नवजात का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है इसलिए उसमें संक्रमण की संभावना बहुत कम होती है, इससे बचाव के लिए जरूरी बच्चे को समय-समय पर टीके लगवाये जायें।
मेनिनजाइटिस भी ऐसी ही समस्या है जो बच्चों को अपना शिकार बनाती है। लेकिन इससे बचने के लिए हाल ही में इंग्लैंड में एक नई वैक्सीन का आविष्कार हुआ है जो बच्चों में इस संक्रमण को फैलने से रोकेगा।
यह वैक्सीन 2 महीने, 4 महीने और 12 महीने के बच्चों को दिया जाएगा। लागत को लेकर विवाद के चलते इस योजना को लागू करने में देर हुई है। मेनिनजाइटिस एक खतरनाक और जानलेवा बीमारी है, इसलिए इससे बचाव बहुत जरूरी है।
अगस्त से एक अन्य मेनिनजाइटिस वैक्सीन - मेन एसीडब्ल्यूवाई - विश्वविद्यालय की पढ़ाई शुरू करने वाले 17 और 18 साल के बच्चों को दिया जाएगा। स्कॉटिश सरकार और स्वास्थ्य विभाग के अनुसार यह वैक्सीन नवजातों को दिए जाने वाले अन्य वैक्सीन के साथ ही दिया जाएगा।
परीक्षणों के अनुसार मेनिनजाइटिस बी का नया वैक्सीन, बेक्सेरो, ब्रिटेन में मौजूद मेनिन्गोकॉक्कल ग्रुप-बी बैक्टीरिया से 90% तक बचाता है। मेनिनजाइटिस बी बैक्टीरिया संक्रमण सामान्यतया एक साल से कम उम्र के बच्चों को शिकार बनाता है और 5 साल से कम उम्र के बच्चों में यह समस्या आम है।
मेनिनजाइटिस डॉट ओआरजी वेबसाइट के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मेनिनजाइटिस को 'छिपी हुई बीमारी' कहा है। अक्सर इसकी पहचान नहीं हो जाती या फिर इससे मलेरिया जैसी बीमारियों का भ्रम हो जाता है।
अनुमान है कि दुनिया भर में शिशु मृत्यु के 5% मामलों में वजह बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस ही होता है।