आज के समय में कामकाजी दंपती यूं तो शादी से पहले ही अपने पैसे, निवेश और खर्च के बारे में बातचीत कर लेते हैं मगर कई कपल्स के लिए मनी मैनेजमेंट इतना आसान नहीं होता। पैसे के मामले में पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता का निर्वाह करना जरूरी है, जो आपसी रिश्ते, आर्थिक स्थिति और अन्य जीवन-स्थितियों पर निर्भर करता है। आप चाहे अपने पैसे को अलग इन्वेस्ट करें या जॉइंट ढंग से, थोड़ी सी समझदारी से रिश्ते और फाइनेंस दोनों को बेहतर ढंग से संभाला जा सकता है।
मेरा या तुम्हारा
कुछ दंपती अपना पूरा पैसा जॉइंट अकाउंट में डालते हैं, तो कुछ अपना बजट, अकाउंट और निवेश अलग रखते हैं। यह पर्सनल चॉयस और आपसी समझदारी का विषय है। इन दोनों रास्तों के अलावा एक तीसरी राह भी है, जो पहले दोनों रास्तों को संतुलित बनाती है। इसके लिए लक्ष्य निर्धारित करना होगा और उसी आधार पर निवेश करना होगा।
हमारा पैसा
जानें, यह तीसरा या बीच का रास्ता क्या है। जब कई जिम्मेदारियां सामने हों तो एक जॉइंट अकाउंट बनाएं, ताकि उससे बिल्स भरे जा सकें लेकिन कुछ खर्च पर्सनल भी होते हैं, तो उसके लिए एक अलग अकाउंट रख सकते हैं। इससे बजटिंग में आसानी रहेगी और पर्सनल आजादी या प्राइवेसी भी मेंटेन रहेगी। जिम्मेदारियों का बंटवारा ऐसे करें-
पहले तय करें कि जॉइंट अकाउंट से कौन-कौन से बिल्स भरे जाएंगे
अपने और पार्टनर के खर्च के पैटर्न, आदतों और व्यवहार पर नजर बनाए रखें। यह भी ध्यान रखें कि क्या दूसरे के निवेश और खर्च का तरीका आपको स्वीकार्य है। यही बात तय करेगी कि भविष्य में पैसे को लेकर आप दोनों के संबंध कैसे बनेंगे। शुरू में ही यह बात तय कर लें कि हर महीने जॉइंट अकाउंट में दोनों कितना-कितना पैसा जमा करेंगे। यह दंपती की मासिक आमदनी या आय पर भी निर्भर करता है कि यह अमाउंट बराबर होगा या आय के आधार पर कम या अधिक तय होगा।
जब पार्टनर खर्चीला हो
कई बार दंपती में कोई एक खर्चीला होता है। जब तक स्थितियां ठीक रहती हैं, उनका मनी मैनेजमेंट भी ठीक रहता है लेकिन जैसे ही परिवार की आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव आता है या किसी की नौकरी में परेशानी पैदा होती है तो पैसे और खर्च को लेकर रिश्तों में तनाव होने लगता है। इसलिए जरूरी है कि इमर्जेंसी अकाउंट रखें और उसे विपरीत स्थिति के लिए संभाल कर रखें। स्थिति नियंत्रण से बाहर नजर आए तो रिलेशनशिप काउंसलर या आर्थिक सलाहकार की मदद ले सकते हैं।
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आर्थिक स्थिति हमेशा एक जैसी नहीं रहती। अगर परिवार में कोई समस्या हो तो अपने बजाय परिवार की प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करें, तभी विपरीत स्थितियों का मुकाबला कर पाएंगे।
अगर आपने कोई जॉइंट लोन लिया है तो उसका रीपेमेंट भी दोनों को मिल कर करना होगा। किसी वजह से पार्टनर उसे वहन न कर सके या किस्त न जमा करे, तो भी एक को ऐसा करना होगा। इसलिए अगर अपने रिश्ते और आर्थिक स्थिति में पूरी तरह संतुष्ट न हों तो जॉइंट लोन लेने से बचें।
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जॉइंट अकाउंट खोलने से पहले हर पहलू पर विचार करें। पहले से चल रहे अकाउंट को जॉइंट करने के बजाय एक नया अकाउंट खोलें, उसे जॉइंट करें और हर महीने दोनों पार्टनर्स उसमें कुछ-कुछ पैसा जमा करें। इस व्यवस्था को कुछ समय तक चलाएं, अगर यह चल पाती है, तो ही आगे बढ़ें। एक बार समझदारी बन जाए तो अपना कंट्रिब्यूशन बढ़ा भी सकते हैं।
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