सोमवार को लोकसभा में मेंटल हेल्थ केयर बिल-2016 पास हो गया। यह बिल राज्यसभा में बीते साल ही पास हो गया था। यह बिल मानसिक रोगियों की देखभाल और उन्हें सही इलाज की सुविधा प्राप्त कराने के लिए है। यह बिल सुनिश्चित करता है कि हर एक व्यक्ति को संचालित मानसिक स्वास्थ्य सेवा, देखभाल और उपचार का अधिकार मिले।
बिल को 120 से ज्यादा संशोधनों के साथ पारित किया गया है। बिल में मानसिक रोगियो की परिभाषा और उन्हें अब तक उपलब्ध उपचार की व्यवस्था में बदलाव के प्रावधान किए गए है। इस बिल में खास बात यह है कि किसी मानसिक रोगी के आत्महत्या के प्रयास को अपराध नहीं माना जाएगा। जबकि आमतौर पर आत्महत्या करना या आत्महत्या का प्रयास करना अपराध माना जाता है। महिला और बच्चों के लिए भी बिल में खास प्रावधान है। एक आंकड़े के अनुसार, देश में कुल 6-7 प्रतिशत लोगों को किसी ना किसी तरह की दिमागी समस्या है जबकि 1-2 प्रतिशत रोगियों को गंभीर समस्या है।
बिल की खास बातें
- आत्महत्या के प्रयास को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रावधान किया गया है।
- मानसिक रोग से पीड़ित बच्चे को उसकी मां से तब तक अलग नहीं किया जाएगा, जब तक बहुत जरूरी ना हो।
- मानसिक रोगियों की नसबंदी तथा आपात स्थितियों में उनका इलाज बिजली के झटकों से करने पर रोक की व्यवस्था है।
- बिना रोगी की इच्छा के उसपर किसी तरह का इलाज जबरन नहीं थोपा जा सकेगा।
- अत्यधिक शराब और मादक पदार्थों के सेवन को मानसिक रोगी की श्रेणी में रखा गया है।
मेंटल हेल्थ केयर बिल, 2016 पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि 1987 का पुराना कानून संस्था आधारित था लेकिन नये बिल में मरीज को और समाज को उसके इलाज के अधिकार प्रदान किए गए हैं और यह ‘मरीज’ केंद्रित है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अब देश में मानसिक रोगियों को उपेक्षा और सामाजिक दंश का शिकार नहीं होना पड़ेगा, उनका इलाज अलग थलग बंद कमरों में करने की बजाए सामुदायिक माहौल में करने की व्यवस्था होगी।' उन्होंने कहा कि इस बिल के लागू होने के बाद आत्महत्या के प्रयास को अपराध की श्रेणी से बाहर माना जाएगा और यह केवल मानसिक रोग की श्रेणी में आएगा।
नड्डा ने कहा कि बिल में किसी भी स्वस्थ और भली स्थिति वाले व्यक्ति को पहले ही यह दिशानिर्देश देने का अधिकार दिया गया है कि ईश्वर न करें कि भविष्य में उसे कोई मानसिक परेशानी हो तो उसका इलाज कैसे होगा, उसे कौन सी सुविधाएं दी जाएंगी, यह सब तय करना उसका अधिकार होगा। बिल के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कानूनी व्यवस्था की गई है, जिसका उल्लंघन करने वालों के लिए जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
नड्डा ने कहा कि देश में इस कानून के आने के साथ मानसिक स्वास्थ्य ढांचे और अधिक मजबूत होगा और आज का दिन ऐतिहासिक है क्योंकि अगर ‘सबका साथ होगा तो भविष्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विकास हो सकेगा।’
News Source : IANS
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