हमारे मानसिक स्वास्थ्य का हमारे दिल की सेहत पर सीधा असर पड़ता है। यानी अगर आप मानसिक रूप से स्वस्थ हैं, तो आपका दिल भी बेहतर काम करेगा और अगर आप मानसिक रूप से परेशान हैं, तो इसका खामियाजा आपके दिल को भुगतना पड़ेगा।
कैनेडियन कार्डियोवैस्कुलर कांग्रेस एक नए रिपोर्ट के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रहे तथा अवसाद, चिंता व किसी अन्य मानसिक समस्या से जूझ रहे लोगों को स्ट्रोक या दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। जी हां इस शोध से पता चला कि किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य का उसके हृदय स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है। चलिये विस्तार से जाने कि क्या वकाई मानसिक रोग बढ़ा सकते हैं हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा?
अध्ययन के प्रमुख लेखक, डॉ. केटी गोल्डी के अनुसार, "कई मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से गुजर रहे लोगों के लिए हृदय रोगों के होने का जोखिम अधिक से अधिक है।" कनाडा के सामुदायिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के डेटा का उपयोग करते हुए, डॉ गोल्डी ने हृदय रोगों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं बीच संबंध का पता लगाया।
शोध में निम्न तथ्य पाए गए
- शोध में पाया गया कि वे लोग जिन्हें किसी प्रकार का मानसिक रोग था, उन्होंने जीवन में किसी भी बिंदु पर हृदय रोग या स्ट्रोक का सामना किया। साथ ही इन लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में स्ट्रोक होने की आशंका दोगुना तक थी।
- सामान्य आबादी की तुलना में, वे लोग जिनमें हृदय रोग विकसित नहीं हुए या जिन्हें स्ट्रोक नहीं हुआ था, उनमें लंबी अवधि में हृदय रोग विकसित होने का उच्च जोखिम में होने की संभावना होती है।
- वे लोग जिन्होंने मनोरोग की दवाओं का इस्तेमाल किया, उन्हें दवाएं न लेने वाले लोगों की तुलना में दिल की बीमारी होने की संभावना दो गुनी थी तथा स्ट्रोक पड़ाने की संभावना तीन गुना थी।
- अध्ययन में सिजोफ्रीनिया, बाइपोलर डिसार्डर, प्रमुख अवसादग्रस्तता तथा चिंता विकारों से पीडि़त लोगों को शामिल किया गया। मनोरोग दवाओं के अलावा मनोरोग प्रतिरोधी, अवसादरोधी, बेंजोडाइजेपाइन तथा मूड को स्थिर करने वाली दवाओं की जांच की गई।
क्या हैं कारण
इसके पीछे तीन प्रमुख कारण हैं। सबसे पहले तो, मानसिक स्वास्थ्य विकार वाले लोगों की डाइट अक्सर अच्छी नहीं होती, तथा वे निष्क्रिय रहते हैं और अत्यधिक तम्बाकू और शराब का सेवन करते हैं। दूसरा मनोरोग दवाएं अक्सर वजन बढ़ने की वजह बनती हैं। ये शरीर से शक्कर और वसा टूटने की दर को धीमा कर देती हैं। और मोटापा, उच्च कोलेस्ट्रॉल और टाइप टू मधुमेह का नेत्रत्व करती हैं। तीसरा मुद्दा स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता का है। मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए पेशेवर डॉक्टरों से इलाज करावाने तथा उपयुक्त स्वास्थ्य सुवधाओं का न मिल पाना है।
इस लिए ही अनुसंधानकर्ताओं ने स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से सिफारिश की है कि वे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से गुज़र रहे रोगियों के हृदय स्वास्थ्य का भी नियमित रूप से परीक्षण करें और ध्यान रखें। साथ ही वे ऐसा इलाज के पहले तथा बाद दोनों स्थितियों में करें।
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version