मिलियन अस्थमा के केस हैं। भारत में आबादी के बड़े हिस्से को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पाती, जिस वजह से अस्थमा के रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
भारत में एक मरीज पर होने वाले खर्च का लगभग 80 फीसदी दवाइयों को खरीदने पर होता है। इस वजह से 2018 में, भारत सरकार ने लगभग 100 मिलियन कम आय वाले परिवारों को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने की घोषण की है ताकि वे अच्छी स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा का खर्च उठा सकें। ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट 2018 के अनुसार, राजस्थान जैसे राज्यों ने सरकारी अस्पतालों के लिए अस्थमा रोगियों को मुफ्त खुराक, सूखे पाउडर वाले इनहेलर कैप्सूल, इनहेलर और नेब्युलाइज़र प्रदान करना अनिवार्य कर दिया है।
अस्थमा कैसे होता है
अस्थमा एक मेडिकल कंडीशन है जिसमें फेफड़ों के वायुमार्ग संकीर्ण हो जाते हैं और अतिरिक्त बलगम का उत्पादन करते हैं। इससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है और रोगियों में घरघराहट, खांसी और सांस की तकलीफ शुरू हो जाती है। अस्थमा का कारण स्थिति और पर्यावरणीय कारकों की वजह से विकसित होना और आनुवांशिक गड़बड़ी दोनों हो सकते हैं। अस्थमा के हमलों के कारणों में दो लोगों में अंतर हो सकता है और इसमें पराग, कण, धूल, पालतू जानवरों के बाल, मोल्ड बीजाणु आदि जैसे पदार्थ शामिल हैं। श्वसन संबंधी विकार, वायु प्रदूषकों के संपर्क आदि के कारण भी यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। कुछ दवाओं, बहुत ज्यादा तनाव, अत्यधिक शारीरिक गतिविधि भी अस्थमा के लिए प्राथमिक ट्रिगर के रूप में काम कर सकती है।
अस्थमा के लिए निवारक उपाय
अस्थमा गैर-संचारी रोग है। इसे दवाओं और अन्य सहायक थैरेपी से नियंत्रित किया जा सकता है; हालांकि पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। इस स्थिति में नियमित निगरानी और उपचार की आवश्यकता होती है। अस्थमा के रोगियों को ट्रिगर्स रोकने के लिए सरल एहतियाती उपाय करने की सलाह दी जाती है। इससे स्थिति को और बिगड़ने से रोका जाता है। इन उपायों में शामिल हैं, डॉक्टर के साथ नियमित फॉलो-अप्स, इन्फ्लूएंजा और निमोनिया का टीकाकरण, एलर्जी और जलन पैदा करने वाले तत्वों की पहचान करना, होम पीक फ्लो मीटर का उपयोग करके श्वास प्रवाह पर नज़र रखना, समय पर निर्धारित दवा लेना और हमेशा अपने साथ एक क्विक रिलीफ इनहेलर रखना। इन सभी उपायों का यदि सावधानीपूर्वक अभ्यास किया जाए तो काफी हद तक अस्थमा के हमलों की फ्रिक्वेंसी को कम करने में मदद मिल सकती है।
अस्थमा का निदान और उपचार
एक सही डायग्नोसिस यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि क्या कोई रोगी अस्थमा या किसी अन्य श्वसन विकार से पीड़ित है। इसके लिए डॉक्टर रोगी की शारीरिक जांच शुरू करता है जिसके बाद एक सटीक डायग्नोसिस के लिए विभिन्न डायग्नोस्टिक टेस्ट किए जाते हैं। इन टेस्ट में फेफड़े के कार्य परीक्षण की जांच शामिल होती हैं, ताकि यह जाना जा सके कि कोई व्यक्ति कितनी हवा को सांस के जरिये अंदर लेता है और कितनी हवा बाहर निकालता है। अतिरिक्त टेस्ट जैसे मेथेकॉलिन चैलेंज, नाइट्रिक ऑक्साइड टेस्ट, इमेजिंग टेस्ट (एक्स-रे, सीटी स्कैन), एलर्जी परीक्षण, स्पक्टम इयोसिनोफिल्स आदि निर्धारित कर सके।
गहन निदान के बाद स्थिति को हल्के, मध्यम या गंभीर चरण में वर्गीकृत किया जाता है और उसके बाद एक व्यक्तिगत ट्रीटमेंट प्लान दिया जाता है। उम्र,रोगी के लक्षण और अस्थमा ट्रिगर्स के आधार पर अलग-अलग दवाएं निर्धारित करते हैं। एंटी-इन्फ्लेमेटरी दवाओं (इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स), ल्यूकोट्रिएन मोडिफायर्स और बीटा एंटागॉनिस्ट्स जैसी दीर्घकालिक दवाएं हर दिन लक्षणों पर जांच रखने के लिए रोगियों को दी जाती हैं। लक्षणों को तुरंत नियंत्रित करने के लिए रोगियों को क्विक-रिलीफ दवाएं दी जाती हैं। साथ ही एलर्जी के लिए दवाएं उन रोगियों को भी दी जाती हैं जिनमें एलर्जी की वजह से अस्थमा होता है।
अस्थमा कुछ लोगों को मामूली तौर पर परेशान कर सकती है, जबकि यह दूसरों के लिए जानलेवा भी हो सकती है। भारत और दुनिया भर के देशों में सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हरसंभव उपाय किए हैं। लेकिन, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि हम में से हर एक को इसे अस्थमा के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करने के लिए हमारी जिम्मेदारी के रूप में विचार करना चाहिए।
यह लेख डॉकप्राइम.कॉम की मेडिकल कंसल्टेंट, डॉक्टर सोफिया जेरेमिया से हुई बातचीत पर आधारित है।
Read More Articles On Other Diseases In Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version