निमोनिया से पीड़ित लता मंगेशकर वेंटीलेटर पर, जानें बीमारी से जुड़े लक्षण और बचाव के टिप्स

स्वर कोकिला लता मंगेशकर अस्पताल में भर्ती हैं। बताया जा रहा है कि वह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में वेंटिलेटर पर हैं। दरअसल लता मंगेश्कर फेफड़ों के गंभीर इंफेक्‍शन से जूझ रही हैं, पर फिलहाल उनकी हालत स्थिर बनी हुई है।
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निमोनिया से पीड़ित लता मंगेशकर वेंटीलेटर पर, जानें बीमारी से जुड़े लक्षण और बचाव के टिप्स


हजार से भी ज्यादा गीतों को आवाज दे चुकी प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) की हालत नाजुक बनी हुई है। लता जी को फेफड़ों में इंफेक्शन के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां सेहत खराब होने के बाद उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया है। हालांकि फिलहाल उनकी बीमारी को लेकर परिवार और हॉस्पिटल का ओर से कोई आधिकारिक मेडिल बुलेटिन जारी नहीं हुआ है। वहीं पूरी दुनिया भारत रत्न मंगेशकर के लिए प्रार्थना कर रही है। पर प्रश्न ये है कि लता दीदी को आखिरकार किस बीमारी ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है? दरअसल लता दीदी को निमोनिया (Pneumonia) हुआ है, जिसके कारण उनके लेफ्ट वेट्रिकुलर ने काम करना बंद कर दिया है। आइए आज हम आपको बताते हैं कि इस बीमारी के बारे में।

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निमोनिया (Pneumonia)क्या है?

निमोनिया (Pneumonia) फेफड़ों से जुड़ा एक प्रकार का संक्रमण है। इसे आप लंग्स इंफेक्शन भी कह सकते हैं। इस दौरान पीड़ित व्यकित के फेफड़ों में सूजन आ जाती है और कई बार पानी भी भर जाता है। इसके अलावा एल्वियोली (alveoli),जिससे लंग्स में हवा जाती है उसमें मवाद या बलगम भर आता है और इस तरह सांस लेने में परेशानी आती है। फेफड़ों का ये संक्रमण हवा में पहले से स्थित बैक्टीरिया, वायरस या फंग्स के कारण हो सकता है। हालांकि अधिकांश लोग गंभीरता के आधार पर एक से तीन सप्ताह में इससे उबर जाते हैं पर गंभीर होने पर ये बीमारी जीवन के लिए खतरा भी बन सकती है।

निमोनिया के कारण-

  • यह संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस (निमोनिया या फंग्स के दो प्रमुख प्रकारों) के कारण हो सकता है। दरअसल साँस लेते समय, हवा में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस शरीर में प्रवेश करते हैं और फेफड़ों की वायुकोशी में बस जाते हैं और फिर इन बैक्टीरिया और फंग्स की संख्या में गुणा होने लगता है। 
  • इसके अलावा ये छींकने और खांसने के माध्यम से भी अन्य लोगों में स्थानांतरित हो जाता है। ये संक्रमित वायरस और बैक्टीरिया हवा में सांस लेते हैं और धीरे-धीरे लोगों में फैलने लगते हैं।
  • वहीं निमोनिया स्पर्श (टच) के माध्यम से भी फैल सकता है यानी कि रोगी द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली किसी वस्तु को छूने या इस्तेमाल करने से एक स्वास्थ्य व्यक्ति भी बीमार पड़ सकता है। 
  • किसी भी संक्रमण के मामले में, शरीर रोगाणुओं को पैदा करने वाले संक्रमण पर हमला करने के लिए वाइट ब्लड सेल्स को भेजता है। यही बात निमोनिया में भी होती है और इन्हीं वाइट ब्लड सेल्स के हमले से हमारे लंग्स में स्थित वायु की थैली में सूजन आ जाती है।

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निमोनिया के लक्षण-

  • निमोनिया  के कुछ सामान्य लक्षण हैं जैसे कफ के साथ खांसी, छींक आना, बुखार, और पसीना या ठंड लगना आदि है। ऐसे में सामान्य गतिविधियों को करते हुए भी सांस की तकलीफ का अनुभव किया जा सकता है, जिसके कारण सांस लेते समय छाती में दर्द भी हो सकता है। अन्य लक्षणों में मतली, भूख में कमी, सिरदर्द और थकान शामिल हैं।
  • कुछ आयु-विशेष निमोनिया लक्षण भी हो सकते हैं। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में, इसके कारण सीने में घरघराहट और तेज सांस लेने आदि की परेशानी हो सकती है। जबकि वयस्कों में, इसके लक्षण मामूली होते हैं और कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं। वहीं ज्यादा होने पर उनका शरीर ठंडा पड़ने लगता है और सांस लेने में परेशानी होने लगती है।

निमोनिया का इलाज-

संक्रमण के कारण और गंभीरता के आधार पर, चिकित्सक द्वारा उपचार तय किया जाता है। बैक्टीरिया के कारण होने वाले निमोनिया का आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज किया जाता है। वायरल प्रकार के निमोनिया में बहुत सारे तरल, आराम और एंटीवायरल दवा का सुझाव दिया जाता है। फंगल प्रकार का उपचार एंटी-फंगल दवाओं द्वारा किया जाता है। इसका उद्देश्य निमोनिया के लक्षणों को कम करना होता है। जैसे शरीर के तापमान को कम करना व दर्द और खांसी का इलाज करना आदि।

वहीं विशेषज्ञों का सुझाव है कि निमोनिया को ठीक करने के लिए लंग्स के गाढ़े बलगम को पतला करके बाहर निकालने की जरूरत होती है। इसके लिए डॉक्टर कई बार गर्म तरल पदार्थों का सेवन करने का सुझाव देते हैं। हालांकि, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूनिटी) वाले लोग, स्वास्थ्य स्थिति और संक्रमण की गंभीरता के आधार पर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है। चूंकि इससे सांस लेने में कठिनाई होती है, इसलिए मरीज को तब तक वेंटिलेटर पर रखा जा सकता है जब तक कि सांस सामान्य न हो जाए। जैसा कि गायिका लता मंगेशकर के ट्रीटमेंट में भी किया गया है।

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