किडनी स्‍टोन से बचना है तो तरल पदार्थों का सेवन जरूर करें

आईएमए के अनुसार पूरे दिन में तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाने से किडनी की पथरी के बार-बार होने का जोखिम आधा रह जाता है और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता।
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किडनी स्‍टोन से बचना है तो तरल पदार्थों का सेवन जरूर करें


इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि 13 प्रतिशत पुरुषों और 7 प्रतिशत महिलाओं में किडनी की पथरी की समस्या पाई जाती है। आईएमए के अनुसार पूरे दिन में तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाने से किडनी की पथरी के बार-बार होने का जोखिम आधा रह जाता है और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता।

रिसर्च से पता चलता है कि किडनी की पथरी वाले लोगों में क्रोनिक किडनी रोग होने का काफी अधिक खतरा रहता है। आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा कि शरीर में पानी की कमी किडनी की पथरी का मुख्य कारण है। यूरिक एसिड (मूत्र का एक घटक) पतला करने के लिए पर्याप्त पानी चाहिए होता है और ऐसा न होने पर मूत्र अधिक अम्लीय बन जाता है। यह अम्लीय किडनी की पथरी बनने का कारण होता है।

किडनी की पथरी एक गेंद के रूप में बड़ी हो सकती है और यह एक क्रिस्टल जैसी संरचना होती है। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में ये इतने छोटे हो सकते हैं कि मूत्र के साथ बाहर निकल जाते हैं और व्यक्ति का इस ओर ध्यान भी नहीं जाता। हालांकि, इस प्रक्रिया में अत्यधिक दर्द हो सकता है। अगर किडनी की पथरी शरीर के अंदर रहती है, तो पेशाब में रुकावट जैसी कई कठिनाई होती हैं।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि किडनी की पथरी के सामान्य लक्षणों में पेशाब नली के आसपास तेज दर्द, पेशाब के साथ खून, उल्टी और मितली, मूत्राशय में सफेद रक्त कोशिकाओं या मवाद का होना, पेशाब में कमी, पेशाब करते समय जलन, बार-बार पेशाब की इच्छा होना और बुखार और ठंड लगना प्रमुख हैं।

आईएनए ने बताया कि कुछ दवाएं किडनी की पथरी के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। विटामिन-डी और कैल्शियम की खुराक लंबे समय तक लेने पर कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है। किडनी की पथरी के लिए यह भी एक कारक हो सकता है। प्रोटीन और सोडियम अधिक और कैल्शियम का कम सेवन भी इसका एक कारक हो सकता है। उन्होंने कहा कि एक जगह बैठे रहने और मोटापे के अलावा हाई ब्लडप्रेशर और कैल्शियम का शरीर में अवशोषण कम होने से भी पथरी हो सकती है।

गुर्दे की पथरी को रोकने के उपाय


किडनी की पथरी से बचने का एक अच्छा तरीका है कि तरल पदार्थो का अधिक सेवन किया जाए। कम पानी पीने से पथरी हो सकती है।
आहार में सोडियम कम करें। पेशाब में लवण बढ़ने से कैल्शियम की मूत्र से रक्त में पुन: अवशोषण की प्रक्रिया धीमी होती जाती है और किडनी की पथरी हो सकती है।
ऑक्सलेट वाले खाद्य पदार्थों को सीमित करें। आमतौर पर चॉकलेट, बीट्स, नट्स, पालक, स्ट्रॉबेरी, चाय और गेहूं की चोकर में ऑक्सलेट अधिक पाया जाता है।
मांस में पाया जाने वाला प्रोटीन कम खाएं। ऐसे प्रोटीन में अम्लीय पदार्थ अधिक होते हैं और यूरिक एसिड में वृद्धि होती है। उच्च यूरिक एसिड से पथरी बन सकती है।

INAS

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