पूर्वजों के व्‍यवहार का असर पड़ता है आने वाली पीढ़ी पर

पुरानी पीढ़ी की यादें डीएनए से अगली पीढ़ी को प्रभावित करती हैं, अधिक जानने के लिए इस स्‍वास्‍थ्‍य समाचार को पढ़ें।
  • SHARE
  • FOLLOW
पूर्वजों के व्‍यवहार का असर पड़ता है आने वाली पीढ़ी पर


यादे पूर्वजों से जुड़ी होती हैं और डीएनए के जरिये आगे की पीढ़ी तक पहुंचती हैं। हाल में जानवरों पर किए गए अध्‍ययनों से पता चला है कि 'यादें' वंशानुगत रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाती हैं और इनसे आने वाली पीढ़ियों का व्यवहार भी प्रभावित हो सकता है।

Memories Linked to DNAइन शोधों से साबित हुआ है कि दहला देने वाली कोई दर्दनाक घटना से शुक्राणु में डीएनए प्रभावित हो सकता है, जिसके कारण इससे आने वाली पीढ़ियों के दिमाग और व्यवहार में बदलाव हो सकता है।



इस पर नेचर न्यूरोसाइंस ने शोध किया है, इसके मुताबिक़ किसी खास गंध से दूर रहने के लिए प्रशिक्षित किए चूहों का यह गुण उनकी तीसरी पीढ़ी में भी देखा गया। विशेषज्ञों का कहना है कि इस शोध के परिणाम फोबिया और बेचैनी से संबंधित अनुसंधान के लिए अहम साबित होंगे।



अमरीका के एमोरी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के अध्‍ययनकर्ताओं की टीम ने फिर इस बात पर यह भी गौर किया कि शुक्राणु के भीतर क्या हो रहा है। उन्होंने पाया कि चूहे के शुक्राणु में चेरी ब्लॉसम की गंध के लिए जिम्‍मेदार डीएनए का एक हिस्सा अधिक संवेदनशील हो गया है।



चूहे के बच्चे और उनके बच्चे चेरी ब्लॉसम की खुश्‍बू को लेकर अधिक संवेदनशील थे और इस गंध से बचने की कोशिश में रहते थे। ऐसा तब था जब उन्होंने अपने जीवन में कभी भी इस गंध का अनुभव नहीं लिया था। साथ ही उनके दिमागी ढांचे में भी बदलाव दिखा।

रिपोर्ट के अनुसार, "एक पीढ़ी का अनुभव आने वाली पीढ़ियों की तंत्रिका तंत्र के ढांचे और कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है।" इस शोध के परिणाम इस बात का प्रमाण हैं कि एक पीढ़ी का अनुभव वंशानुगत रूप से दूसरी पीढ़ी में आता है। यानी माहौल से किसी की आनुवांशिकी प्रभावित होकर आगामी पीढ़ियों में भी जा सकती है।

इसके शोधकर्ता डॉक्टर ब्रायन डियास ने कहा, "यह एक प्रक्रिया हो सकती है जिससे वंशजों में पूर्वजों के लक्षण दिखते हैं। इसमें रत्तीभर भी संदेह नहीं कि शुक्राणु और अंडाणु में जो कुछ होता है उसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर पड़ता है।"

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर मार्कस पेम्ब्रे के अुनसार, इस शोध के परिणाम फोबिया, उत्कंठा और अवसाद में अनुसंधान के लिए बहुत अहम हैं और इससे साबित होता है कि एक पीढ़ी की यादें दूसरी पीढ़ी में जा सकती हैं।

 

 

Read More Health News In Hindi

Read Next

इंजेक्शन के जरिए नशीले पदार्थों का सेवन बढ़ा रहा है एड्स

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version